15.5 C
London
Monday, September 15, 2025
Homeभोपालस्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की भू-समाधि, हिंदुओं के सबसे बड़े गुरु का क्यों...

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की भू-समाधि, हिंदुओं के सबसे बड़े गुरु का क्यों नहीं होता दाह संस्कार

Published on

भोपाल

द्वारका पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को नरसिंहपुर जिले के परमहंसी आश्रम में निधन हो गया है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गाय है। शाम चार बजे उन्हें भू-समाधि दी जाएगी। इसे लेकर सारी तैयारी वहां पूरी हो गई है। भू-समाधि के साथ साथ ही उनके उत्तराधिकारी की घोषणा होगी। वहीं, हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार आम लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। हिंदू संतों में निधन के बाद संस्कार के अलग-अलग परंपरा है। शंकराचार्य निधन के बाद भू-समाधि लेते हैं। ऐसे में लोगों के मन में यह ख्याल होता है कि आखिर हिंदुओं के सबसे बड़े गुरु का दाह संस्कार क्यों नहीं होता है।

दरअसल, सनातन संस्कृति में साधु-संतों का संस्कार चार तरीके से होता है। बड़े संत भू-समाधि ही लेते हैं। सनातन परंपरा के अनुसार हिंदू धर्म में बच्चों की मौत के बाद उन्हें दफनाया जाता है। वहीं, साधुओं को समाधि दी जाती है। इसके साथ ही आमजनों के निधन पर उनका दाह संस्कार किया जाता है। इसके पीछे की पौराणिक मान्यताएं हैं कि साधु और बच्चों का मन और तन निर्मल होता है। दोनों में आसक्ति नहीं होती है। साधु को समाधि इसलिए दी जाती है कि ध्यान और साधना से उनका शरीर एक विशेष उर्जा का ओरा लिए हुए होता है। सनातम धर्म में ज्यादातर बड़े संतों को भू-समाधि ही दी जाती है।

कैसे दी जाती है भू-समाधि
साधु और संतों को समाधि उनके मठ में ही दी जाती है। साथ ही कोशिश रहती है कि उनकी समाधि उनके गुरु के पास ही हो। इसके लिए पहले स्थान का चयन किया जाता है। शंकाराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को उनके परमहंसी आश्रम में ही समाधि दी जाएगी। जगह के चयन के बाद वहां तैयारी हो गई है। भू-समाधि के दौरान संतों को पद्मासन या सिद्धि आसन में बैठाकर जमीन के अंदर दफनाया जाता है। भू-समाधि की परंपरा का पालन नाथ, दशनामी, शाक्त, अघोर और शैव संप्रदाय के लोग करते हैं।

संतों का दाह संस्कार भी होता
हालांकि बदलते वक्त के अनुसार अब वैष्णव संप्रदाय के संतों का दाह संस्कार भी होता है। वहीं, बड़े मठों के पीठाधीशों को भू-समाधि ही दी जाती है।

जीवित समाधि भी लेते हैं साधु-संत
वहीं, पूर्व में हिंदुओं के गुरु जीवित समाधि भी लेते रहे हैं। इसका मतलब होता था कि जीवित रहने के दौरान योग क्रिया के जरिए प्राण को ब्रह्मरंध में स्थापित कर भू-समाधि ले लेना। कुछ दशक पहले राजस्थान के संत रामसा पीर ने जीवित समाधि ली थी।

जल समाधि की परंपरा
वहीं, बहुत से संतों को गंगा में जल समाधि देने की परंपरा रही है। हरिद्वार और वाराणसी में गंगा के कई घाट ऐसे हैं, जहां जल समाधि दी जाती है। कुछ संतों को मृत्यु के बाद गंगा की बहती धारा के बीच नाव में ले जाकर प्रवाह करने की परंपरा है। हालांकि बहुत से अखाड़े जल समाधि को रोकने के लिए जमीन देने की मांग करते रहे हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद भी इस बारे में कई बार प्रस्ताव पास कर चुका है। तीनों बैरागी अखाड़े, दोनों उदासीन अखाड़े और निर्मल अखाड़ा भी गंगा में जल समाधि के खिलाफ हैं।

भू-समाधि में क्या-क्या होता है
दरअसल, किसी साधु को भू-समाधि देने के लिए एक बड़ा गड्ढा खोदा जाता है। उस बड़े गड्ढे के अंदर एक और गड्ढा छह फीट लंबा, चौड़ा और गहरा खोदा जाता है। इसके बाद इसे गाय के गोबर से लीपा जाता है। साधु-संत में इसमें हवन करते हैं। हवन के बाद इसमें नमक डाला जाता है ताकि शरीर आसानी से गल सके। गड्डे के अंदर ही दक्षिण दिशा में एक छोटा गड्ढा और खोदा जाता है, जिसमें पद्मासन या सिद्धासन की मुद्रा में संन्यासी का शरीर रखा जाता है।

इसके साथ ही भू-समाधि के दौरान उनके कमंडल, रुद्राक्ष की माला और दंड भी रखते हैं। साथ ही उनके शरीर में घी का लेप लगाया जाता है, इससे चींटी जैसे छोटे-छोटे जीव जल्दी आकर्षित होते हैं। साथ ही उनका श्रृंगार भी किया जाता है।

Latest articles

गोविंदपुरा विधानसभा के बरखेड़ा पठानी मे पांच परिवारों के मकान ढहाए

भेल भोपाल।गोविंदपुरा विधानसभा के वार्ड 56 में बीते दिनों हुई भारी बारिश के बीच...

बीएचईएल सेवानिवृत्त सुपरवाइजर को साइबर धोखेबाजों ने लगाया 68 लाख का चूना

भोपाल।वर्षीय सेवानिवृत्त बीएचईएल सुपरवाइजर दो महीने तक चले "डिजिटल गिरफ्तारी" घोटाले का शिकार हो...

बीएचईएल को भारतीय रेलवे को कवच प्रणाली की आपूर्ति के लिए 23 करोड़ रुपये का मिला ऑर्डर

भेल भोपाल।सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स को भारतीय रेलवे (दक्षिण पश्चिम...

बीएचईएल में “उद्योग में हरित ऊर्जा का उपयोग” पर प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

भेल भोपाल।बीएचईएल भोपाल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से “उद्योग में हरित ऊर्जा के...

More like this

गोविंदपुरा विधानसभा के बरखेड़ा पठानी मे पांच परिवारों के मकान ढहाए

भेल भोपाल।गोविंदपुरा विधानसभा के वार्ड 56 में बीते दिनों हुई भारी बारिश के बीच...

बीएचईएल सेवानिवृत्त सुपरवाइजर को साइबर धोखेबाजों ने लगाया 68 लाख का चूना

भोपाल।वर्षीय सेवानिवृत्त बीएचईएल सुपरवाइजर दो महीने तक चले "डिजिटल गिरफ्तारी" घोटाले का शिकार हो...

भोपाल नगर निगम को ‘घिनौनी’ लापरवाही के लिए नोटिस, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की धमकी

भोपाल।— मुख्यमंत्री आवास से कुछ ही मीटर की दूरी पर, प्रसिद्ध 'बड़ा तालाब' पर,...