नई दिल्ली:
मूडीज ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटा दी है। रेटिंग एजेंसी ने इसे AAA (सर्वोच्च) से घटाकर Aa1 कर दिया है। पिछले एक दशक से अधिक समय में अमेरिका के सरकारी कर्ज में लगातार बढ़ोतरी को इसके लिए प्रमुख कारण बताया गया है। एजेंसी का कहना है कि टैक्स कटौती के कारण सरकारी राजस्व कम हुआ है जबकि खर्च बढ़ा है। इससे राजकोषीय घाटा लगातार बना हुआ है। वर्तमान में अमेरिका का कुल कर्ज लगभग $36 ट्रिलियन है और 2024 में यह जीडीपी का 98% था। मूडीज का अनुमान है कि यह अनुपात 2035 तक बढ़कर 134% हो जाएगा। कर्ज बढ़ने के साथ ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण सरकार पर ब्याज का बोझ भी काफी बढ़ गया है। अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटने के बाद चीन की धुकधुकी बढ़ गई है। उसने अमेरिका को हिदायत दी है।

चीन ने सोमवार को अमेरिका से कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और आर्थिक प्रणाली को स्थिर रखने के लिए जिम्मेदार नीतियां अपनाए। चीन ने निवेशकों के हितों की रक्षा करने की भी बात कही। यह बात चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में कही। उनसे मूडीज की ओर से अमेरिका की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग कम करने के बारे में पूछा गया था। मूडीज ने अमेरिका पर यह कार्रवाई उसके बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता के कारण की है।
अमेरिका की रेटिंंग घटने से चीन को कैसा डर?
मूडीज ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग इसलिए घटाई क्योंकि उसे डर है कि अमेरिका पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। इस बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका को कुछ जिम्मेदारी दिखानी चाहिए। उन्हें ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे। साथ ही, अमेरिका को निवेशकों का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि उनका नुकसान न हो।
चीन की हिदायत उसकी बेचैनी को दर्शाता है। इसके पीछे कई कारण हैं। पहला, चीन अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड का बड़ा होल्डर है। अमेरिका की रेटिंग घटने से इन बॉन्डों के मूल्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे चीन को वित्तीय नुकसान होने का डर है। इसलिए, चीन चिंतित है कि कहीं उसकी संपत्ति का मूल्य कम न हो जाए।
दूसरा यह है कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसकी वित्तीय स्थिरता वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है। अगर अमेरिका की रेटिंग घटती है तो इससे वैश्विक स्तर पर वित्तीय अस्थिरता बढ़ सकती है। इसका असर चीन सहित सभी देशों पर पड़ेगा। चीन एक बड़ी व्यापारिक शक्ति है और वैश्विक अस्थिरता उसकी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकती है।
चीन के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ सकता है असर
इसके अलावा अमेरिकी डॉलर वैश्विक व्यापार और फाइनेंस में एक प्रमुख करेंसी है। अमेरिका की रेटिंग में गिरावट डॉलर की साख को कमजोर कर सकती है। इससे चीन की विदेशी मुद्रा भंडार और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर पड़ सकता है। अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही व्यापार और भू-राजनीतिक तनाव हैं। अमेरिका की रेटिंग में गिरावट इस तनाव को और बढ़ा सकती है। इससे दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो सकते हैं।