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Tuesday, September 16, 2025
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शान से खूब लहरा लिया तिरंगा, अब कहीं उसका अपमान तो नहीं कर रहे आप?

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तिरंगा लहराकर आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्‍न देशभर में मना। अब नागरिकों की जिम्‍मेदारी है कि वे राष्‍ट्रध्‍वज का अपमान न होने दें। तिरंगे के डिस्‍पोजल से जुड़े कुछ नियम हैं जिनका ध्‍यान रखना जरूरी है।भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार, फटा या डैमेज तिरंगा एकांत में दफनाया या जलाया जाना चाहिए। यह बेहद सावधानी से होना चाहिए क्‍योंकि राष्‍ट्रध्‍वज का अपमान नहीं होने देना है। सभी लोग ऐसा नहीं कर सकते इसलिए कई सिविक अथॉरिटीज ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपमान करने के बजाय तिरंगा उन्‍हें दे दें।

सिविक अथॉरिटीज की नागरिकों से अपील
देहरादून की सिविक एजेंसियों और सरकारी विभागों ने लोगों से अपील की है कि तिरंगे को उन्‍हें सौंप दें ताकि वे डिस्‍पोज कर सकें। गारबेज कलेक्‍शन से जुड़े स्‍टाक को ताकीद की गई है कि रास्‍ते में कई तिरंगा पड़ा मिले तो कलेक्‍ट कर लें।

क्या है फ्लैग डिस्‍पोजल के नियम?
केंद्रीय गृह मंत्रालय और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के पैरा 2.2 के नियम के मुताबिक राष्ट्रीय ध्वज के डैमेज होने के बाद उसे डिस्पोज करने के दो तरीके हैं – दफनाना या जलाना। इन दोनों में से किसी भी प्रक्रिया को चुनते वक़्त सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। डेमेज हुए झंडों को दफनाने के लिए सभी डैमेज हुए झंडों की तह बनाकर लकड़ी के बॉक्स में रखा जाता है। फिर उसे सुरक्षित स्थान पर जमीन में दफनाया जाता है। ऐसा करते वक्त शांतिपूर्ण माहौल होना चाहिए। दूसरा तरीका जलाने का है। झंडे को जलाने के लिए सुरक्षित जगह चुनें, झंडे को ढंग से तह करें और उसे ध्यान से आग पर रख दें। झंडों को फेंके नहीं, कूड़ेदान में भी नहीं डालें।

घर पर लगे झंडों को तह बनाकर घर में रखें
‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत लोगों ने अपने घरों में झंडे लगाए हैं। ऐसे में लोग सम्मान के साथ इन तिरंगों को साफ करके प्रेस करके घर के अंदर उन्हें संभालकर रख सकते हैं। इन झंडों का इस्तेमाल अगले साल के लिए किया जा सकता है। सड़कों के किनारे, पार्कों, चौराहों और पब्लिक वाली जगहों पर लगे झंडों की देखभाल करने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की है। वे उनका सम्मान सहित निस्तारण करेंगे।

राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर जेल का प्रावधान
राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 और भारतीय झंडा संहिता, 2021 के तहत कार्रवाई हो सकती है। कोई व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते, इसे जलाते, दूषित करते, कुचलते या नियम के खिलाफ ध्वजारोहण करते हुए पाया जाता है तो उसे तीन साल की जेल या जुर्माना, या दोनों दंड के रूप में मिल सकते हैं।

झंडा फहराने के लिए सही समय
नए नियमों के मुताबिक, झंडे को दिन-रात 24 घंटे फहराया जा सकता है। पहले राष्ट्रीय ध्वज को सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानी दिन में ही फहराया जा सकता था। सूर्यास्त यानी शाम होने के बाद तिरंगे को उतार देना जरूरी था।

तिरंगे पर नए नियमों में छूट
26 जनवरी 2002 में बने नियमों के अंतर्गत मशीन से बने और पॉलिस्टर से बने झंडे को फहराने की अनुमति नहीं थी। लेकिन दिसंबर 2021 में इसकी अनुमति दे दी गई। अब हाथ या मशीन से बना हुआ कपास/पॉलिस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना तिरंगा भी अपने घर पर फहराया जा सकता है। पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत सरकार ने 20 जुलाई 2022 को फिर इस कानून में संशोधन किया है। सरकार ने इस बार तिरंगे को किसी भी वक्त फहराने की अनुमति दे दी है। अब इसे दिन रात 24 घंटे फहराया जा सकता है।

इन बातों का ख्याल रखा जाना जरूरी
नियमों के मुताबिक, झंडे का आकार आयताकार(रेक्टैंगुलर) होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए। तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए। हालांकि, अशोक चक्र का कोई माप तय नही है। सिर्फ इसमें 24 तिल्लियों का होना जरूरी है। झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है। तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म(वर्दी) में इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता। किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए। किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख या लगा सकते। साल 2002 से पहले राष्ट्रीय ध्वज को आम लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही फहरा सकते थे लेकिन साल 2002 में इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव किया गया जिसके तहत कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडे को फहरा सकता है। झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए।

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