आगरा,
उत्तर प्रदेश के आगरा में मुबारक मंजिल की खूबसूरती दफन हो गई है. मुबारक मंजिल 17वीं शताब्दी की एक महत्वपूर्ण मुगल धरोहर थी, जिसका निर्माण औरंगजेब ने सामूगढ़ (समोगर) के युद्ध में विजय होने के बाद कराया था. ब्रिटिश शासन में इस इमारत का उपयोग नमक दफ्तर, कस्टम हाउस और माल डिपो के रूप में होता था. 1817 के बाद इसमें कई बदलाव किये गए. इमारत को बढ़ाकर दो मंजिला कर दिया गया. मुबारक मंजिल जिस भूमि पर बनी थी, वर्तमान में उसका मालिकाना हक दिवंगत उमेश खंडेलवाल के पास था, जिसे उनके पुत्र अमित खंडेलवाल ने बिल्डर विकास जैन को बेच दिया.
आरोप है कि मुबारक मंजिल को बिल्डर विकास जैन ने करीब 70 फीसदी तक ध्वस्त करा दिया है. यह घटना राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा इस इमारत को सरंक्षित घोषित करने की अधिसूचना जारी करने के तीन महीने बाद हुई है. उत्तर प्रदेश की राजयपाल आनंदी बेन पटेल ने औरंगजेब की हवेली (मुबारक मंजिल) को 30 सितंबर, 2024 को सरंक्षित इमारत घोषित करने की अधिसूचना जारी की थी. इस आदेश के संबंध में 30 अक्टूबर तक आपत्तियां मांगी गई थीं. इससे पहले कि राज्य पुरातत्व विभाग इस मुगलकालीन इमारत को संरक्षित घोषित करने की अंतिम अधिसूचना जारी करता, बिल्डर विकास जैन ने इस पर बुल्डोजर चलवा दिया.
मुगलिया रिवरफ्रंट गार्डन का महत्वपूर्ण हिस्सा थी मुबारक मंजिल
मुबारक मंजिल 0.634 हेक्टेयर में बनी है, जिसके उत्तर में सड़क और पूर्व में यमुना नदी है. राजा जयसिंह के नक्शे में इस हवेली को 35 नंबर पर दर्ज किया गया है. हवेली मुगलिया रिवरफ्रंट गार्डन का महत्वपूर्ण हिस्सा थी. करीब 15 दिन पहले राज्य पुरातत्व विभाग की टीम ने मुबारक मंजिल का दौरा किया था. उस समय इमारत के 1500 गज वाले हिस्से को ध्वस्त करने का काम चल रहा था. टीम के मौका मुआयना करने के बाद मसला अचानक सुर्खियों में आ गया, जिसके कारण 3-4 दिन पहले राज्य पुरातत्व विभाग ने मुबारक मंजिल में किसी भी तरह की तोड़फोड़ पर रोक लगा दी.
इस संबध में आगरा के जिलाधिकारी अरविंद मल्लपा बंगारी ने कैमरे के सामने आकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. डीएम ने बताया कि मुबारक मंजिल के मसले पर जांच कमेटी बना दी गई है, जो शीघ्र अपनी रिपोर्ट देगी. उन्होंने कहा कि जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट में जो भी अनुशंसा करेगी, उसके हिसाब से दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. राज्य पुरातत्व विभाग का कहना है कि हवेली के तोड़े जाने की जानकारी मिली है. एक टीम वहां जाकर मुआयना करेगी. यह मुगलकालीन धरोहर है, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता. जिसने भी इसे तोड़ा है उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.’
इतिहासकार डेलरिम्पल ने मुबारक मंजिल गिराए जाने की कड़ी निंदा की
बता दें कि एएसआई यूपी में ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने में जुटा है. इसी संबंध में आगरा में भी कई धरोहरों की पहचान की गई है. हालांकि, कई अन्य ऐतिहासिक धरोहरों को नहीं बचाया जा सका. इनमें औरंगजेब की हवेली के अलावा छीपीटोला का शाही हम्माम, यमुना किनारे का जोहरा बाग और दिल्ली हाईवे पर लोदीकालीन मस्जिद को काफी नुकसान पहुंचा है. राज्य पुरातत्व विभाग ने हम्माम को कब्जा मुक्त करवाकर उसका संज्ञान लिया है. स्कॉटिश इतिहासकार विलियम डेलरिंपल ने आगरा की 17वीं सदी की मुबारक मंजिल को गिराए जाने की कड़ी निंदा की है.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘भारत में ऐतिहासिक विरासतों और धरोहरों की भयावह उपेक्षा हो रही है. आगरा की सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों में से एक को अधिकारियों की पूरी मिलीभगत से नष्ट कर दिया गया. यही कारण है कि भारत इतने कम पर्यटकों को आकर्षित करता है. आगरा की 17वीं सदी की मुबारक मंजिल को बिल्डर ने ढहा दिया. अपने मुख्य विरासत स्थलों की उपेक्षा करो, डेवलपर्स को अपनी सभी विरासत संपत्तियों को ध्वस्त करने दो और फिर आश्चर्य करो कि इस महान देश में दुबई या सिंगापुर से कम पर्यटक क्यों हैं.’