16.9 C
London
Thursday, July 31, 2025
Homeराष्ट्रीयसहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को लेकर पटना हाई कोर्ट के आदेश से...

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को लेकर पटना हाई कोर्ट के आदेश से सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- लांघी है सीमा

Published on

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश देकर पटना हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अन्य लोगों की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान इस तरह का आदेश जारी करके उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा लांघी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुब्रत रॉय उस मामले में आरोपी नहीं थे, जो पटना उच्च न्यायालय के समक्ष था।

यह गलत चलन है, जो बढ़ रहा है
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि यह गलत चलन है, जो बढ़ रहा है। जमानत के लिए दायर याचिका में आप उन मामलों की जांच करते हैं जो जमानत पर विचार के लिए अप्रासंगिक हैं। जमानत के लिए यह कैसे प्रासंगिक हो सकता है? या तो आप जमानत खारिज करें या मंजूर करें। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें निवेशकों का पैसा वापस नहीं करने को लेकर बिहार के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वह सहारा प्रमुख को अदालत के समक्ष निजी तौर पर पेश करें। पीठ ने आज की सुनवाई के दौरान कहा कि उच्च न्यायालय को अन्य मुकदमों में इस तरह के आदेश पारित करने चाहिए थे, न कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 438 के तहत अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते वक्त।

सीआरपीसी की धारा 438 गिरफ्तारी की आशंका से बचने के लिए जमानत के निर्देश से संबंधित है। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर ने कहा,अपने 22 साल के अनुभव में मैंने एक चीज सीखी है कि यह आपके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। पीठ ने कहा, हम यह नहीं कह रहे हैं कि उच्च न्यायालय ऐसा नहीं कर सकता। यह (अदालत) कर सकता है, लेकिन उचित प्रारूप और अधिकार क्षेत्र के तहत। (धारा) 438 में नहीं।

सुब्रत रॉय निवेशकों का पैसा कैसे लौटाएंगे
बिहार सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने ने रॉय को अभियुक्त नहीं बनाया है। उन्हें योजना पेश करने को कहा है कि आखिरकार वह निवेशकों का पैसा कैसे लौटाएंगे। पीठ ने कहा हम केवल यह कह रहे हैं कि ऐसा (धारा) 438 के तहत नहीं किया जाना चाहिए था। न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत का अनुरोध किया था और अदालत को केवल इस मामले पर विचार करना चाहिए था कि क्या जमानत मंजूर करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यदि इस तरह का आदेश सत्र अदालत की ओर से दिया जाता तो उच्च न्यायालय उस सत्र न्यायाधीश को आड़े हाथों लेता और यहां तक कि उसे न्यायिक अकादमी में जाने की सलाह भी देता। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए स्थगित कर दी।

Latest articles

Diabetes Symptoms: डायबिटीज का बढ़ता खतरा कहीं आप तो नहीं कर रहे इन शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज

Diabetes Symptoms:पूरी दुनिया में डायबिटीज (मधुमेह) तेजी से फैल रही है. चीन के बाद...

मछली प्रेमियों के लिए खुशखबरी भोपाल में खुलेगा मध्य प्रदेश का पहला महासिर कैफे

मछली प्रेमियों के लिए खुशखबरी भोपाल में खुलेगा मध्य प्रदेश का पहला महासिर कैफे,मध्य...

बीएचईएल एचएमएस यूनियन के नेता अमरसिंह राठौर का निधन

भोपाल lबीएचईएल एचएमएस यूनियन के नेता अमरसिंह राठौर का निधन,भेल भोपाल एचएमएस यूनियन...

IND vs ENG: गंभीर-फोर्टिस विवाद: ओवल पिच पर हुई बहस की अंदरूनी रिपोर्ट, जानें क्या हुआ था

IND vs ENG: भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर और केनिंग्टन ओवल के...

More like this

PM Modi Maldives Visit:भारत-मालदीव ने किए 8 बड़े समझौते ₹4850 करोड़ का क्रेडिट और UPI लॉन्च

PM Modi Maldives Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान भारत और...