नई दिल्ली:
एक वक्त था जब भारत खेलने के लिए खिलाड़ियों को डोमेस्टिक क्रिकेट की अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता था। उसमें जलकर-झुलसकर कुंदन बनते थे। उनका क्रिकेट कौशल मजबूत होता था। मैच्योरिटी का लेवल अलग होता था। अमोल मजूमदार इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण हैं। उनके नाम 171 फर्स्ट क्लास मैचों में 30 शतक और 60 अर्धशतक हैं और उन्होंने 11167 रन बनाए, लेकिन भारत खेलने का मौका नहीं मिला। आप कह सकते हैं कि यह उनका दुर्भाग्य है, लेकिन एक मामले में यह भारतीय क्रिकेटीयर ढांचे और उसमें जबरदस्त कॉम्पिटिशन को भी दर्शाता है। यही वजह है कि अपने बेसिक्स को बनाए रखने के लिए महान सचिन तेंदुलकर रिटायरमेंट तक डोमेस्टिक खेलते रहे।
खैर, समय बदला और जमाना आया आईपीएल का। सालभर में दो महीने में भरपूर कमाई और उसके दम पर भारत खेलने का मौका मिलने लगा। इस टूर्नामेंट से इंटरनेशनल खिलाने की वकालत करने वालों में महान सुनील गावस्कर, कपिल देव जैसे खिलाड़ी सबसे आगे रहे। जब टीम इंडिया में मौका मिलने का आधार आईपीएल बना तो खिलाड़ी डोमेस्टिक क्रिकेट से दूर हो गए। भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ सालों में एक नई चलन देखने को मिली है। इंटरनेशनल क्रिकेट में जगह पक्की करने के बाद हर खिलाड़ी का एक पैटर्न है। यही वजह है कि वह घरेलू क्रिकेट को नजरअंदाज करना शुरू कर देता है। शुभमन गिल जैसे युवा बल्लेबाज ने 2022 के बाद कोई रणजी ट्रॉफी मैच नहीं खेला है।
हर सीरीज हार के बाद उठता है मामला
तेज गेंदबाजों का तो चोटिल होने का खतरा रहता हैं लेकिन बल्लेबाज क्यों घरेलू मैच खेलने का मौका छोड़ते हैं। भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी हार चुकी है। 5 मैचों की सीरीज में टीम इंडिया सिर्फ एक मैच जीत पाए। एक मैच में बारिश ने बचा लिया तो 3 में हार झेलनी पड़ी। उससे पहले न्यूजीलैंड सीरीज में भी टीम को हार मिली थी। हर हार के बाद टेस्ट प्लेयर्स के घरेलू क्रिकेट में खेलने को लेकर सवाल उठता है। कुछ दिन चर्चा होती है और फिर मामला शांत हो जाता है। पूर्व क्रिकेटर बोलते रहते हैं लेकिन वर्तमान टीम का कोई खिलाड़ी इसपर ध्यान नहीं देता।
विराट के डेब्यू के बाद सचिन ने खेले ज्यादा रणजी मैच
विराट कोहली ने 2011 में भारत के लिए टेस्ट डेब्यू किया था। उसके बाद से वह सिर्फ एक रणजी ट्रॉफी मैच के लिए मैदान पर उतरे हैं। 2012 में यूपी के खिलाफ वह दिल्ली के लिए खेले थे। विराट के टेस्ट डेब्यू के समय सचिन तेंदुलकर की उम्र 38 साल की थी। 2013 में सचिन ने संन्यास ले लिया। विराट के डेब्यू के बाद सचिन ने 2013 तक 4 रणजी ट्रॉफी मैच खेले। सचिन ने विराट के आखिरी रणजी मैच के बाद भी इस टूर्नामेंट में खेला था। कप्तान रोहित शर्मा की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। 2013 में रोहित ने टेस्ट डेब्यू किया। हालांकि जल्द ही टीम से बाहर हो गए। 2019 में ओपनिंग में मौका मिलने के बाद टीम में उनकी जगह पक्की हुई। टेस्ट डेब्यू के बाद रोहित शर्मा ने भी सिर्फ एक ही रणजी मैच खेला है। उनका आखिरी मैच 2015 में था।
स्पिन नहीं खेल पा रहे भारतीय बल्लेबाज
एक समय था जब शेन वॉर्न और मुथैया मुरलीधरन जैसे गेंदबाज भारतीय बल्लेबाजों के सामने भीगी बिल्ली बन जाते थे। भारत के बल्लेबाज हमेशा से स्पिन के खिलाफ मजबूत माने जाते हैं। लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं है। घरेलू क्रिकेट नहीं खेलने का कारण है कि बल्लेबाज स्पिन के खिलाफ जूझते हैं। एजाज पटेल, टॉड मर्फी, शोएब बशीर और टॉम हार्डली जैसे स्पिनर के सामने भारतीय बल्लेबाजों की हालत खराब हो जाती है। यही वजह है कि भारतीय बल्लेबाजों के गिरते कौशल स्तर को देखते हुए महान सुनील गावस्कर अब डोमेस्टिक पर जोर देने लगे हैं, लेकिन उन्हें भूलना नहीं चाहिए कि खिलाड़ियों को ये कैंसर रूपी लत लगाने के पीछे भी तो वहीं या उनके जैसे क्रिकेट एक्सपर्ट्स हैं, जो खुलेआम पहले रोहित को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में अपने टेस्ट करियर पर फैसला लेने की बात करते हैं और जब रोहित को बाहर कर दिया जाता है तो कहते हैं कि यह तो कप्तान की बेइज्जती है।
आईपीएल से होने लगा है सिलेक्शन
दूसरी ओर, आईपीएल आने के बाद क्रिकेट में काफी पैसा आ गया है। जितना भारतीय खिलाड़ी पूरे साल लेकर नहीं कमा पाते थे, उससे ज्यादा 2 महीने में कमा लेते हैं। आईपीएल के एक सीजन में अच्छा प्रदर्शन टीम इंडिया में डेब्यू करवा देता है। वहीं घरेलू क्रिकेट में खिलाड़ी पसीना बहा देते हैं लेकिन कुछ नहीं होता। नीतीश कुमार रेड्डी को आईपीएल 2024 से पहले कोई नहीं जानता था। एक अच्छे आईपीएल सीजन ने उन्हें टेस्ट कैप दिलवा दिया। सूर्यकुमार यादव को सरफराज खान से पहले टेस्ट डेब्यू कैप मिलना इसके सबसे बड़े उदाहरण में एक है।
23 जनवरी से रणजी के मुकाबले
रणजी ट्रॉफी के मुकाबले 23 जनवरी से खेले जाने हैं। उस समय भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज खेल रही होगी। ऐसे में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ी खाली रहेंगे। तो क्या वो रणजी ट्रॉफी में हिस्सा लेंगे? दोनों का बल्ला लगातार शांत है। अगर अब भी ये दोनों रणजी ट्रॉफी में नहीं खेलते हैं तो एक बात तो पक्की है कि घरेलू क्रिकेट को हल्के में लेते हैं। इसके साथ ही इन्हें ये भी पता है कि फॉर्म कैसा भी हो, टीम इंडिया में तो जगह मिल ही जाएगी।