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‘मेरी नकल उतारते हो, तो सबसे जोर से मैं हंसता हूं’, जब शेखर सुमन के गालों पर थपकी देकर बोले PM वाजपेयी!

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कुणाल कामरा का नया वीडियो आलोचना है, कॉमेडी है या फिर उनका वीडियो प्रहसन के दायरे से निकलकर पॉलिटिकल स्टेटमेंट बन गया है. इस पर बहस जारी है. इस चर्चा के बीच बॉलीवुड अभिनेता और अपने जमाने के चोटी के कॉमेडियन रहे शेखर सुमन का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में तब मूवर्स एंड शेकर्स को होस्ट कर रहे शेखर सुमन ने बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके कॉमेडी शो पर क्या कहा था.

बता दें कि शेखर सुमन अपने शो में वाजपेयी की मिमिक्री को उम्दा अंदाज तक ले जाते थे. 1997 में शुरू हआ ये शो अपने तीक्ष्ण कटाक्ष के लिए गजब लोकप्रिय था. शेखर सुमन ने एक इंटरव्यू में वाजपेयी के साथ अपनी एक यादगार मुलाकात को याद किया है. जब वाजपेयी ने शेखर सुमन से कहा था, ‘तुम बहुत बढ़िया काम करते हो. इसे जारी रखो. और मैं तुम्हें बता दूं, जब तुम मुझ पर तंज कसते हो, तो मैं सबसे ज़ोर से हंसता हूं.’

शेखर सुमन ने सिद्धार्थ कन्नन के साथ एक इंटरव्यू में यह कहानी सुनाई. उन्होंने कहा, “लोग मुझसे पूछते थे, ‘आप प्रधानमंत्री की नकल कर रहे हैं, क्या वे नाराज नहीं होंगे?’ और मैंने कहा, ‘एक महान राजनेता की पहचान यह है कि वह दिन भर के काम में सब कुछ सह सकता है, बिना किसी झिझक के, बिना किसी परेशानी के. इसे दिनचर्या का हिस्सा माने, हल्के-फुल्के अंदाज में और हास्य की भावना के साथ… व्यंग्य, हास्य, बुद्धि और कॉमेडी में स्पष्ट अंतर होता है…”

उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि वाजपेयी इस शो को बड़ी उत्सुकता से देखते थे. एक उद्योगपति के बेटे का विवाह हो रहा था. जगह थी मुंबई की महालक्ष्मी रेस कोर्स. मुझे पता चला था कि वाजपेयी इस समारोह में आने वाले थे.

कॉमेडी-मिमिक्री के कई हिट शोज देने वाले शेखर ने कहा कि उन्होंने इस अवसर को हाथ से नहीं जाने दिया और पीएम से मिलने की कोशिश करने का फैसला किया. शेखर कहते हैं, “उन दिनों मैं काफी मशहूर था, मुझे सुरक्षा जांच में कोई परेशानी नहीं होती थी. लेकिन जैसे ही मैं वहां पहुंचा, वाजपेयी वहां से निकलना शुरू कर चुके थे. उनका काफिला चलना शुरू हो गया था. मैं बहुत निराश हो गया, मुझे नहीं पता था कि मुझे यह मौका दोबारा मिलेगा या नहीं.”

तभी शेखर सुमन ने सोचा कि वह महाराष्ट्र के नेता छगन भुजबल के बगल में जाकर खड़े हो जाएं. उन्हें उम्मीद थी कि जब वाजपेयी का काफिला उनके पास से गुजरेगा, तो वे उन्हें शायद देख लेंगे. शेखर आगे कहते हैं, “अब आप इसे एक फिल्म की तरह महसूस करें, मैं वहां खड़ा था, काफिला मेरी दिशा में आ रहा था. दोनों तरफ भारी भीड़ थी, हर जगह पुलिसवाले, तेज सायरन की आवाजें.”

इसके बाद आता है स्टोरी का क्लाईमैक्स. शेखर सुमन कहते हैं, “गाड़ी ठीक मेरे बगल में आकर रुकती है. चारों ओर हलचल मच जाती है, दरवाजा खुलता है, पीएम बाहर निकलते हैं, किसी को नहीं पता था कि आगे क्या होगा. वह धीरे-धीरे मेरी ओर चलने लगे. मैं 15 फिट दूर खड़ा था. मुझे लगा कि वह भुजबल की ओर जा रहे हैं. भुजबल को भी यही लगा कि वह उनके पास आ रहे हैं. लेकिन वाजपेयी मेरे पास आए और मुझे गले लगा लिया. मैं उस पल को कभी नहीं भूल सकता. उन्होंने मेरे गालों पर थपथपाया और कहा, “आप शानदार काम करते हैं. इसे जारी रखें. और मैं आपको बताऊं, जब आप मेरी नकल करते हैं, तो मैं सबसे जोर से हंसता हूं.”

शेखर ने कहा कि उस पल में उन्हें बहुत बड़ी उपलब्धि का एहसास हुआ, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, “क्या आप वाकई में किसी प्रधानमंत्री के बारे में सोच सकते हैं जो अपना काफिला रोककर ऐसा करे? बहुत लंबे समय तक मैंने इस कहानी को दोहराया नहीं, क्योंकि मुझे लगा कि यह डींग हांकने के बराबर होगा.”

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