चोट के बाद बजरंग पूनिया में नहीं दिख रही वो बात, क्या देश को दिला पाएंगे गोल्ड?

नई दिल्ली

तोक्यो ओलिंपिक से पहले रेसलर बजरंग पूनिया भारत के लिए गोल्ड की सबसे बड़ी उम्मीद माने जा रहे थे। ओलिंपिक से पहले बजरंग ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। इसके अलावा भी कई और इवेंट में अपना लोहा मनवा चुके थे। लेकिन इन सब के बीच जो लोग नियमित रूप से रेसलिंग को फॉलो करते थे, उन्हें पता था कि 65 किग्रा कैटेगरी कितनी मुश्किल थी।

रूस के टॉप सीड गडजिमुराद रशीदोव, जापान के 2018 विश्व चैंपियन ताकुतो ओटोगुरो, हंगरी के इस्जमेल मुज़ुकाजेव, अमेरिका के जॉन माइकल डायकोमिहालिस, अजरबैजान के हाजी अलीयेव और कजाकिस्तान के दौलेट नियाजबेकोव जैसे नाम। बजरंग सेमीफाइनल में अलीयेव से हार गए, लेकिन रेपचेज राउंड में नियाजबेकोव को हराकर ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर लिया।

ओलिंपिक से पहले उन्होंने खुद को चोटिल कर लिया था। टूर्नामेंट के दौरान भी उनका चोट साफ दिख रहा था। ओलिंपिक के शुरुआती राउंड के मुकाबले में वह प्रोटेक्टिव टेप लगाकर मैट पर उतर रहे थे। इसकी वजह से वह खुलकर विपक्षी से फाइट नहीं कर पा रहे थे, ब्रॉन्ज मेडल मैच में वह बिना किसी प्रोटेक्शन के साथ उतरे और जीत हासिल की। ओलिंपिक के बाद बजरंग ने करीब 7 महीने रिहैब किया था।

अभी वह अमेरिका के मिशिगन में ट्रेनिंग कर रहे हैं और वहीं से सीधा बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG 2022) में हिस्सा लेने पहुंचेंगे। इस साल अप्रैल में बजरंग ने एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। मई में कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल में उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी, लेकिन अंत में वह जगह बनाने में सफल रहे। अभी भी बजरंग अपने बेस्ट से काफी पीछे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने टाइटल को डिफेंड करना है तो फॉर्म के साथ ही आत्मविश्वास भी वापस हासिल करना होगा। हालांकि यहां उनके सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि जब 5 अगस्त को बजरंग मैट पर उतरेंगे तो गोल्ड के साथ ही वापस लौटेंगे।

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