BJP का स्टार बल्लेबाज TMC बॉलर की गुगली पर क्लीन बोल्ड, जानें TV डिबेट की पिच पर जोरदार भिड़ंत की कहानी

नई दिल्ली

शह-मात तो जीवन में लगा ही रहता है, लेकिन जिसके साथ जो बार-बार हो, उसकी छवि वैसी ही बन जाती है। देश के सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी की बहस-मुबाहिसों को लेकर एक जबर्दस्त छवि है। वो तथ्यों और तार्किक क्षमता के बल पर विरोधियों को अक्सर चित कर देते हैं। बहुत कम मौकों पर उन्हें निरुत्तर होते देखा जा सकता है। ऐसा ही मौका आज एक टीवी डिबेट में सामने आया जब सुधांशु के सवाल पर टीएमसी प्रवक्ता कीर्ति आजाद ने विपक्ष में रहने के दौरान संसद में बीजेपी सांसदों की अनुशासनहीनता का उदाहरण बता दिया। दरअसल, कीर्ति झा आजाद लंबे समय तक बीजेपी में रहे थे और पार्टी सांसद के नाते वो बीजेपी की ‘गुप्त रणनीतियां’ बनाने में भूमिका निभाते थे। यही वजह है कि आजाद ने बीजपी प्रवक्ता को निरुत्तर कर दिया। वो कहते हैं न, ‘घर का भेदी लंका ढाहे।’ खैर, क्या हुआ, आइए जानते हैं इस दिलचस्प वाकये के बारे में…

बीजेपी प्रवक्ता ने विपक्ष की मंशा पर उठाए सवाल
टीवी डिबेट का मुद्दा संसद में जारी गतिरोध का था। इस डिबेट शो में बीजेपी प्रवक्ता सुधांश त्रिवेदी के अलावा कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन, बीएसपी सांसद मलूक नागर और टीएमसी प्रवक्ता कीर्ति आजाद शामिल थे। सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने संसद सत्र से पहले ही रणनीति बना ली थी कि सदन में हंगामा करना है और चर्चा नहीं होने देनी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने हंगामे के लिए झूठे दावे तक किए।

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, ‘अंससंदीय शब्दों का शब्दकोष 1954 से बना हुआ है। 2010 से हर साल यह पुस्तक प्रकाशित हो रही है। उसे लेकर विपक्ष ने झूठ हल्ला मचा दिया कि पहली बार हुआ, इतने सारे शब्द जोड़ दिए गए। यह बिल्कुल झूठ था।’ उन्होंने कहा, ‘हर बार संसद सत्र शुरू होने से पहले एक आदेश जारी होता है कि संसद भवन में किसी प्रकार का धरना नहीं होगा। लुटियंस जोन में हर संसद सत्र के दौरान धारा 144 नियमित रूप से लागू हो जाती है। विपक्ष ने दूसरा झूठ बोला कि यह पहली बार किया जा रहा है।’

बीेजपी प्रवक्ता ने उठाया विपक्षी सांसदों के अमर्यादित व्यवहार का मुद्दा
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, ‘इसका मतलब है कि सत्र शुरू होने से पहले ही विपक्ष की मानसिकता था कि उन्हें कोई न कोई बखेड़ा खड़ा करते रहना है। इसीलिए सत्र शुरू होने के बाद दोनों सदनों के पीठासीन पदाधिकारियों ने खूब संयम बरता, फिर भी विपक्षी सांसदों ने अभद्र और अशोभनीय व्यवहार किया।’ बीजेपी प्रवक्ता ने विपक्ष पर आरोप मढ़ते हुए कुछ सवाल भी पूछ लिए। त्रिवेदी ने पूछा, ‘1952 में राज्यसभा बनी, तब से आज तक किस सत्र में ऐसा हुआ कि टेबल के ऊपर चढ़कर नृत्य किया गया हो? माइक उखाड़ दिए गए हों, फाइल पीठासीन पदाधिकारी की तरफ फेंक कर मारी गई हो और उपसभापति को लिखना पड़ गया कि हिंसक हमला हुआ? ऐसा कोई उदाहरण भारतीय संसद के इतिहास में बता सकते हैं?’

टीएमसी प्रवक्ता ने बताया, जब वो बीजेपी में थे तब क्या होता था
आजाद ने कहा, ‘जब मैं बीजेपी था। कॉमनवेल्थ गेम्स के मुद्दे पर एक महीने तक सदन में चर्चा नहीं होने दी थी। ऊसके बाद 2जी, कोलगेट, रॉबर्ट वाड्रा पर हमने चर्चा नहीं होने दी थी। हर बार हमारा यह कार्यक्रम होता था कि शुरू के 10-12 दिन कोई कार्य करने ही नहीं दें किसी को।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम भी इसी प्रकार से चर्चा मांगते थे और नहीं मिलती थी। फिर भी कई बार सदन का कार्य स्थगित करके चर्चा की। 2जी पर मैंने खुद लोकसभा के अंदर चर्चा शुरू की थी। कोलगेट पर सुषमा (स्वराज) जी ने शुरू की थी। यह कहना कि विपक्ष संसद नहीं चलने दे रहा है, यह स्ट्रैटिजी तो भारतीय जनता पार्टी पहले से ही बनाकर चलती थी।’

त्रिवेदी बोले- बीजेपी सांसद कभी अनुशासनहीनता नहीं करते थे
बीजेपी प्रवक्ता ने आजाद के दावों से सहमति जताते हुए कहा कि बीजेपी सांसद भी सदन की कार्यवाही बाधित किया करते थे, लेकिन अनुशासनहीनता का कोई उदाहरण देखने को नहीं मिलता था। उन्होंने कहा, ‘यह बिल्कुल सही है कि हमने विभिन्न मुद्दों पर संसद की कार्यवाही रोकी थी। लेकिन कीर्ति आजाद के बयान पूरी तरह सही नहीं हैं। मैं संशोधन कर देता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘सीडब्ल्यूजी, कोयला, 2जी पर हमने संसद की कार्यवाही रोकी थी। 2जी के ऊपर पूरा मॉनसून सत्र चला गया था, लेकिन हमारी मांग क्या थी- चर्चा कीजिए, सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं थी। कोर्ट ने जब संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर दी थी, तब मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था और सरकार के पास कोई विकल्प नहीं रह गया था चर्चा करवाने के सिवा।’

अपने इस सवाल में फंस गए सुधांशु त्रिवेदी
इसके आगे सुधांशु त्रिवेदी ने ऐसा सवाल किया जिसका जवाब मिला तो ऐसा लगा जैसे उनके पास कुछ कहने को नहीं बचा हो। त्रिवेदी निरुत्तर दिखे। उन्होंने पूछा, ‘हमारा आचरण कभी अमर्यादित रहा क्या? चाहे स्वर्गीय सुषमा स्वराज रही हों या स्वर्गीय अरुण जेटली- उनके नेतृत्व में एक उदाहरण बताइए जब हमारे सांसद टेबल के ऊपर चढ़ गए। एक उदाहरण बताइए जब नियम पुस्तिका को फाड़कर फेंका गया हो, एक उदाहरण बताइए जब फाइल चेयर पर फेंकी गई हो।’ उन्होंने आगे कहा, ‘विरोध करना है तो विरोध कीजिए, आप वेल में भी आ सकते हैं, लेकिन फाइल फेंकना, माइक तोड़ना, टेबल पर चढ़ना- ऐसा कोई उदाहरण बताइए तो हम स्वीकार करने को तैयार हैं।’

कीर्ती झा आजाद ने सुधांशु त्रिवेदी को किया क्लीन बोल्ड
जवाब में कीर्ति झा आजाद ने ऐसा बॉल फेंका कि त्रिवेदी क्लीन बोल्ड हो गए। पूर्व क्रिकेटर ने कहा, ‘यह सब हुआ। साथ ही, वहां स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे जी अध्यक्ष बने, वहां चेयर पर बैठे और इसके ऊपर चर्चाएं हुईं। यह अखबार के अंदर निकला, लोगों ने बताया कि हमने किस प्रकार से वहां अनुशासन तोड़ा। ये सारी चीजें हुईं। इसलिए सुधांशु जी यह कहने का प्रयास नहीं करें कि यह सब नहीं हुआ। यह सब हुआ।’ टीएमसी प्रवक्ता बोले, ‘मैं 1999 से संसद जा रहा हूं, तब सुधांशु जी वहां नहीं थे। मैंने स्ट्रैटिजी बनते हुए देखी है। मंगलवार को हम बैठते थे और सारा कार्यक्रम तय होता था। आज ये किस मुंह से दूसरों पर कीचड़ उछाल रहे हैं जब खुद ही सबकुछ कर चुके हैं।’

आजाद के जवाब से घिर गए त्रिवेदी
इस पर बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने यही बोल पाए कि हमने जिन मुद्दों पर हंगामे किए, कोर्ट के अंदर उन्हें स्वीकृति मिली। तब आजाद ने कहा कि यह अलग मामला, लेकिन यह मत कहिए कि संसद के अंदर बीजेपी ने अनुशासन नहीं तोड़ा था। त्रिवेदी को घिरा देख आजाद ने हमला बढ़ा दिया। उन्होंने कहा, ‘इन्होंने कहा था कि हम टेबल पर नहीं चढ़े थे, हमने कागज नहीं फेंके थे। मैंने इन्हें बताया कि हमने वहां बैठकर अलग से स्पीकर बनाया था- गोपीनाथ मुंडे बने थे और वहां पार्ल्यामेंट हुआ था और हमने सरकार की थू-थू की थी। इसके ऊपर इन्होंने जवाब नहीं दिया। इन्होंने दिशा बदल ली और बात को काटकर सीडब्ल्यूजी, 2जी की तरफ चले गए।’

सुधांशु त्रिवेदी का घिर जाएं, ऐसा कम ही होता है
दरअसल, कई बार ऐसा होता है कि त्रिवेदी विरोधियों के गंभीर सवालों में बुरी तरह घिरते दिखते हैं, फिर भी उम्मीद होती है कि अपनी बारी आने पर वो सारे प्रश्नों का तथ्यपरक उत्तर देकर सबको मात कर देंगे। अक्सर ऐसा होता भी है। लेकिन वो कहते हैं ना कि हर बाजी आप ही जीतें, यह तो नहीं हो सकता, भले ही आप कितने ही काबिल और कितने ही क्षमतावान क्यों न हों। इंसान हैं तो कभी ना कभी, कोई ना कोई कमी रह ही जाएगी, थोड़ी ही सही लेकिन गलती तो हो ही जाएगी। ऐसा ही हुआ सुधांशु त्रिवेदी के साथ एक निजी न्यूज चैनल पर डिबेट प्रोग्राम के दौरान।

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