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विजयवर्गीय, शिवराज… एक सप्ताह में एमपी के दो दिग्गज ‘OUT’, 2023 से पहले कुछ बड़ा होगा?

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भोपाल

2024 में लोकसभा चुनाव है। इससे पहले 2023 में हिंदी भाषी राज्यों के तीन बड़े राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। इसे लेकर बीजेपी में बदलाव (BJP) की शुरुआत हो गई है। बीजेपी की नजर अभी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर है। छत्तीसगढ़ में एक सप्ताह के अंदर दो बड़े बदलाव हुए हैं। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक के चेहरे बदल गए हैं। एमपी में भी सुगबुगाहट शुरू है। एक सप्ताह के अंदर एमपी के दो बड़े नेता राष्ट्रीय स्तर के संगठन में जिम्मेदारी से मुक्त कर दिए गए हैं। इनमें सबसे बड़ा चेहरा तो एमपी सीएम शिवराज सिंह चौहान का है। वहीं, पिछले दिनों बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल के प्रभारी पद से मुक्त कर दिया गया है। इन बदलावों से यह संकेत मिल रहा है कि 2023 से पहले एमपी में कुछ बड़ा होने वाला है।

एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान पहली वर्षों बाद बीजेपी संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति से बाहर कर दिए गए हैं। यह आम लोगों के एक लिए सामान्य खबर हो सकती है। लेकिन सियासी गलियारों में इसके अलग-अलग मायने ने निकाले जा रहे हैं। इसे 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर शिवराज सिंह चौहान को सबसे पावरफुल कमिटी से बीजेपी ने क्यों हटाया है। संसदीय बोर्ड ही पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले और किसी मुद्दे पर लाइन तय करती है।

2023 में बदल जाएगा चेहरा
दरअसल, एमपी चेहरा बदलने को लेकर कई बार चर्चाएं होती हैं। इन चर्चाओं पर संगठन के नेता विराम लगाते रहते हैं। कुछ महीने पहले भोपाल दौरे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आए थे। उनसे नेतृत्व परिवर्तन पर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा कि यहां सब कुछ ठीक है। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार अच्छा काम रही है। वहीं, 2023 में बीजेपी का चेहरा कौन होगा, इस सवाल पर बीजेपी के नेता सीधे जवाब नहीं दे पाते हैं। अब बीजेपी ने संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या 2023 में बीजेपी चेहरा बदलने की तैयारी में है?

कैलाश विजयवर्गीय नहीं हैं पश्चिम बंगाल के प्रभारी
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ही नहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से भी पश्चिम बंगाल का प्रभार ले लिया गया है। कैलाश विजयवर्गीय भी एमपी के कद्दावर नेता हैं। वह लगातार पश्चिम बंगाल में मेहनत कर रहे थे। विधनासभा चुनाव में हार के बाद वह पश्चिम बंगाल से दूर हैं। वह इन दिनों एमपी में ही सक्रिय हैं। पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ कई केस भी दर्ज हैं।

पश्चिम बंगाल का प्रभार उनसे ले लिया गया है। इसके बाद पार्टी की तरफ से उन्हें कोई नया काम नहीं दिया गया है। ऐसे में वह एमपी में ही एक्टिव है। अब कैलाश विजयवर्गीय के सियासी भविष्य को लेकर भी कई अटकलें हैं। क्या 2023 के चुनाव से पहले कैलाश विजयवर्गीय को राज्य में ही पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी।

2023 से पहले ये बदलाव क्यों?
15 सालों से अधिक वक्त से एमपी में शिवराज सिंह चौहान बीजेपी का चेहरा हैं। चौथी बार वह मुख्यमंत्री बने हैं। आज से ठीक एक साल बाद एमपी में विधानसभा चुनाव हैं। उससे पहले बीजेपी ने बदलाव क्यों किया। शिवराज के संसदीय बोर्ड से बाहर होने के बाद विरोधियों को उन्हें घेरने का मौका मिल गया है। इसके साथ ही एक निगेटिव छवि भी बनती है और दुष्प्रचार का मौका मिल जाता है। ऐसे में कयास यह भी लग रहे हैं कि क्या अभी से बीजेपी ने बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं।

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