नई दिल्ली
टैक्सपेयर्स को जोर का झटका लग सकता है। केंद्र सरकार पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था को खत्म कर सकती है। इसके साथ ही टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स में मिलने वाली छूट भी बंद हो जाएगी। अभी टैक्सपेयर्स के पास पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में से किसी एक को चुनने का अधिकार है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक सरकार पर्सनल इनकम टैक्स में एक ही स्कीम चाहती है। इसके लिए नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स की दर को कम किया जा सकता है। पुरानी टैक्स व्यवस्था बेहद जटिल है और इससे कई तरह के विवाद पैदा होते हैं। जानकारों का कहना है कि सरकार इनकम टैक्स व्यवस्था को आसान बनाना चाहती है और साथ ही मुकदमेबाजी में कटौती करना चाहती है।
केंद्रीय बजट 2020-21 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई टैक्स व्यवस्था की घोषणा की थी। इसमें छूट और कटौती के बिना टैक्स की दरें कम कर दी गई थीं। इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को नई और पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था में से कोई एक चुनने को विकल्प दिया गया था। लेकिन टैक्सपेयर्स ने नई व्यवस्था में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। 2021-22 एसेसमेंट ईयर के लिए 5.89 करोड़ टैक्सपेयर्स ने रिटर्न दाखिल किया है लेकिन इसमें पांच फीसदी से भी कम टैक्सपेयर्स ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किया था। यही वजह है कि सरकार इसे आकर्षक बनाने के लिए इसमें टैक्स रेट्स में कमी पर विचार कर रही है।
नई व्यवस्था से बेरुखी
मिंट ने अधिकारियों के हवाले बताया कि वित्त मंत्रालय नई इनकम टैक्स व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने के लिए इसके रेट्स में कमी करने पर विचार कर रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि नई इनकम टैक्स व्यवस्था को लेकर लोगों में उत्साह नहीं है। जो लोग पुरानी व्यवस्था में छूट ले रहे हैं, वे ऐसी व्यवस्था में क्यों जाना चाहेंगे जिसमें उनके लिए कोई इनसेंटिव नहीं है। देश में एक ही पर्सनल इनकम टैक्स स्कीम होनी चाहिए। टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर नई टैक्स व्यवस्था में दरों में कमी आती है, तो इससे नई व्यवस्था और आकर्षक हो जाएगी।
अधिकारी ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि टैक्स रेट्स में कमी करनी है या स्लैब्स पर नए सिरे से काम करना है। हमें टैक्स व्यवस्था को आसान बनाना होगा। इससे मुकदमेबाजी में कमी आएगी। जो लोग ज्यादा पैसा कमा रहे हैं, उन्हें ज्यादा टैक्स देना होगा। यह एक तरह से कॉर्पोरेट टैक्स व्यवस्था की तरह होगा। 2019 में सरकार ने इसे 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया था। लेकिन इसके साथ ही सारी छूट खत्म कर दी गई थी। इसी तर्ज पर सरकार पर्सनल इनकम टैक्स में भी एक ही स्कीम चाहती है। इसके लिए नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स की दर को कम कर दिया जाएगा और इसमें किसी तरह का कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलेगा।
पुरानी व्यवस्था में छूट
पुरानी टैक्स व्यवस्था में टैक्सपेयर्स को कई तरह की छूट मिलती है। इनमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) और आयकर अधिनियम, 1961 की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट शामिल है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत इंश्योरेंस, ईएलएसएस( ELSS), प्रॉविडेंट फंड, पीपीएफ और बच्चों के ट्यूशन फीस के साथ होम लोन के मूलधन पर टैक्स छूट (Tax Benefit) का लाभ ले सकते हैं। साथ ही दो लाख रुपये तक होम लोन के ब्याज पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है। साथ ही 50,000 रुपये के स्टैडर्ड डिडक्शन का भी लाभ मिलता है।