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Friday, November 14, 2025
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फीफा की चकाचौंध और अंधेरे में भारतीय मजदूर! भयानक गर्मी में 14 घंटे काम करवा रहा क्रूर कतर, दे रहा लालच

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दोहा

कतर में फीफा वर्ल्ड कप का आगाज हो चुका है लेकिन फुटबॉल फैंस के रहने के लिए कई कैबिन अभी भी अधूरे पड़े हैं। निर्माण पूरा करने के लिए प्रवासी मजदूरों को दिन में 14 घंटे काम करना पड़ रहा है। स्पोर्ट्समेल की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। करीब एक तिहाई फ्री जोन कॉम्प्लेक्स अभी भी निर्माणाधीन है। कई कैबिन अभी भी पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं। बड़ी संख्या में भारतीय मजदूर साइट पर काम कर रहे हैं जिन्हें एक दिन का सिर्फ 25 पाउंड मिलता है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जल्दी काम खत्म करने के लिए उनके बॉस 25 पाउंड बोनस का ऑफर दे रहे हैं।

Trulli

डेलीमेल की खबर के अनुसार, कतर की 30 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में काम कर रहे मजदूरों में से एक ने कहा, ‘वे हम से कह रहे हैं ‘जल्दी, जल्दी’। वे चार मजदूरों को बोनस देने वाले हैं। वे कह रहे हैं कि इस काम को पांच दिनों में पूरा करना है और कोई भी काम छोड़कर कहीं और नहीं जा सकता।’ मजदूर ने बताया कि वह सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक काम करता है जिस दौरान उसे सिर्फ एक घंटे का ब्रेक मिलता है।

एक रात के लिए 180 पाउंड का भुगतान
पूरी तरह तैयार कैबिन में रात गुजारने के लिए फैंस को 180 पाउंड प्रति दिन के हिसाब से भुगतान करना पड़ रहा है। लेकिन वे इनमें मिलने वाली सुविधाओं से संतुष्ट नहीं हैं। फैंस का कहना है कि ‘अगर आप 180 पाउंड का भुगतान करते हैं तो बेहतर गुणवत्ता की उम्मीद करते हैं।’ विदेशी मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार की वजह से अक्सर कतर की आलोचना होती रहती है। इससे पहले खबर आई थी कि प्रशासन ने राजधानी दोहा के उस इलाके में विदेशी श्रमिकों के अपार्टमेंट खाली करवा दिए हैं जहां वर्ल्ड कप के दौरान फुटबॉल फैंस रुकने वाले हैं।

आबादी का 85 फीसदी हिस्सा हैं विदेशी कामगार
विदेशों से आने वाले महिला और पुरुषों के लिए कड़े ड्रेसकोड नियम से लेकर स्टेडियम में बियर बैन तक, फीफा वर्ल्ड कप 2022 की मेजबानी कर रहा कतर लगातार विवादों में बना हुआ है। कतर की 30 लाख आबादी में से करीब 85 फीसदी विदेशी कामगार हैं। उनमें से कई ड्राइवर और दिहाड़ी मजदूर या कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं। कतर में ज्यादातर मजदूर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे एशियाई देशों से गए हैं।

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