रामलीला मैदान बरखेड़ा में श्रीमद्भागवत हरि कथा
भोपाल
बरखेड़ा रामलीला मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथाकार आचार्य मनोज अवस्थी ने कहा कि भारत राष्ट्र सभ्यता संस्कृति का जनक है। भगवान सदैव ही भारत में जन्म लेते रहे हैं और लेते रहेंगे, क्योंकि जन्म देने के लिए मां चहिए और संसार में भारत एकलौता देश है, जिसे मां कहकर पूजा जाता है। हमारे देश में गंगा माता, गीता माता के साथ साथ भारत माता की जय बोली जाती है।
वैश्विक महामारी के दौर में भी भारत एक जननी जैसे ही सारे संसार को आयुर्वेदिक औषधि दी और जाने कितने ही देशों को मुफ्त में कोरोना का टीका भी दिया। भारत सदा सर्वदा जन कल्याण करता रहा। हमारे देश में हमेशा यही नारा गूंजता है कि विश्व का कल्याण हो। धु्रव का चरित्र सुनते हुए आचार्य ने कहा कि ध्रुव के जीवन में उनकी मौसी गुरु हैं। ध्रुव को मौसी की बात लग गई और उन्होंने घर छोड़ दिया और तपस्या करने लगे।
आचार्य ने प्रियव्रत का चरित्र सुनते हुए कहा कि घर में रहना बुरी बात नहीं है, घर को अपने में रख लेना बुरी बात है। गृहस्थ हो, लेकिन ग्रहाशक्त न हो। जड़ भरत का चरित्र सुनाते हुए कहा भक्त का विश्वास अटूट होता है। 28 नर्कों की कथा सुनाते हुए आचार्य ने कहा कि जो लोग किसी जीव का मास खाते हैं, उन्हें कुम्भीपाक नामक नरक में यातनाएं मिलती हैं। अजामिल की कथा में महारज ने कहा हमको अपने घर में बच्चों के नाम भगवान के नाम पर रखना चाहिए।
कथा विश्राम के समय आचार्य ने प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाई और कहा कि बेटा-बेटी अगर संस्कारी हो तो वो हिरण्यकश्यप जैसे राक्षस को भी मुक्ति दिला सकती है। कथा सुनने श्रमश्री के अध्यक्ष रामबाबू शर्मा, विनोद गुप्ता डामर, बृजेश सिंह ट्रांसपोर्टर, डॉ. श्रीकांत अवस्थी, महेश मालवीय, आरएन बारस्कर, संतोष राव लिखितकर, जीआर कामतकर, एमआर दाते, रमेश धोटे, पदमाकर ठाकरे, नीलकंठ कामतकर, गणेश महाराज, डॉ. प्रकाश खाड़े, कमल चडोकार, डॉ. राजेश लिखितकर, कृष्णा लिखितकर, सुरेन्द्र धोटे, कुणाल ठाकरे, कुणाल बारस्कर, पवन दवन्डे, जयंत महाले, दुर्गेश गायकवा?, गुणवंत ठाकरे, साहेब राव ठाकरे, दिलीप लिखितकर, नवनीत राने, क्षितिज गलफट, नीलेश देशमुख, निशांत लिखितकर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।