इंदिरा गांधी ने ज्यूडिशियरी पर कब्जा करने की कोशिश की, मोदी सरकार ने तो 9000 करोड़ दिए- रिजिजू

नई दिल्ली

केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने शनिवार (28 जनवरी) को कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अदालतों और न्यायाधीशों की सुविधाओं में सुधार के लिए बहुत काम किया है, लेकिन फिर भी न्यायपालिका पर कब्जा करने का आरोप लगाया जा रहा है।

किसने न्यायपालिका को किया हाईजैक?
रिजिजू ने इंडिया टीवी के शो ‘आप की अदालत’ में एंकर रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए कहते हैं, “पीएम मोदी ने साढ़े आठ साल में जजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने, कोर्ट हॉल, वकीलों के चैंबर आदि बनाने का काम किया है। न्यायपालिका के लिए 9,000 करोड़ रुपये का फंड मंजूर किया गया है। किसी अन्य सरकार ने यह सब नहीं किया। फिर भी यह कहा जा रहा है कि हम न्यायपालिका को हाइजैक कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि उनकी सोच में समस्या है।”

रिजिजू ने यह भी कहा कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने न्यायपालिका को नियंत्रित करने का प्रयास किया था। वह कहते हैं, “कमिटेड ज्यूडिशियरी की बात इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते सामने आयी थी। वह ऐसा समय था जब एक वरिष्ठ न्यायाधीश की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर दिया गया था और एक जूनियर को वरिष्ठ बना दिया गया था। न्यायपालिका को नियंत्रित किया गया था और वे अब हमें दोष देते हैं।”

कानून मंत्री ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई गोपनीय जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए था।कॉलेजियम ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के उन बयानों को प्रकाशित किया था, जिसके आधार सरकार कॉलेजियम की कुछ सिफारिशों का विरोध कर रही है। कॉलेजियम ने अपने प्रस्तावों में सरकार द्वारा बताए गए कारणों पर विस्तृत प्रतिक्रिया भी दी थी।

जब रजत शर्मा ने रिजिजू से कहा कि न्यायाधीशों का मानना है कि खुफिया एजेंसियों के बयान को प्रकाशित करना पारदर्शिता है, तो कानून मंत्री जवाब दिया, “पारदर्शिता का पैमाना अलग-अलग होता है। कुछ चीजें राष्ट्रीय हित में होती हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए और कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें सार्वजनिक तौर पर कहा जाना चाहिए। यह नियम स्पष्ट है।”

सौरभ कृपाल के सवाल पर क्या बोले रिजिजू?
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित खुफिया एजेंसियों के बयान के मुताबित, सरकार को वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल के नाम पर आपत्ति है। कॉलेजियम ने सौरभ कृपाल का नाम दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने के लिए भेजा है। लेकिन सरकार को उनके समलैंगिक होने से आपत्ति है। साथ ही सौरभ के पार्टनर का स्विस नागरिक होना भी आपत्ति की एक वजह है।

सौरभ कृपाल की नियुक्ति के सवाल पर किरन रिजिजू ने कहा है कि, “न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया गोपनीय है। कुछ चीजें हैं जिन पर हम सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार ऐसी चीजें सार्वजनिक डोमेन में नहीं होनी चाहिए। इन चीजों को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सार्वजनिक डोमेन में लाया है। मैं इस पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता। मैं इसे उचित मंच पर एड्रेस करूंगा।”

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