भोपाल
भेल में इन दिनों प्रतिनिधि यूनियन के नेताओं ने प्रबंधन के हर काम को प्रतिष्ठा का प्रश्र बना रखा है । चाहे वो सवा तीन करोड़ लागत की टाउनशिप की सड़का का मामला हो या फिर रिवार्ड स्कीम व कर्मचारियों की अन्य मांगों को लेकर ज्वाइंट कमेटी की बैठक की तारीख का हो । इसको लेकर एचएमएस और बीएमएस प्रतिष्ठा का प्रश्र बनाये हुये है । दरअसल एचएमएस के महामंत्री अमर सिंह राठौर ने कुछ माह पहले ही भेल के चेयरमेन से मिलकर कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिये ज्वाइंट कमेटी की बैठक जल्द किये जाने की मांग की थी इस पर उन्हें अगले माह जेसीएम की बैठक किये जाने का भरोसा भी दिलाया गया। साथ ही रिवार्ड स्कीम की जगह इन्सेटीव स्कीम का लाभ दिये जाने की मांग पर भी ठप्पा लगा दिया था। लेकिन हाल ही में बीएमएस यूनियन ने दिल्ली पहुंच कर चेयरमेन से मुलाकात कर जेसीएम की तारीख जल्द तय करने का भरोसा लेकर अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था। बस इसी को लेकर एचएमएस ने सोशल मीडिया पर पुरानी प्रेस की कटिंग के माध्यम से कहना शुरू कर दिया कि यह काम तो हमारी यूनियन ने पहले ही कर दिया था। इसको लेकर कर्मचारी असमंजस की स्थिति में है कि सही क्या है और गलत क्या है । यह सही है कि अपने नाम का ठप्पा लगाने के लिये की यह काम हमारी यूनियन ने कराया है कि होड़ शुरू हो गई है । हालांकि प्रबंधन यूनियनों के साथ सांप-सीढ़ी का खेल खेल रहा है बेचारे कर्मचारी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर उनकी मांगों का क्या होगा। अब तो सिर्फ वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद अगले माह सबको ज्वाइंट कमेटी की बैठक का इंतजार है ।