नई दिल्ली
कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद अब राजनीतिक गलियारों में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनावों की चर्चा है। इन राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होंगे। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में है जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति की सरकार है और मिज़ोरम में मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) का शासन है।
किस राज्य के क्या हैं सियासी समीकरण
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के 15 साल का लंबा शासन 2018 में कांग्रेस के सत्ता में काबिज होने के बाद हो गया था। जब कांग्रेस ने शानदार जीत करते हुए 90 में से 68 सीट हासिल की थी जबकि भाजपा को सिर्फ 15 विधानसभा सीटें जीतीं थी।
छत्तीसगढ़ में 2008 और 2013 में चुनाव बेहद दिलचस्प हुए थे जब भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में सिर्फ एक प्रतिशत का अंतर था। बीजेपी दोनों बार जीती थी। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का भी छत्तीसगढ़ में प्रभाव रहा है। पार्टी को 2008 में छह फीसदी और 2013 और 2018 दोनों में चार फीसदी वोट मिले थे।छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीट हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा सत्ता में वापसी कर पाएगी या कांग्रेस का शासन बरकरार रहने वाला है।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस के बीच बेहद दिलचस्प चुनावी लड़ाई रही है। भाजपा ने 2004 से राज्य पर शासन किया है (दिसंबर 2018 और मार्च 2020 के बीच के 15 महीनों को छोड़कर)। यहां के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं सिर्फ इसलिए नहीं कि यह मौजूदा सरकार है बल्कि इसलिए भी कि 1990 के दशक की शुरुआत में जब भाजपा बढ़ रही थी यह वह राज्य है जहां पार्टी को भारी समर्थन मिला था।
2008 और 2013 में बीजेपी ने सीट शेयर और वोट शेयर दोनों के मामले में कांग्रेस पर भारी जीत का आनंद लिया। 2008 में, बीजेपी के पास छह प्रतिशत वोट शेयर की बढ़त थी और कांग्रेस की जीत से दोगुनी सीटें जीती थीं। 2013 में, भाजपा के पास नौ प्रतिशत अधिक वोट थे और कांग्रेस को लगभग तीन गुना सीटें मिलीं।
हालांकि 2018 में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को लगभग बराबर वोट (41 फीसदी) मिले थे। किसी भी पार्टी ने 115 विधानसभा सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार नहीं किया था हालांकि कांग्रेस की सीट 114 भाजपा की 105 थीं।देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनाव में क्या होता है। आखिरकार अगर दोनों पार्टियां 2018 की तरह प्रदर्शन करती हैं तो मुकाबला बेहद करीबी होगा।
राजस्थान
राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं। राजस्थान को लेकर कहा जाता है कि यहां हर बार सत्ता बदल जाती है और प्रत्येक पांच वर्ष कांग्रेस या भाजपा सत्ता पर काबिज होती है। राज्य में कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास मजबूत कैडर और मतदाता आधार है। वर्तमान में कांग्रेस अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य में शासन कर रही है।
गौरतलब है कि बीजेपी जब राजस्थान में जीतती है तो बड़ी जीत हासिल करती है लेकिन कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं है। 2013 में भाजपा ने कुल 200 में से 163 सीटों पर 45 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल की थी और कांग्रेस महज 21 विधानसभा सीटों पर सिमट गयी थी।
कांग्रेस ने 2008 और 2018 में जीत हासिल की थी लेकिन दोनों बार पार्टी की जीत का अंतर बहुत कम था। 2008 और 2018 में कांग्रेस ने 101 सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार नहीं किया था। हालांकि अन्य (बसपा और निर्दलीय उम्मीदवारों) की मदद से पार्टी ने राज्य में सरकार बनाई थी। वोट शेयर का अंतर 2008 में तीन प्रतिशत और 2018 में एक प्रतिशत से भी कम था।
तेलंगाना
तेलंगाना का गठन एक लंबी राजनीतिक लड़ाई का परिणाम था। राज्य का जन्म 2014 में हुआ था जब यह आंध्र प्रदेश से अलग हुआ था। इसके गठन के बाद से यह भारत राष्ट्र समिति द्वारा शासित है जिसे पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति के नाम से जाना जाता था। राज्य में 119 विधानसभा सीटें हैं और टीआरएस ने 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में 47 प्रतिशत वोटों के साथ 88 सीट पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस राज्य में एक विपक्षी पार्टी है और 2018 में 19 सीटें जीतकर पार्टी ने 28 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे।
तेलंगाना में भाजपा एक मामूली खिलाड़ी है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा को महज सात फीसदी वोट मिले थे। लेकिन पिछले हैदराबाद नगर निगम चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सभी को चौंका दिया था और एक अच्छा वोट शेयर प्राप्त किया था। साथ ही राज्य के कुछ उपचुनावों में बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले हैं। भाजपा की नज़र आगामी चुनाव पर टिकी है।
मिजोरम
40 सदस्यीय विधानसभा वाले मिजोरम में 2018 से मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) का शासन है। राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और कांग्रेस के बीच लंबे समय से लड़ाई चली आ रही है। 2008 से 2018 के बीच राज्य में कांग्रेस का शासन था। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में एमएनएफ ने 38 फीसदी वोट शेयर के साथ 27 सीटें जीती थीं। पार्टी को बहुमत तो नहीं मिला लेकिन एमएनएफ ने अन्य पार्टियों की मदद से सरकार बनाई थी।