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बीजेपी सांसदों के अधूरे वादों को भुनाने की तैयारी में अखिलेश यादव, SP का पूरा प्‍लान जान लीजिए

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लखनऊ

समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में संगठन की जमीन मजबूत करने के साथ ही सत्ता के पांव खिसकाने के लिए उनकी जमीन कमजोर करने की हर संभावना पर काम कर रही है। प्रचार आक्रामक हो और सवाल सरकार को परेशान करने वाले, इसके लिए सपा हर लोकसभा के सांसद का रिपोर्ट कार्ड बनाएगी, जिसमें उनके अधूरे वादों और जन अपेक्षाओं का हिसाब होगा। चुनाव में सपा के नेता और कार्यकर्ता इसे मुद्दा बनाकर जनता से समर्थन मांगेंगे।

सपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि 2024 में सत्तारूढ़ भाजपा जब चुनाव में उतरेगी तो उसकी सरकार के 10 साल पूरे हो चुके होंगे। वादों को पूरा कराने व विकास कार्यों के लिए एक दशक का समय काफी होता है। ऐसे में इस चुनाव में उसे कामकाज का जमीन पर हिसाब देना होगा। भावनात्मक मुद्दों के उभार में बुनियादी सवाल गायब करने की कोशिशें सफल न हो इसके लिए सपा के पदाधिकारी-कार्यकर्ता आक्रामक रूप से जमीन पर काम करेंगे। हम जो मुद्दे उठाएं जनता का सरोकार उसे जुड़े और सत्ता का नाकामियों को ठीक से समझ सके इसके लिए जमीन पर होमवर्क और फीडबैक जरूरी है। स्थानीय मुद्दे मतदाता को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। यही वजह है कि राष्ट्रीय मसलों पर नाकामियों को चिह्नित करने के साथ ही लोकसभावार भी हम सत्ता पक्ष के सांसदों के काम-काज का लेखा-जोखा तैयार कर रहे हैं।

जिला और महानगर अध्यक्षों को जिम्मेदारी
सूत्रों के अनुसार सपा मुखिया अखिलेश यादव के निर्देश पर सभी जिलाध्यक्षों व महानगर अध्यक्षों को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एक फॉर्मेट दिया गया है। उन्हें उसमें शामिल सवालों के जवाब तलाश कर नेतृत्व को भेजने होंगे। जो फॉर्मेट भेजा जाएगा, उसमें पदाधिकारियों के साथ ही सर्वे करने वाले व्यक्ति का भी पूरा ब्योरा होगा, जिससे इसे क्रॉस चेक किया जा सके। चुनाव में सत्ता की असफलताओं का खाका रखने के साथ ही जनसमर्थन के लिए जनता की अपेक्षाओं को भी समझना जरूरी है। इसलिए रिपोर्ट में नए सांसद से जनता की उम्मीदों का कॉलम अलग से रखा गया है। खास बात यह है कि इसमें महंगाई, बेरोजगारी, असुरक्षा जैसी सामान्य अपेक्षाओं को शामिल नहीं किया जाएगा। एक जिलाध्यक्ष ने बताया कि नेतृत्व का कहना है कि यह ‘कॉमन’ मुद्दे हैं, जिस पर तो बात होगी ही। क्षेत्रवार विशिष्ट अपेक्षाओं व जरूरतों का खाका तैयार करना है, जिसे प्रत्याशी के चुनावी अभियान में इसे शामिल किया जा सके।

जमीन का भी बताएंगे हाल
जिलों से जो लोकसभावार रिपोर्ट मांगी गई है, उसमें जमीन गणित व समीकरण को समझने पर भी जोर है। पिछले चुनावों की समीक्षा में कई सीटों पर यह बिंदु निकलकर आए कि चेहरे के चयन या रणनीति बनाने में स्थानीय समीकरणों को समझने में चूक हुई। इससे चुनाव में नुकसान हुआ इसलिए लखनऊ में बैठकर स्थानीय अजेंडा तय करने के बजाय उसका विकेंद्रीकरण किया जाएगा। इसलिए जिला व महानगर के पदाधिकारियों से चुनाव को लेकर अपनी राय भी भेजने को कहा गया है। यह राय पार्टी, संगठन के स्वरूप या चुनाव के जमीनी समीकरण सहित किसी भी ऐसे बिंदु पर हो सकती है, जो 2024 की राह बेहतर बनाने में काम आए।

इन बिंदुओं पर मांगी गई रिपोर्ट
मौजूदा सांसद के 5 प्रमुख काम या उपलब्धियां
सांसद के 5 अहम वादे जो जमीन पर नहीं उतरे
नए सांसद से संसदीय क्षेत्र की जनता की उम्मीदें
चुनाव को लेकर स्थानीय समीकरणों को लेकर सलाह

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