नई दिल्ली
नॉन प्रॉफिट मीडिया संस्था OCCRP ने गौतम अडानी के बाद अनिल अग्रवाल को निशाना बनाया था। अमेरिकी अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस के समर्थन वाली इस संस्था ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने कोरोना महामारी के दौरान पर्यावरण कानूनों को कमजोर करने के लिए गुपचुप तरीके से लॉबिंग की थी। लेकिन इन आरोपों के बावजूद वेदांता का शेयर हफ्ते के आखिरी दिन शुक्रवार को तेजी के साथ बंद हुआ। कंपनी का शेयर बीएसई पर 1.64 फीसदी तेजी के साथ 236.15 रुपये पर बंद हुआ। यानी OCCRP एक तरह से वेदांता के लिए वरदान साबित हुई। इसी तरह गौतम अडानी ने भी शानदार वापसी की है। OCCRP ने अडानी ग्रुप पर भी आरोप लगाए थे। इससे गुरुवार को ग्रुप के शेयरों में गिरावट आई थी लेकिन शुक्रवार को बाजी पलट गई।
OCCRP ने एक लेख में यह दावा किया था कि कोरोना महामारी के दौरान जनवरी, 2021 में वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से कहा था कि सरकार को माइनिंग कंपनियों को नए एनवायरमेंटल क्लीयरेंस हासिल किए बिना 50 परसेंट उत्पादन बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए। इससे देश में इकॉनमिक रिकवरी की रफ्तार तेज हो सकती है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया था कि वेदांता की ऑयल कंपनी केयर्न इंडिया ने भी ऑयल ब्लॉक्स में एक्सप्लोरेटरी ड्रिलिंग के लिए जन सुनवाई को खत्म करने के लिए सफल लॉबिंग की थी।
गौतम अडानी की वापसी
इससे पहले OCCRP ने गौतम अडानी के अगुवाई वाले अडानी ग्रुप को भी निशाना बनाया था। उसने दावा किया था कि अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से खुद अपने शेयर खरीदकर स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर का निवेश किया। हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है। लेकिन इस कारण गुरुवार को अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। मगर शुक्रवार को अडानी ग्रुप ने धमाकेदार वापसी की। ग्रुप के अधिकांश शेयरों में हफ्ते के आखिरी दिन 2.8 फीसदी तक तेजी आई। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद दो दिन में अडानी ग्रुप का 22 परसेंट मार्केट कैप स्वाहा हो गया था जबकि OCCRP की रिपोर्ट आने के बाद ग्रुप का मार्केट कैप दो दिन में दो परसेंट गिरा है। शुक्रवार की तेजी से अडानी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में एक स्थान चढ़कर 21वें नंबर पर पहुंच गए हैं।