जिस KOO में दिखी थी X का देसी वर्जन बनने की कुव्‍वत, वो गिरा रही शटर, ‘पीली च‍िड़‍िया’ ने क्‍यों तोड़ा दम?

नई दिल्‍ली:

सोशल मीडिया दिग्गज ट्विटर (अब X) के भारतीय जवाब के रूप में पेश किए गए घरेलू प्‍लेटफॉर्म KOO को अपना परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। फाइनेंस की चुनौतियों के कारण ऐसा हुआ है। KOO के सह-संस्थापकों ने बुधवार को परिचालन बंद करने की घोषणा कर दी। उन्‍होंने कहा कि साझेदारी के नाकाम प्रयासों और पैसा जुटाने में आ रही समस्याओं से यह स्थिति पैदा हुई है। इस ऐलान के साथ ही KOO के कारोबार पर पर्दा गिर गया। भारत में इसकी लोकप्रियता 2021 के आसपास ट्विटर के साथ भारत सरकार के विवादों के दौरान काफी तेजी से बढ़ी थी। उस समय कई केंद्रीय मंत्रियों, राजनेताओं और सरकारी विभागों ने भी KOO पर अपने अकाउंट खोले थे।

अपने तेज विकास के दिनों में कू के साथ लगभग 21 लाख दैनिक ऐक्टिव यूजर और लगभग एक करोड़ मासिक ऐक्टिव यूजर जुड़े हुए थे। उस समय इसे टाइगर ग्लोबल, एक्सेल, 3वन4 कैपिटल और कलारी कैपिटल जैसे प्रमुख निवेशकों का समर्थन मिला हुआ था।हालांकि, लंबे समय तक वित्त जुटाने में समस्याएं पेश आने और अधिग्रहण को लेकर बातचीत नाकाम रहने का कू के परिचालन पर प्रतिकूल असर पड़ा। यह घटते यूजर बेस से जूझता रहा और पिछले साल कर्मचारियों की छंटनी भी की गई थी।

सह-संस्थापकों ने क‍िया ऐलान
सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने नेटवर्किंग प्‍लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा कि कू जनता के लिए अपनी सेवाएं बंद कर देगी। इसकी ‘छोटी पीली चिड़िया’ अंतिम विदाई दे रही है। पीली चिड़िया कू का प्रतीक चिह्न (लोगो) है।दोनों सह-संस्थापकों ने लिखा, ‘हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ साझेदारी की संभावना तलाशी, लेकिन इन वार्ताओं से मनचाहा परिणाम नहीं निकल पाया।’

सह-संस्थापकों ने कहा कि वो इस ऐप को चालू रखना चाहते थे लेकिन इसके लिए जरूरी प्रौद्योगिकी सेवाओं की लागत अधिक है। लिहाजा, इसके बारे में फैसला करना काफी कठिन था।उन्होंने कहा कि कू को ‘अभिव्यक्ति को लोकतांत्रिक बनाने’ और लोगों को उनकी स्थानीय भाषाओं में बेहतर तरीके से जोड़ने के लिए ‘बहुत मन से’ बनाया गया था। यह मंच अपने सुनहरे दिनों में हिंदी, तेलुगु, तमिल, बंगाली, गुजराती, मराठी, असमिया और पंजाबी जैसी कई भारतीय भाषाओं का समर्थन करता था।

तब भारत में ट्विटर को पीछे छोड़ने के करीब…
सह-संस्थापकों ने कहा कि कू वर्ष 2022 में ट्विटर को भारत में पीछे छोड़ने के करीब पहुंचता नजर आ रहा था। लेकिन, पूंजी के अभाव में इस महत्वाकांक्षी अभियान को रोकना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘अधिकांश वैश्विक उत्पादों पर अमेरिकियों का दबदबा है। हमारा मानना है कि भारत को भी इस क्षेत्र में जगह मिलनी चाहिए।’

कू के दोनों संस्थापकों ने कहा, ‘हमने जो बनाया है वह वाकई शानदार है। हमें इनमें से कुछ संपत्तियों को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ साझा करने में खुशी होगी, जिसके पास सोशल मीडिया में भारत के प्रवेश के लिए एक बेहतर दृष्टिकोण है।’

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