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Tuesday, November 4, 2025
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मणिपुर सरकार: पीएम ने किया बचाव, सुप्रीम कोर्ट बोला- हमें भरोसा नहीं

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नई दिल्ली

विपक्ष द्वारा मणिपुर संकट को लेकर एनडीए सरकार पर लगातार अटैक के बीच पीएम मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि उनकी सरकार राज्य में शांति बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के जवाब के दौरान प्रधानमंत्री ने उच्च सदन को बताया कि मणिपुर में अब तक 11,000 FIR दर्ज की गई हैं और 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष को राजनीति से ऊपर उठने के लिए कहते हुए पीएम मोदी ने कहा, “कुछ तत्व आग में घी डाल रहे हैं और ऐसे तत्वों को मणिपुर के लोग खारिज कर देंगे।” उन्होंने आगे कहा, “मणिपुर में हालात को स्थिर करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। पिछली सरकारों के दौरान ऐसा नहीं हुआ कि केंद्रीय गृह मंत्री कई दिनों तक वहां रुके हों। गृह राज्य मंत्री कई हफ्तों तक वहां रहे और हितधारकों के साथ बातचीत की।”

मणिपुर पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस बात पर हैरानी जताई कि मणिपुर सेंट्रल जेल में एक विचाराधीन कैदी को सिर्फ इसलिए मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल नहीं ले जाया गया क्योंकि वह कुकी समुदाय से है।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जजल भुइयां की अवकाश पीठ ने मणिपुर सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “माफ करें वकील, हमें राज्य पर भरोसा नहीं है। आरोपी को अस्पताल नहीं ले जाया गया क्योंकि वह कुकी समुदाय से है? दुखद! हम उसकी अब जांच करने का निर्देश देते हैं। अगर मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कुछ गंभीर है तो हम आपके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।”

केंद्रीय बजट आने से पहले मणिपुर सरकार ने कुछ मांगों के साथ केंद्र से संपर्क किया है जिसमें राज्य के लिए निर्धारित 10% से अधिक अतिरिक्त धन की मांग, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत एक विशेष परियोजना के रूप में हिंसा प्रभावित पीड़ितों के लिए 5,000 आवासों के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। इसके साथ ही सुरक्षा से संबंधित खर्च के लिए धन आवंटन बढ़ाने की मांग की गयी है।

द इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, राज्यों और केंद्र के बीच बजट से पहले बैठक के दौरान इन मुद्दों को वित्त मंत्रालय के सामने रखा गया था। राज्य की प्रमुख मांगों में से एक बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण, विशेष रूप से हिंसा में क्षतिग्रस्त हुए घर है। राज्य इसके लिए गृह मंत्रालय के भी संपर्क में है और उसने इस जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्रीय बजट में पर्याप्त धन की मांग की है।

मणिपुर द्वारा की गई अन्य मांगों में प्रोफेशनल टैक्स की ऊपरी सीमा को 2,500 रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति वर्ष करना और राज्य के लिए विशेष सहायता योजना जारी रखना शामिल है। राज्य ने इस योजना के तहत जारी धन के उपयोग के लिए 31 जुलाई तक समयसीमा बढ़ाने की भी मांग की है। राज्य का कहना है कि हिंसा और अशांति के कारण माल और लोगों की आवाजाही प्रभावित हुई है, जिसके कारण परियोजनाओं की धीमी प्रगति हुई है।

अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर ने सुरक्षा व्यय पर खर्च की गई धनराशि का शीघ्र भुगतान भी इस आधार पर मांगा है कि पिछले वित्तीय वर्ष से सुरक्षा खर्च में काफी वृद्धि हो रही है और राज्य पर वित्तीय दबाव पड़ रहा है।

कांग्रेस सांसद का मणिपुर को लेकर पीएम मोदी पर हमला
इनर मणिपुर से पहली बार कांग्रेस सांसद बने अंगोमचा बिमोल अकोइजम ने सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण में मणिपुर का कोई जिक्र न होने की ओर ध्यान आकर्षित किया था। अकोइजम ने अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कहा था, “यह कोई साधारण अनुपस्थिति नहीं है। यह राष्ट्र-चेतना की याद दिलाता है जिसमें लोगों को शामिल नहीं किया गया है।” उन्होंने लोकसभा में कहा, “जिस क्षण प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी तोड़ेंगे और राष्ट्रवादी पार्टी कहेगी कि मणिपुर भारत का हिस्सा है और हम उस राज्य के लोगों की परवाह करते हैं, मैं चुप हो जाऊंगा।”

मणिपुर में पिछले महीने फिर भड़की हिंसा
मणिपुर में पिछले महीने हिंसा की आग एक बार फिर भड़क गयी जब सोइबम शरतकुमार सिंह नाम का एक शख्स मृत पाया गया, उसके शरीर पर किसी नुकीली वस्तु से चोट के निशान थे। जिसके बाद असम की सीमा से लगे मणिपुर के जिरीबाम जिले में तनाव बढ़ गया। सशस्त्र उपद्रवियों की भीड़ ने दो पुलिस चौकियों और एक वन बीट कार्यालय सहित कई घरों और कुछ सरकारी कार्यालयों को आग लगा दी।

मोंगबुंग, लमलाई खुनौ और आसपास के गांवों के 230 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर भाग गए और जिरीबाम जिला मुख्यालय में राहत शिविरों में शरण ली। जिरीबाम में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सुरक्षा काफिले पर भी हमला हुआ। सशस्त्र उपद्रवियों द्वारा दो पुलिस चौकियों, एक वन बीट कार्यालय और एक समुदाय के कई घरों को आग लगाने के बाद जिरीबाम में भड़की हिंसा के बाद लगभग 70 घरों को आग लगा दी गई और लगभग 2,000 लोग विस्थापित हो गए।

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