भोपाल
तमाम जद्दो जिहाद और सैकड़ो धरने और प्रदर्शनों के बाद सरकार ने 10 वर्ष के बाद वेतन पुनरीक्षण समिति की सिफारिश के आधार पर अप्रैल 2019 के बजाय अप्रैल 2024 से न्यूनतम वेतन की घोषणा की थी उस पर भी कुछ कारखाने मालिकों के पेट में दर्द हुआ और उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ से न्यूनतम वेतन न दिया जाए इसके लिए स्टेट लिया था सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी और प्रदेश महासचिव प्रमोद प्रधान द्वारा उक्त स्टेट के खिलाफ सीटू की ओर से पूरे प्रदेश भर में सरकार पर दबाव पैदा करने के लिए लगातार प्रदेश के जिलाधीश और श्रम विभाग के ऑफिसों पर धरने दिए और इसके साथ-साथ इंदौर हाई कोर्ट में सीटू इंटरवीन बनी सीटू के प्रबुद्ध अधिवक्ता बाबूलाल नागर ने हाई कोर्ट में न्यूनतम वेतन के सवाल पर मजदूरों का पक्ष बखूबी रखा आज हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के माननीय न्यायाधीश श्री विवेक रुसिया और माननीय न्यायाधीश गजेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्टे को खारिज कर दिया यह मजदूरों की एक ऐतिहासिक जीत है। सीटू नेता रामविलास गोस्वामी और प्रमोद प्रधान ने मध्य प्रदेश की सरकार और मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त से मांग करते हुए कहा कि यह स्थगन एक अप्रैल से हो रहे भुगतान के खिलाफ था जो खारिज हो गया है अब 1 अप्रैल 2024 से श्रमिकों का एरियर सहित भुगतान सुनिश्चित करायें।