नई दिल्ली,
सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक बयानबाजी में इन दिनों सरकारी बंगलों का काफी जिक्र हो रहा है. वैसे दिल्ली के सरकारी बंगले आज से नहीं, कई सालों से चर्चा का विषय रहे हैं. दरअसल, दिल्ली में एक इलाका है, जिसे लुटियंस दिल्ली भी कहा जाता है, जहां के सरकारी बंगलों की सबसे ज्यादा डिमांड होती है. देश के दिग्गज नेताओं से लेकर बड़े सरकारी अफसर, जज भी यहां बंगला लेना चाहते हैं.
ऐसे में जानते हैं कि सरकारी बंगलों की इस दुनिया के बारे में, जहां कई रेंज के बंगले हैं, जिन्हें पद और सीनियरिटी के आधार पर अलॉट किया जाता है. साथ ही जानते हैं कि ये बंगले कौन अलॉट करता है, किस बंगले में क्या खास है और आखिर उन बंगलों का किराया कितना है…
पहले जानते हैं लुटियंस दिल्ली के बारे में…
दिल्ली का ये वो इलाका है, जिसे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था और इनके नाम पर ही इसे लुटियंस दिल्ली कहा जाता है. इसी इलाके में ही इंडिया गेट, कई सरकारी भवन, राष्ट्रपति भवन आदि हैं. यह इलाका अपने भव्य भवनों, चौड़ी सड़कों और हरे-भरे बागों के लिए प्रसिद्ध है. इसमें ही नेताओं और सरकारी अधिकारी, जजों के सरकारी घर हैं, जिसे लुटियंस बंगला जोन कहा जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां 3000 से ज्यादा सरकारी घर (बंगले और फ्लैट) हैं और उसके अलावा करीब 600 प्राइवेट बंगले भी हैं.
कितने तरह के हैं घर?
सरकारी लोगों के लिए यहां 17 तरह के घर हैं, जिसमें बंगले, फ्लैट और हॉस्टल शामिल हैं. इसमें टाइप-7 और टाइप-8 के बंगलों की सबसे ज्यादा डिमांड होती है. अगर टाइप-7 और टाइप-8 घरों की बात करें तो ये लुटियंस में इस तरह के 520 घर हैं. इनमें 319 घर टाइप-7 के हैं और 201 घर टाइप-8 के बंगले हैं. इन सरकारी बंगलों में भी कई तरह के कोटे हैं, जिसमें डिपार्टमेंट पूल, जनरल पूल, जज-हाईकोर्ट, जज-सुप्रीम कोर्ट शामिल हैं.इसकी विस्तृत डिटेल आप नीचे देख सकते हैं. इसमें जनरल पूल में मंत्रियों, मंत्रालय सचिव, पूर्व मंत्रियों को घर दिए जाते हैं.
कितना होता है इनका किराया?
अगर इन आलीशान बंगलों के किराए की बात करें तो इनका किराया काफी कम है. साल 2021 में एक आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने बताया था कि टाइप-7 और टाइप-8 के लग्जरी बंगलों का किराया करीब 2500 से 4600 रुपये प्रति महीने तक था. आरटीआई में भारत में कुछ मुख्यमंत्रियों को दिल्ली में अलॉट किए गए घरों के बारे में जानकारी दी गई थी और उस वक्त दिल्ली में 9 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को घर अलॉट थे.
इनमें अधिकतर घर टाइप-7 और टाइप-8 के थे. उस वक्त टाइप-7 के बंगले के लिए मुख्यमंत्रियों से हर महीने 2580, टाइप-6 (बी) के बंगले के 2200 रुपये, टाइप-8 के घर के लिए 2580 रुपये या 4610 रुपये किराया लिया जाता था. ऊपर दी गई फोटो साल 2021 में लगाई गई आरटीआई की है, जिसमें उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों की जानकारी है. (वर्तमान में कुछ मुख्यमंत्री बदल गए हैं और उनके घर के किराए और घर अलॉटमेंट से जुड़ी जानकारी में अपडेट होना भी संभव है.)
कितने आलीशान होते हैं ये घर?
लुटियंस के टाइप-8 और टाइप-7 बंगलों में कुछ ज्यादा फर्क नहीं होता है. टाइप-8 के बंगलों में 5 बेडरुम और टाइप-7 के बंगलों में चार बेडरूम होते हैं. इसके अलावा दोनों घरों में सर्वेंट क्वार्टर, लॉन और गैराज होते हैं. इनसे नीचे की कैटेगरी टाइप-6 (बी) होती है. इसके साथ ही इसमें नेताओं या अधिकारियों को अलग अलग रैंक के हिसाब से बिजली, पानी के इस्तेमाल की भी छूट दी जाती है.
कौन करता है अलॉट?
सरकारी बंगलों में टाइप-7 और टाइप-8 के बंगले हाउसिंग मिनिस्ट्री की ओर से अलॉट किए जाते हैं. इसमें सांसदों को लोकसभा, राज्यसभा सचिवालय की ओर से घर अलॉट किया जाता है.