सैफ अली खान से छिन जाएगा भोपाल नवाब का ताज? 15000 करोड़ की संपत्ति हाथ से निकल रही

भोपाल

एक्टर सैफ अली खान को भोपाल का नवाब कहा जाता है। भोपाल में उनकी अरबों की संपत्ति है और उनके परिवार का यहां राज हुआ करता था। अब उन्हीं संपत्तियों को लेकर विवाद है। अरबों की संपत्तियां शत्रु संपत्ति घोषित हो गई हैं। हालांकि इसमें अभी कई उलझन हैं। साथ ही पटौदी परिवार के पास अभी कई ऑप्शन भी बचे हैं, जिसकी वजह से लड़ाई और लंबी खींचेगी। लेकिन भोपाल की संपत्तियां अगर सरकार के पास चली जाती हैं तो सैफ अली खान से भोपाल नवाब का टैग छिन जाएगा। उनके पास जब संपत्तियां नहीं रहेगी तो वह भोपाल के नवाब नहीं रहेंगे।

अधिग्रहण की तैयारी में है सरकार
वहीं, सरकार इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर अधिग्रहण करने की तैयारी में है। नवाब के टाइटल को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस विवाद की जड़ में 1949 में भोपाल रियासत का भारत में विलय और 1947 का भोपाल गद्दी उत्तराधिकारी अधिनियम है। इस अधिनियम के तहत नवाब का टाइटल अभी भी कायम है। शत्रु संपत्ति कार्यालय ने आबिदा सुल्तान को नवाब का वारिस माना था। वहीं दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित किया था। इस विवाद से भोपाल की कई ऐतिहासिक संपत्तियों का भविष्य अधर में लटक गया है। लाखों लोगों के घरों पर भी इसका असर पड़ सकता है।

उलझ गया है मामला
भोपाल नवाब की प्रॉपर्टी को लेकर चल रहे विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। केंद्र सरकार के दो अलग-अलग आदेशों के चलते यह मामला और उलझ गया है। एक तरफ सरकार नवाब की 15 हजार करोड़ की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करके अपने कब्जे में लेने की तैयारी कर रही है। दूसरी तरफ, नवाब के खिताब को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं है। इस पूरी उलझन की वजह केंद्र सरकार के दो आदेश हैं, जो एक-दूसरे से मेल नहीं खाते।

नवाब टाइटल अभी मान्य है
यह पूरा मामला 1949 में भोपाल रियासत के भारत में विलय से जुड़ा है। 1 जून 1949 को भोपाल रियासत का भारत संघ में विलय हो गया था। लेकिन 1947 के भोपाल गद्दी उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नवाब का टाइटल अभी भी मान्य है। इस अधिनियम में साफ लिखा है कि नवाब हमीदुल्ला खान की सबसे बड़ी संतान ही भोपाल की नवाब होगी, चाहे वह बेटा हो या बेटी। मर्जर एग्रीमेंट के आर्टिकल 7 के मुताबिक, भोपाल रियासत के उत्तराधिकारी को भारत सरकार मान्यता देगी।

आबिदा सुल्तान को माना है वारिस
इसी आधार पर शत्रु संपत्ति कार्यालय ने नवाब हमीदुल्ला खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को वारिस मानते हुए उन्हें भोपाल की नवाब माना था। इस हिसाब से अब यह टाइटल आबिदा के बेटे और पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शहरयार खान की सबसे बड़ी संतान को मिलेगा। 24 फरवरी 2015 को शत्रु संपत्ति कार्यालय (मुंबई) ने भी एक सर्टिफिकेट जारी करके आबिदा को ही नवाब का वारिस माना था। चूंकि आबिदा 1960 से पहले ही पाकिस्तान की नागरिक बन गई थीं, इसलिए 1960 तक नवाब की जो भी संपत्तियां थीं, वे शत्रु संपत्ति के दायरे में आ गईं। इन पर अब केंद्र सरकार का हक होगा।

1961 में साजिदा सुल्तान को वारिस घोषित किया
वहीं, कहानी यहीं खत्म नहीं होती। 1961 में भोपाल नवाब के निधन के बाद केंद्र सरकार ने उनकी छोटी बेटी साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान की नागरिक बन चुकी थीं। साजिदा सुल्तान के बाद उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी और फिर सैफ अली खान भोपाल के नवाब बने।

 

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