माफी, माफी, माफी… रार नहीं ठानी, बयान बदलकर तीखे हमले करते रहे राहुल, बदले मिजाज का सबब क्या है?

नई दिल्ली:

4 जून, 2024 को लोकसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस पार्टी की सीटें बढ़कर 99 होने के बाद और आक्रामक हुए राहुल गांधी क्या विधानसभा चुनावों में मिले झटकों के बाद बदल गए हैं? हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों ने कांग्रेस के खेमे में लोकसभा चुनाव से आई खुशी छीन ली, ऊपर से गठबंधन के साथी दलों ने जैसा व्यवहार दिखाया, वह पार्टी दिग्गजों की नींद उड़ाने के लिए काफी है। क्या इसका असर राहुल गांधी की सोच-समझ पर भी हुआ है? बजट सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में बोलेते हुए राहुल गांधी बदले-बदले से नजर आए। आइए राहुल के भाषण से वो कुछ बिंदू निकालते हैं जो उनमें आए बदलाव के प्रतीक समझे जा सकते हैं…

राहुल गांधी के ये बयान देखिए
➤ यूपीए सरकार और न ही एनडीए सरकार ने देश के युवाओं को रोजगार पर सवालों के स्पष्ट जवाब दे सकी।
➤ ऐसा बहुत कम होता है कि कोई अपनी ही पार्टी की सरकार की कमी संसद में सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करे। राहुल ने कहा कि सरकार यूपीए की हो या एनडीए की, बेरोजगारों की कोई नहीं सुनती।
➤ मेक इन इंडिया अच्छी पहल, लेकिन फेल हो गई। मैं नहीं कहूंगा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए प्रयास नहीं किया, लेकिन वो इसमें असफल रहे।
राहुल ने मेक इन इंडिया पहल को असफल बताते हुए भी प्रधानमंत्री की मंशा पर सवाल खड़ा नहीं किया बल्कि उन्होंने यह माना कि पीएम ने प्रयास तो किए ही होंगे।
➤ भारत को उत्पादन पर पूरा ध्यान देना होगा। अगर हम सिर्फ खपत पर ध्यान देंगे और उत्पादन पर नजर नहीं रहेगी तो हम भारी घाटे में जाएंगे।
राहुल गांधी ने उत्पादन और खपत पर देर तक बोला, लेकिन सरकार की आलोचना की जगह उनका जोर अपना विजन देने पर रहा।
➤ मैं वाजपेयी का सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने कंप्यूटर के बारे में कहा था कि भारत में इसकी कोई जरूरत नहीं है।
कंप्यूटर क्रांति को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी पर कटाक्ष किया, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि वो वाजपेयी का सम्मान करते हैं।
➤ हालांकि, अमेरिका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण नहीं मिलने को लेकर तंज कसा तो मंत्री किरेन रिजिजू ने आपत्ति जताई। इस पर भी राहुल ने रार नहीं ठानी, बल्कि तुरंत माफी मांग ली और एक बार नहीं, तीन-तीन बार।
➤ फिर चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा में घुसने के सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सेना के विरोधाभासी बयानों के राहुल के दावे पर भी विवाद हुआ। सत्ता पक्ष ने राहुल के इस दावे को आधारहीन बताया तो राहुल ने फिर से रस्साकस्सी की जगह बयान में बदलाव का रास्ता चुना। राहुल ने अपनी बात दूसरे तरीके से रखी।

राहुल ने बोल भी दिया- उनके भाषण में कहीं से गुस्सा नहीं था
राहुल गांधी ने अपने भाषण का अंत जिन शब्दों से किया, वह भी उनके बदले मिजाज की ओर ही संकेत करता है। राहुल बोले, ‘यह महत्व रखता है कि जब आप देश के रास्ता दिखाते हैं तो एक स्पष्टता होनी चाहिए, उद्देश्य की स्पष्टता, जिसमें घृणा नहीं हो, हिंसा नहीं हो, क्रोध नहीं हो क्योंकि ये चीजें ही हमारे देश को बर्बाद कर रही हैं।’ राहुल ने आगे कहा, ‘इसलिए मेरा भाषण क्रोध से भरा नहीं था, इसमें कोई चालाकी नहीं थी बल्कि मैं अपने भाषण में पूरा विनम्र और उदार बना रहा।’ आखिर में उन्होंने उनके भाषण के दौरान प्रधानमंत्री के लोकसभा में मौजूदगी पर धन्यवाद भी दिया।

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