नई दिल्ली
घरेलू शेयर बाजार में पिछले कई दिनों से भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इस साल के पहले 30 दिन में ही वे भारत से 10 अरब डॉलर यानी करीब 8,68,57,50,42,000 रुपये निकाल चुके हैं। सवाल यह है कि यह सारा पैसा कहां जा रहा है। ट्रंप सरकार की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति से विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से किनारा कर रहे हैं। अमेरिका फर्स्ट की नीति के साथ-साथ ऊंची ब्याज दर और हाई बॉन्ड यील्ड दुनियाभर से पूंजी को वापस अमेरिका की ओर धकेल रही है।
पिछले 12 महीनों में ग्लोबल इनवेस्टर्स ने अमेरिकन इक्विटीज में 520 अरब डॉलर झोंके हैं जो कि एक नया रेकॉर्ड है। इससे पहले यह रेकॉर्ड 2021 में बना था जब ग्लोबल इनवेस्टर्स ने अमेरिका के शेयर बाजारों में 490 अरब डॉलर लगाए थे। पिछले 12 महीनों के दौरान एमर्जिंग मार्केट की इक्विटीज में 220 अरब डॉलर आए जो पिछले साल से 57 फीसदी कम है। अमेरिका को छोड़ दें तो बाकी विकसित देशों का और भी बुरा हाल रहा। उनके खाते में केवल 20 अरब डॉलर ही आए। अमेरिका के फाइनेंशियल एसेट्स में विदेशी हिस्सेदारी 59 फीसदी पहुंच गई है जो साल 2000 में डॉट-कॉम बबल पीक से भी ज्यादा है।
क्या करें निवेशक
जानकारों का कहना है कि भू-राजनीतिक हालात ऐसे नहीं दिख रहे हैं कि जल्द ही भारत जैसे उभरते बाजारों में एफआईआई का पैसा आएगा। इससे शेयर बाजार में लंबे समय तक उतार-चढ़ाव रह सकता है। ऐसे में निवेशकों को सोना, चांदी और डेट जैसे अन्य एसेट्स में निवेश करके अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। गोल्ड ETF ने पिछले एक महीने में 9% से अधिक का रिटर्न दिया है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसी एक ग्रुप ने निवेश करने के बजाय एक-एक शेयर चुनकर उनमें इनवेस्टमेंट करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।