नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि सड़क हादसे में मुआवजा मृतक पर आर्थिक तौर पर निर्भर हर मेंबर को मिलेगा। इस मामले में कानूनी रिप्रेजेंटेटिव की संकीर्ण व्याख्या नहीं की जा सकती है। जो लोग आर्थिक तौर पर मृतक पर निर्भर थे उन्हें दावेदारों की कैटिगरी से बाहर नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने हाल के फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि कानूनी प्रतिनिधि वह व्यक्ति होता है जो सड़क दुर्घटना में किसी शख्स की मृत्यु के कारण पीड़ित होता है और यह जरूरी नहीं कि केवल पत्नी, पति, माता-पिता या संतान ही हो। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने उस मामले की सुनवाई की जिसमें मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal – MACT) ने मुआवजा प्रदान करते समय मृतक के पिता और बहन को आश्रित नहीं माना था।
MACT ने माना कि मृतक के पिता उनकी आय पर निर्भर नहीं थे और चूंकि पिता जीवित थे, इसलिए छोटी बहन को भी आश्रित नहीं माना जा सकता था। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने MACT के इस फैसले को बरकरार रखा जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द करते हुए माना कि निचली अदालतों ने अपीलकर्ताओं को मृतक का आश्रित मानने से इनकार करके गलती की थी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि मुआवजा केवल पति-पत्नी, माता-पिता या बच्चों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी व्यक्तियों तक विस्तार होता है जो मरने वाले के कारण प्रभावित हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा राशि 17 लाख 52 हजार 500 तय कर दी।
क्या है मामला?
ग्वालियर में 25 सितंबर 2016 को 24 साल के धीरज सिंह तोमर ऑटो में जा रहे थे। ड्राइवर तेज रफ्तार से ऑटो चला रहा था। लापरवाही के कारण ऑटो दुर्घटनाग्रस्त हो गया और धीरज की मौके पर ही मृत्यु हो गई। एमएसीटी ने मामले में कुल 9,77,200 मुआवजे भुगतान का आदेश दिया गया। मृतक के परिजनों को यह रकम भुगतान किए जाने का निर्देश दिया। लेकिन साथ ही कोर्ट ने मृतक के पिता और बहन को दावेदार नहीं माना और अन्य दावेदारों को यह रकम दिए जाने को कहा गया था।
यह फैसला आगे का रास्ता तय करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ताओं जिनमें मृतक के पिता और बहन को मृतक का आश्रित माना और उन्हें मुआवजा प्रदान किया। यह फैसला भविष्य के मामलों में महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि मोटर वाहन दुर्घटनाओं में मुआवजा केवल मृतक के पारंपरिक उत्तराधिकारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उन सभी लोगों को मिलेगा जो उसकी आय पर निर्भर थे।