नई दिल्ली
हंसता हूं अपनी बर्बादियों पर, रोने को अब बचा ही क्या है? कुछ ऐसा ही सोच रहा होगा यह इंटरनेशनल खिलाड़ी, जिसकी कभी तूती बोलती थी। लोग एक झलक पाने को बेकरार रहते थे। और अब समय ऐसा बदला कि वह सड़क किनारे जलेबी बेचने पर मजबूर है। यह कहानी है पाकिस्तान के एशियाई खेलों के हीरो रहे फुटबॉलर मुहम्मद रियाज। वह आर्थिक तंगी और पापी पेट के आगे मजबूर हैं और अब सड़क किनारे जलेबी बेचने का काम करते हैं। कभी मैदान में गोल दागने वाले रियाज के इस हालत पर भारतीयों को भी तरस आता है।
सरकार ने खेल विभागों को फिर से शुरू करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से रियाज की नौकरी चली गई और उनके लिए आय का कोई साधन नहीं बचा। सालों इंतजार के बाद भी जब हालात नहीं बदले तो परिवार का पेट पालने के लिए रियाज को यह रास्ता अपनाना पड़ा। रियाज ने सरकार से गुहार लगाई है कि खेल विभागों को बहाल किया जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यही राष्ट्रीय नायकों का हश्र होना चाहिए? रियाज की कहानी पाकिस्तानी खिलाड़ियों, खासकर क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों के खिलाड़ियों की मुश्किलों को दर्शाती है।
रिटायरमेंट के बाद ये खिलाड़ी अक्सर आर्थिक तंगी और नौकरी की कमी से जूझते हैं। मुहम्मद रियाज की दर्दनाक कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। इस पर लोगों ने गुस्सा और दुख जताया है। कई लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह रियाज जैसे अपने नेशनल हीरो की मदद करे। वे चाहते हैं कि खेल विभागों को बहाल किया जाए और खिलाड़ियों को उचित सहयोग दिया जाए।
रियाज ने एक इंटरव्यू में अपनी व्यथा बताते हुए कहा- सरकार ने खेल विभागों को फिर से शुरू करने का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मेरी नौकरी चली गई और मुझे अपने परिवार का पेट पालने का कोई जरिया नहीं मिला। सालों तक इंतजार करने के बाद मुझे अपने परिवार के लिए ईमानदारी से कमाई करने का कोई रास्ता ढूंढना पड़ा। क्या यही राष्ट्रीय नायकों का हश्र है?
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश में खेल विभागों को बहाल करने का ऐलान किया था। इमरान खान की पीटीआई सरकार ने 2019 में इन विभागों को बंद कर दिया था। यह फैसला खेलों को बढ़ावा देने और युवाओं को खेल के जरिए रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए लिया गया था। प्रधानमंत्री ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में खेल विभागों को फिर से शुरू करने का वादा किया था। खिलाड़ी लंबे समय से सरकार से खेल विभागों को बहाल करने की मांग कर रहे थे। वे चाहते थे कि खिलाड़ियों को बेहतर मौके मिलें। पिछली सरकार द्वारा खेल विभागों को बंद करने के बाद हजारों खिलाड़ी बेरोजगार हो गए थे।
रियाज जैसे खिलाड़ी अब मजबूरी में छोटा-मोटा काम करने को मजबूर हैं। यह स्थिति खेलों के भविष्य के लिए चिंताजनक है। सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत है। देश के नायकों का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्हें उनकी मेहनत का फल मिलना चाहिए। रियाज की कहानी एक उदाहरण है कि कैसे सिस्टम की नाकामी प्रतिभाशाली लोगों को बर्बाद कर देती है। हमें ऐसे सिस्टम को बदलने की जरूरत है। ताकि हर किसी को अपनी प्रतिभा दिखाने और आगे बढ़ने का मौका मिले। रियाज जैसे कई और खिलाड़ी होंगे जो इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे होंगे। सरकार को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए।
यहां बताना जरूरी है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान खुद क्रिकेटर रहे। उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने 1992 में वनडे विश्व कप का खिताब जीता था। यह पहला मौका था जब पाकिस्तान ने कोई आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम की थी। उसके बाद से आज तक वह वनडे विश्व कप का खिताब नहीं जीत सका है।