होली पर मस्जिदों को तिरपाल से ढंकना क्यों है गलत परंपरा की शुरुआत, क्या इस नई परिपाटी से उप्र की छवि नहीं खराब होगी?

नई दिल्ली,

देश के इतिहास में 64 साल बाद होली और रमजान के जुमे की नमाज एक साथ है. अच्‍छा तो यह होता कि इस दिन को दो समुदायों के त्‍योहार के मिलन के रूप में देखा जाता. लेकिन हो इसके विपरीत रहा है. होली और रमजान का जुमा एक दिन होने से टकराव का माहौल बन गया है. कहा जा रहा है कि यह देश के माहौल को विषाक्त करने का एक बड़ा कारण बन सकता है. शायद यही कारण है कि दोनों ही धर्मों के प्रमुख और सियासतदान जहर उगलने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. पर इस बीच खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मस्जिदों को तिरपाल से ढका जा रहा है. तर्क यह दिया जा रहा है कि मस्जिद पर रंग पड़ने से विवाद ना हो जाए. यूपी के संभल, अलीगढ़, बरेली, शाहजहांपुर समेत कई जिलों में मस्जिदें ढकी जा रही हैं. शाहजहांपुर में करीब 67 मस्जिदें ढंकी गईं हैं तो संभल में कम से कम 10 मस्जिदें तिरपाल से ढंकी जा चुकी हैं. दूसरे शहरों से भी लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं. पर सवाल यह उठता है कि क्या मस्जिदों को तिरपाल से ढंककर असामाजिक तत्वों से बचाया जा सकता है? क्या यह एक गलत परंपरा की शुरूआत नहीं है. क्या उत्तर प्रदेश में मस्जिदों को ढंकने की इस नई परिपाटी से उत्तर प्रदेश की छवि नहीं खराब होगी? क्या दुनिया में यह संदेश नहीं जाएगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में उत्तर प्रदेश में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे और भी बहुत से सवाल हैं जो आपके मन में भी उठ रहे होंगे.

1-क्या मुस्लिम खुद को हिंदू त्योहारों से अलग-थलग करना चाहते हैं
उत्तर प्रदेश के मस्जिदों को जिस तरह ढंकने की खबरें आ रही हैं उससे यही संदेश जाता है कि मुसलमान खुद को हिंदू त्योहारों से अलग थलग रखना चाहते हैं. अंग्रेजी में किसी ने लिखा है कि हमने अपना दरवाजा बंद कर लिया कि बुराई घर में न आ सके, इसका नतीजा हुआ कि अच्छाई घर में आने वाली थी पर दरवाजा बंद था और वापस चली गई. मस्जिदों के ढंकने से सौहार्द की थोड़ी बहुत गुंजाइश खत्म हो जाएगी. मस्जिदों को ढंकने का सीधा संदेश यही है कि होली के रंग से मस्जिद को बचाना है. मतलब होली के रंग से मुसलमानों को बचाना है. हिंदू और मुसलमानों के जो बच्चे बड़े हो रहे हैं उन्हें ये ही समझ में आएगा कि होली का रंग मुसलमान को अपवित्र बना देता है. जाहिर है जो मुसलमान अब तक होली पर रंग गुलाल से परहेज नहीं करते थे, हिंदू खुद उनसे बचने लगेंगे. हिंदुओं को लगेगा कि मुसलमान लोग कहीं बुरा न मान जाएं. इसका सीधा अर्थ होगा, होली पर हिंदू मुसलमानों के बीच एक दीवार खड़ी करना.

2-क्या मुसलमान नहीं चाहते कि रंग का एक छींटा भी मस्जिद पर लगे
यूपी के शहरों से लगातार पॉलिथिन से ढंकी मस्जिदों की फोटो यह सोचने को विवश कर रही हैं कि क्या होली के रंगों से बचने के लिए इन मस्जिदों को ढंका गया है? पर क्या ये व्यवहारिक फैसला है? क्या तिरपाल बारह महीने मस्जिद की रक्षा कर सकेंगे? असामाजिक तत्व तो कभी भी मस्जिद पर रंग फेंक सकता है? क्या मुसलिम समुदाय को केवल होली के रंग से दिक्कत है? संदेश तो यही जाता है कि होली के बाद कोई कुछ भी फेंके मुसलिम समुदाय को बुरा नहीं लगेगा. क्योंकि मस्जिदों से होली के बाद तिरपाल हटा लिए जाएंगे. जाहिर है कि यह एक गलत परंपरा की शुरूआत हो रही है. मस्जिद को होली पर एक दिन ढंकने से ये संदेश जाएगा कि मुसलमानों को रंग पसंद नहीं है.

3-क्या दिवाली पर पटाखों से बचाने के लिए भी ढकी जाएंगी मस्जिदें?
सवाल यह भी उठता कि अभी तो होली है. कल को दिवाली भी आएगी. दिवाली पर हिंदू जमकर पटाखे छोड़ते हैं तो क्या उस समय भी मस्जिद को ढंका जाएगा. क्योंकि भीड़ से खतरा तो उस समय भी रहेगा. असामाजिक तत्व अगर मस्जिद पर रंग फेंक सकता है तो क्या वो दिवाली पर पटाखे नहीं फेंकेगा? जिसका काम दंगा करना या दंगा करवाना ही होगा उससे तिरपाल कब तक रक्षा करेगा. जाहिर है कि साल में कई ऐसे मौके आते हैं जब हिंदुओं के जुलूस निकलते हैं. आजकल तो जब टीम इंडिया की जीत होती है तब भी सेलिब्रेशन होने लगा है. हर सेलिब्रेशन में असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं कि हिंदू और मुसलमानों के बीच बैर को बढ़ाने के लिए कुछ किया जाए.

4-क्या मुस्लिम त्योहारों पर हिंदुओं के मंदिर भी ढंके जाएंगे?
सवाल यह भी है कि अगर हिंदुओं के त्योहारों पर मुसलमानों को मस्जिदों के अपवित्र होने का खतरा है तो जाहिर है कि क्रिया की प्रतिक्रिया भी होगी. मुसलमानों के त्योहार पर हिंदुओं की तरफ से ये डिमांड आएगी कि उनके मंदिरों को भी ढंका जाए. मंदिरों को भी अपवित्र करने की कोशिश होगी. जाहिर है कि दंगा भड़कने के नाम पर मंदिरों को भी ढंकने की बात उठेगी.

5-क्या मस्जिदों को प्रशासन ढंक रहा है?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि मस्जिदों को ढंकने का फरमान आखिर है किसका? उत्तर प्रदेश सरकार ने तो इस संबंध में कोई फरमान जारी नहीं किया है. संभल के डीएम राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि मुस्लिम समुदाय खुद मस्जिदों को ढंक रहा है. संभल डीएम ने ये भी कहा कि हमने मीडिया को बताया भी है कि मस्जिदों को ढंकने के लिए प्रशासन की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है. पर जगह जगह पुलिस के संवेदनशील इलाकों में मार्चपास्ट और पुलिस की निगरानी में मस्जिदों के ढंके जाने से ऐसा संदेश गया है कि पुलिस और प्रशासन की भी इसमें भूमिका है. दरअसल कई जिलों में अमन कमेटियों की बैठक में यह फैसला लिया गया कि संवेदनशील इलाकों में स्थिति मस्जिदों को ढंक दिया जाए. इसलिए भी गलत संदेश चला गया कि प्रशासन इन मस्जिदों को ढंकवा रहा है.

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