AK-47 नहीं, गांधी के रास्ते पर चल रही यह बलोच शेरनी, पाकिस्तानी सेना के सामने चट्टान की तरह खड़ी हैं महरंग बलोच

इस्लामाबाद

पाकिस्तान का बलूचिस्तान लंबे समय से अशांति का शिकार है। बलूचिस्तान में दशकों से सरकार के खिलाफ आवाजें उठती रही हैं। हाल के दिनों में बलूच लिबरेशन फोर्स (BLA) ने पाक फौज पर एक के बाद एक हमले कर अपना संघर्ष तेज कर दिया है। जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक करने का मामला तो दुनियाभर में चर्चा में है। बलूचिस्तान में एक तरफ बीएलए जैसे गुट हैं, जो पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह में विश्वास करते हैं। वहीं एक बड़ी फेहरिस्त ऐसे लोगों की भी है, जो पाकिस्तानी सरकार और सेना की बलूचिस्तान में ज्यादतियों का जवाब गांधीवादी तरीके से देने में भरोसा रखते हैं। ऐसा ही एक नाम 32 साल की महरंग बलोच का है। महरंग बलोच लंबे समय से अंहिसक आंदोलनों के जरिए बलूच लोगों के हकों की लड़ाई लड़ रही हैं।

बलूचिस्तान में बढ़ते उग्रवाद और सेना की कार्रवाईयों के बीच BYC (बलूच एकजहती कमेटी) की नेता डॉक्टर महरंग बलूच पाकिस्तान सरकार के खिलाफ अहिंसक प्रदर्शन कर रही हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर बलूच लोगों के अपहरण, यातना और हत्या का आरोप लगता रहा है। महरंग 2006 से बलूच लोगों के अपहरण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। हालांकि कभी भी उनके संघर्ष में हिंसा शामिल नहीं हुई, उन्होंने हमेशा शांति से अपनी बात रखी है।

पिता को किया गया गायब
महरंग बलोच पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन अब मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रही हैं। महरंग के पिता एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे, उनको 2009 में गायब कर दिया गया। दो साल बाद उनका शव मिला। 2017 में महरंग के भाई को गायब किया गया, जो 2018 में लौट आए। महरंग ने जब देखा कि उनके परिवार ही नहीं पूरे बलूचिस्तान में इसी तरह की ज्यादती पाक की सेना और एजेंसियां कर रही हैं तो अपनी लड़ाई को संगठित तरीके से लड़ने के लिए 2019 में उन्होंने BYC बनाई। इसी संगठन के तहत वह अपनी लड़ाई लड़ रही हैं। महंरग ने बीते साल, 2024 में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया है।

महरंग कहती हैं कि बचपन में उनको बहुत डर लगता था। महरंग का कहना है कि वह लाश देखने और अंतिम संस्कार में जाने से भी डरती थीं लेकिन 2011 में जब अपने पिता के क्षत-विक्षत शव की पहचान करनी पड़ी तो दिल का सारा डर निकल गया। वह कहती हैं कि उन्होंने पिछले 15 वर्षों में बहुत से बलूच लोगों के शवों को देखा है। इससे ये हुआ है कि अब मुझे मौत से भी डर नहीं लगता है।

महिलाओं के लिए बनीं मिसाल
पाकिस्तान के सबसे रूढ़िवादी माने जाने वाले बलूचिस्तान प्रांत में महिलाओं को बहुत ज्यादा अधिकार नहीं है। इसके बावजूद महरंग ना सिर्फ खुद लड़ रही हैं बल्कि दूसरी महिलाओं को भी सड़कों पर उतरने के लिए प्रोत्साहित किया है। महरंग का कहना है कि उनके साथ युवा किशोर लड़कियों से लेकर बुजुर्ग महिला तक शामिल हो रही हैं। महरंग ने गांधीवादी तरीके से लोगों को एकजुट करते हुए सम्मान और प्रशंसा अर्जित की है।

महरंग ने बीते साल एक बातचीत में कहा था, ‘2003 से 2024 तक 50,000 बलूचों का अपहरण किया गया है और 25,000 लोगों की गैर-न्यायिक तरीके से हत्या की गई है। ये बहुत ही मोटे आंकड़े हैं, सच्चाई इससे भी डरावनी हो सकती है क्योंकि डेटा जमा करना भी खतरनाक काम हो गया है। सरकार हर तरह की ज्यादती कर रही है। लगातार हमारे लोगों को मारा जा रहा है लेकिन हम डरे नहीं है। हम लड़ रहे हैं और अपनी लड़ाई को आगे भी जारी रखेंगे।’

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