ईद पर एमपी में दिखा गजब नजारा, हिंदू की बग्घी पर बैठकर ईदगाह पहुंचे शहर काजी, 50 साल पुरानी है यह परंपरा

इंदौर

इंदौर में सोमवार को ईद-उल-फितर पर सांप्रदायिक सद्भाव का अनूठा नजारा देखने को मिला। करीब पांच दशक पुरानी परंपरा के तहत एक हिंदू परिवार शहर काजी को घोड़े की बग्घी पर बैठाकर मुख्य ईदगाह ले गया। वहां के लोगों ने बताया कि शहर के रहने वाले सत्यनारायण सलवाड़िया शहर काजी मोहम्मद इशरत अली को उनके राजमोहल्ला स्थित घर से घोड़े की बग्घी पर बैठाकर पूरे सम्मान से सदर बाजार के मुख्य ईदगाह ले गए और सामूहिक नमाज के बाद उन्हें वापस उनके घर छोड़ा।

सलवाड़िया ने पत्रकारों को बताया कि ईद की यह रिवायत उनके पिता रामचंद्र सलवाड़िया ने करीब 50 साल पहले शुरू की थी और वर्ष 2017 में उनके निधन के बाद वह यह परंपरा निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम इस परंपरा के जरिये शहरवासियों को आपसी भाईचारा बनाए रखने का संदेश देते हैं। यह परंपरा मेरा परिवार हमेशा बरकरार रखेगा।

शहर काजी ने क्या कहा?
शहर काजी मोहम्मद इशरत अली ने कहा कि देश में इंदौर इकलौता शहर है जहां एक हिंदू परिवार ईद की सामूहिक नमाज अदा कराने के लिए शहर काजी को पूरे मान-सम्मान से ईदगाह ले जाता हो। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे दुनिया को सियासी चश्मे से नहीं, बल्कि सामाजिक चश्मे से देखें।

काली पट्टी बांधकर पहुंचे मस्जिद
इस बीच, शहर में ईद की सामूहिक नमाज के दौरान कुछ लोग अपनी बांह पर काली पट्टी बांधे दिखाई दिए। इनमें से एक युवा ने कहा कि उसने “जुल्म” का सामना कर रहे फलस्तीन के मुस्लिमों को अपनी दुआओं में याद रखने के लिए बांह पर काली पट्टी बांधी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी सदर बाजार स्थित मुख्य ईदगाह पहुंचे और उन्होंने शहर काजी इशरत अली से गले मिलकर उन्हें ईद की मुबारकबाद दी।

ईद मोहब्बत का पैगाम देता है
पटवारी ने कहा कि ईद का त्योहार भारत की गंगा-जमुनी तहजीब से जुड़ा है जो देश से मोहब्बत का पैगाम भी देता है। जो लोग नफरत की बात करते हैं, वे देशभक्त नहीं हो सकते। जनता को ऐसे लोगों को समझाना चाहिए और उनका असली चेहरा देश के सामने लेकर आना चाहिए।

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