नई दिल्ली
दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ लगाने के बाद वॉल स्ट्रीट में आर्थिक चिंता बढ़ गई है। कई बड़े बैंकों ने मंदी आने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने बुधवार रात को 60 से अधिक देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की। इससे दुनिया में मंदी की आशंका बढ़ गई है। इस कारण गुरुवार को दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी शेयर मार्केट में 5 साल में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई और निवेशकों के 2.4 ट्रिलियन डॉलर स्वाहा हो गए। भारतीय बाजार में भी लगातार दूसरे दिन गिरावट आई है। आज सेंसेक्स कारोबार के दौरान 900 अंक से अधिक गिर गया और निवेशकों को 9.5 लाख करोड़ रुपये का फटका लगा।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार देश के दिग्गज निवेश बैंक जे.पी. मॉर्गन के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रूस कासमैन ने का कहना है कि 2025 में वैश्विक मंदी की 60% संभावना दिख रही है। ट्रंप के टैरिफ से यह पहले यह संभावना 40% थी। कासमैन ने ‘There will be blood’ टाइटल के साथ एक नोट में लिखा, ‘इस टैक्स वृद्धि का असर और भी बढ़ सकता है। यह असर जवाबी कार्रवाई, अमेरिकी व्यापार भावना में गिरावट और सप्लाई चेन में व्यवधान पर निर्भर करेगा। गोल्डमैन सैक्स ने भी इसी तरह की चिंता जताई है। उन्होंने अगले 12 महीनों में मंदी की संभावना को 20% से बढ़ाकर 35% कर दिया है।
बेरोजगारी बढ़ने की आशंका
गोल्डमैन सैश ने 2025 के लिए GDP का अनुमान भी घटाकर सिर्फ 1% कर दिया है। बेरोजगारी दर 4.5% तक बढ़ने का अनुमान है। गोल्डमैन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारी मंदी की संभावना में वृद्धि पिछले एक महीने में हाउसहोल्ड्स और बिजनसेज के आत्मविश्वास में आई गिरावट को दर्शाती है। टैरिफ की घोषणा के बाद वित्तीय बाजारों में भारी गिरावट आई। एस&पी 500 को 2020 के बाद सबसे खराब दिन का सामना करना पड़ा। उपभोक्ताओं का भरोसा भी गिरा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के सर्वे के अनुसार, महामंदी के बाद अब सबसे ज्यादा अमेरिकी बेरोजगारी बढ़ने की आशंका जता रहे हैं। मूडीज एनालिटिक्स के चीफ इकनॉमिस्ट मार्क ज़ांडी ने भी मंदी का अनुमान 15% से बढ़ाकर 40% कर दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि तेजी से बढ़ता व्यापार युद्ध और सरकारी खर्च में कटौती इसके पीछे के कारण हैं। ज़ांडी ने ट्रंप द्वारा इम्पोर्टेड कारों और पार्ट्स पर लगाए गए 25% टैरिफ और दूसरे देशों की संभावित जवाबी कार्रवाई को प्रमुख जोखिम बताया है।
ट्रंप के दावों पर सवाल
आर्थिक चेतावनियों के बावजूद ट्रंप अपनी टैरिफ रणनीति पर अड़े हुए हैं। एयर फोर्स वन में बात करते हुए उन्होंने इस अटकल को खारिज कर दिया कि टैरिफ केवल कुछ देशों को टारगेट करेंगे। सरकार का अनुमान है कि टैरिफ से प्रति वर्ष 600 बिलियन डॉलर तक का रेवेन्यू मिल सकता है। लेकिन अर्थशास्त्रियों ने इस दावे पर संदेह जताया है। उनका कहना है कि इसका बोझ उपभोक्ताओं और कंपनियों पर पड़ेगा।
गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि 2025 के अंत तक मुख्य महंगाई 3.5% तक पहुंच जाएगी। पहले यह अनुमान 3% था। अधिक टैरिफ से उपभोक्ता कीमतें बढ़ने की उम्मीद है। कई क्षेत्रों में वस्तुओं की लागत बढ़ेगी। गोल्डमैन ने चेतावनी दी है कि अधिक टैरिफ से उपभोक्ता संकट बढ़ने की संभावना है। बढ़ते आर्थिक दबावों का सामना कर रहे फेडरल रिजर्व से अब इस साल तीन बार ब्याज दरें घटाने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य टैरिफ के प्रभाव को कम करना है। हालांकि, ब्याज दरों में कटौती टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है।
मंदी की आशंका
कई अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है। ट्रंप की नीतियां कंपनियों, वर्कर्स और उपभोक्ताओं पर दबाव डाल रही हैं। बैंकरेट के सीनियर इकनॉमिक एनालिस्ट मार्क हैमरिक ने कहा कि व्यापार युद्ध बढ़ने, आर्थिक अनिश्चितता और बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं। इसमें आने वाले 12 महीनों में अमेरिका में मंदी की आशंका भी शामिल है। वैश्विक अर्थव्यवस्था नाजुक दौर से गुजर रही है और बाजार में अस्थिरता बढ़ रही है। अब सबकी नजर फेडरल रिजर्व पर है।