19.8 C
London
Thursday, July 31, 2025
Homeअंतराष्ट्रीयभारत के हाथ से फिसल रही बाजी, 'दोस्‍त' अफगानिस्‍तान ने बदला पाला,...

भारत के हाथ से फिसल रही बाजी, ‘दोस्‍त’ अफगानिस्‍तान ने बदला पाला, चीन-पाकिस्‍तान की इस साजिश से टेंशन क्‍यों?

Published on

नई दिल्‍ली

चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने मिलकर एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक बढ़ाने पर सहमति जताई है। यह फैसला ऐसे समय में ल‍िया गया है जब क्षेत्र में तनाव है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की बीजिंग में हुई मुलाकात के बाद यह घोषणा की गई। तीनों देशों ने मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग को महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत सहयोग बढ़ाने और सीपीईसी को अफगानिस्तान तक ले जाने पर सहमति जताई है। अफगान‍िस्‍तान के चीन के प्रोजेक्‍ट में शाम‍िल होने से भारत की टेंशन बढ़ गई है।

इशाक डार तीन दिन की यात्रा पर बीजिंग गए थे। उन्होंने इस मीटिंग को शांति और विकास की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ पर लिखा, ‘पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए साथ खड़े हैं।’ उन्होंने तीनों मंत्रियों की एक फोटो भी शेयर की।

चीन का बड़ा प्रोजेक्‍ट है सीपीईसी
सीपीईसी चीन का बड़ा प्रोजेक्ट है। इसका मकसद पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे को सुधारना और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है। इसके तहत सड़कें, रेलवे और ऊर्जा परियोजनाएं बनाई जा रही हैं।भारत का कहना है कि सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जो भारत का हिस्सा है। इसलिए भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध करता है।सीपीईसी को अफगानिस्तान तक बढ़ाने से तीनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध बढ़ेंगे। इससे अफगानिस्तान को भी फायदा होगा, जो लंबे समय से युद्ध से जूझ रहा है। हालांकि, भारत की चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं।

क्‍या भारत के हाथ से फिसल रही बाजी?
अफगानिस्तान का सीपीईसी में शामिल होना भारत के लिए चिंताजनक है। इसे ‘बाजी फिसलने’ जैसा माना जा सकता है। इसके कई कारण हैं। अफगानिस्तान ऐतिहासिक रूप से भारत का करीबी रहा है। अब वह चीन और पाकिस्तान के साथ आर्थिक और कनेक्टिविटी प्रोजेक्‍ट में जुड़ रहा है। यह क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कम कर सकता है।भारत ने हमेशा सीपीईसी का विरोध किया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है। अफगानिस्तान का इसमें शामिल होना भारत की चिंताओं को और बढ़ाएगा।

चीन इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को लगातार बढ़ा रहा है। सीपीईसी का विस्तार अफगानिस्तान में उसकी पैठ को और मजबूत करेगा। यह भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती है। सीपीईसी अफगानिस्तान को आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है। इससे वह चीन और पाकिस्तान पर ज्‍यादा निर्भर हो सकता है।

सीपीईसी का विस्तार मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए भारत के प्रयासों को जटिल बना सकता है, क्योंकि यह एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा जो पाकिस्तान से होकर गुजरता है। भारत को यह भी चिंता है कि सीपीईसी का उपयोग क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की ओर से अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

Latest articles

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी जापान में 20 लाख लोग निकाले गए

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी!...

भारी बारिश के चलते स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित

भेल भोपालभारी बारिश के चलते स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित,राजधानी भोपाल के स्कूलों...

भेल कर्मचारियों को वेतन के साथ मिलेगा पीपीपी बोनस

भेल भोपालभेल कर्मचारियों को वेतन के साथ मिलेगा पीपीपी बोनस भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड...

More like this