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Wednesday, July 16, 2025
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भारत और ट्रंप से पंगा लेना पड़ा भारी, टूडो दे सकते हैं आज इस्‍तीफा, जानें कौन बन सकता है कनाडा का अगला पीएम

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ओटावा

कभी कनाडा के प्रगतिशील नेता के रूप में पहचान बनाने वाले कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक पतन के कगार पर खड़े हैं। ट्रूडो ने अपनी गिरती लोकप्रियता को उठाने के लिए भारत विरोधी एजेंडा अपनाकर दोनों देशों के ताल्लुकात खराब कर लिए। उन्होंने खालिस्तानी प्रोपेगैंडा को भी हवा दी, लेकिन यह कुछ भी उनके काम नहीं आया। कनाडाई मीडिया ने कहा है जस्टिन ट्रूडो सोमवार 6 जनवरी को लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। इस घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री के रूप में उनके एक दशक के कार्यकाल का अंत हो जाएगा।

अर्श से फर्श का सफर
ट्रूडो ने साल 2013 में उस समय लिबरल पार्टी की कमान संभाली थी, जब वह खुद के अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी। पार्टी कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी। ऐसे ट्रूडो एक उद्धारकर्ता के रूप में सामने आए और महज दो साल बाद 2015 में लिबरल पार्टी को सत्ता दिला दी। लेकिन जैसे-जैसे उनका कार्यकाल आगे बढ़ा, उनकी सरकार घोटालों और विवादों में उलझती गई।

आज ट्रूडो का नेतृत्व कई मोर्चों से घेरे में है। आलोचकों का कहना है कि आरोपों के बढ़ने और लोकप्रियता कम होने पर ट्रूडो ने घरेलू चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए कई विवादों को हवा दी। इसमें खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के खिलाफ आरोप लगाना भी शामिल है।

क्या था हरदीप सिंह निज्जर विवाद?
जून 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर हत्या कर दी गई थी। ट्रूडो ने बाद में भारत के ऊपर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसके बाद कूटनीतिक विवाद छिड़ गया। कई टिप्पणीकारों ने कहा है कि ट्रूडो का भारत पर आरोप कनाडा की राजनीति चीन के हस्तक्षेप से ध्यान हटाने की कोशिश थी। चीन के प्रभाव से ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी को फायदा हुआ है। चीन की कार्रवाइयों की सार्वजनिक जांच चल रही है।

आज तक भारत को नहीं दिया सबूत
जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर हत्या के आरोप लगाकर मर्यादा तोड़ी तो भारत ने भी तीखा जवाब दिया। नई दिल्ली ने ट्रूडो सरकार के आरोपों का सख्ती से जवाब देते हुए कनाडा से सबूत की मांग की। इस बीच जस्टिन ट्रूडो कनाडा के पास ‘हत्या में भारत की भूमिका के विश्वसनीय सबूत’ जैसी बयानबाजी करते रहे, लेकिन आज तक कोई ठोस सबूत नहीं दे सके। बीते साल कनाडा की संघीय पुलिस ने भी कोई सबूत न होने की बात स्वीकार की और कहा कि अभी जांच चल रही है।

ट्रंप की वापसी ने बढ़ाई मुश्किल
जस्टिन ट्रूडो के मुश्किल तब और बढ़ गई जब पड़ोसी देश अमेरिका में बीते साल नवम्बर में हुए राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी हो गई। ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद जस्टिन ट्रूडो को अपमानित करने वाले बयान दिए थे। कनाडा पर टैरिफ लगाने की धमकी के बाद जस्टिन ट्रूडो भागे-भागे ट्रंप से मिलने उनके मार-ए-लागो बीच वाले घर पर पहुंच गए। लेकिन इस दौरान रिपबल्किन नेता ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य और ट्रूडो का उसका गवर्नर कहकर संबोधित किया।

ट्रंप ने किया ट्रूडो का अपमान
ट्रूडो के लिए अपमान यहीं पर खत्म नहीं हुआ। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर खुलेआम इन शब्दों का दोबारा इस्तेमाल किया। यही नहीं, ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए। इन बयानों से देश के अंदर ट्रूडो की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा। वे ऐसे नेता के तौर पर दिखे हुए जो देश के अपमान पर भी चुप रहा। इन सब घटनाक्रमों के चलते ट्रूडो की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई। इप्सॉस के ताजा सर्वे में कहा गया कि 73 फीसदी कनाई ट्रूडो की विदाई चाहते हैं। उनकी अपनी लिबरल पार्टी के सपोर्टर में भी 43 फीसदी उन्हें नेता नहीं देखना चाहते थे।

कौन ले सकता है ट्रूडो की जगह?
जस्टिन ट्रूडो के संभावित इस्तीफे की खबर देने वाले में कनाडाई अखबार ग्लोब एंड मेल ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अभी यह साफ नहीं है कि ट्रूडो की जगह कौन लेगा। ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा है कि ट्रूडो ने हाल ही में अपने भरोसेमंद और सरकार में वित्तमंत्री डोमिनिक लेब्लांक के साथ चर्चा की है कि क्या वह अंतरिम नेता और प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने के लिए तैयार होंगे।

कौन हैं डोमिनिक लेब्लांक?
लेब्लांक कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के पुराने सहयोगी हैं, जिन्होंने पिछले महीने ही वित्त मंत्री पद संभाला, जब देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने ट्रूडो के साथ तनाव के बाद इस्तीफा दे दिया। लेब्लांक एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने 2015 में लिबरल सरकार आने के बाद से वरिष्ठ कैबिनेट सदस्य के रूप में काम किया है। उन्हें ट्रूडो के भरोसेमंदों में गिना जाता है। हालांकि, यही बात उनके खिलाफ भी जा सकती है। इस बीच कई सांसदों ने अंतरिम नेता के लिए अपनी प्राथमिकता जाहिर की है।

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