13.8 C
London
Sunday, August 3, 2025
Homeअंतराष्ट्रीयट्रंप का एक फैसला और टूट गए हजारों सपने! अब अमेरिका में...

ट्रंप का एक फैसला और टूट गए हजारों सपने! अब अमेरिका में साइंटिस्ट बनना ‘टेढ़ी खीर’

Published on

अमेरिका को रिसर्च के लिए दुनिया का सबसे बेहतरीन देश माना जाता रहा है। यहां एक से बढ़कर एक रिसर्च यूनिवर्सिटी हैं। मगर अब ये छवि बदल रही है और इसके पीछे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां हैं। ट्रंप सरकार ने फंडिंग में कटौती की है, जिससे युवा वैज्ञानिकों के भविष्य पर काले बादल मंडरा रहे हैं। ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में रिसर्च प्रोग्राम बंद हो रहे हैं, जिसे ग्रेजुएट्स प्रोग्राम्स और करियर बनाने वाले प्रोजेक्ट्स को रोकना पड़ रहा है।

अमेरिकी यूनिवर्सिटीज भी मौजूदा अनिश्चितताओं की वजह से ग्रेजुएट छात्रों को कम संख्या में एडमिशन दे रही हैं। साथ ही नई हायरिंग भी रोकी जा रही है। इसकी मुख्य वजह ये है कि राष्ट्रपति ट्रंप की सरकार ने USAID और NSF जैसे संस्थानों को मिलने वाले ग्रांट्स में कमी या देरी की है, जिससे ये संस्थान आगे रिसर्च के लिए पैसा नहीं दे पा रहे हैं। इस वजह से अमेरिकी युवा वैज्ञानिकों ने अब अपने भविष्य की योजना को बदलना शुरू कर दिया है और कुछ तो विदेशी संस्थानों में रिसर्च के लिए जाने भी लगे हैं।

NIH में बंद हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम, रिसर्चर ने बताया अपना दुख
कॉनर फिलिप्स समय से तीन महीने पहले पैदा हुए और सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित हैं। जिस साइंस की वजह से उनकी जान बची, उसने उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। वह NIH में ब्रेन प्रोसेसेस पर रिसर्च कर रहे थे। ब्राउन यूनिवर्सिटी के साथ एक साझेदारी के जरिए उन्हें न्यूरोसाइंस में डॉक्टरेट करने का मौका मिला था। लेकिन ट्रंप सरकार की फंडिंग कटौती के चलते NIH के ट्रेनिंग प्रोग्राम बंद हो गए। फिलहाल वह अन्य प्रोग्राम में अप्लाई कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि वर्तमान नीतियां जल्द बदलेंगी।

एसोसिएट प्रेस से बात करते हुए फिलिप्स ने कहा, “आप कम पैसे वाली, लंबे काम के घंटों वाली और तनावपूर्ण नौकरियां तब तक नहीं करते जब तक आप दूसरों की मदद करने और साइंस के प्रति अपने प्यार को लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में बदलने की परवाह नहीं हो।” ट्रंप सरकार के जरिए यूनिवर्सिटीज और अन्य संस्थानों में रिसर्च के लिए फेडरल फंडिंग में कटौती से युवा वैज्ञानिकों के भविष्य पर काले बादल मंडरा रहे हैं। करियर बनाने वाले प्रोजेक्ट्स और प्रोग्राम धीरे-धीरे बंद किए जा रहे हैं।

मैं अधर में लटकी हूं: रिसर्चर
ड्यूक यूनिवर्सिटी की रिसर्च टेक्निशियन मीरा पोलिशुक ने हाल ही में एक प्रोग्राम के लिए अप्लाई किया। उन्हें बताया गया कि सरकारी फैसलों की वजह से उन्हें एडमिशन नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) के ग्रेजुएट रिसर्च फेलोशिप के लिए आवेदन किया था, जो तीन साल की ग्रेजुएट स्कूल फंडिंग की गारंटी देता है। लेकिन हाल ही में NSF अवार्ड की टाइमिंग को लेकर चुप्पी साधे हुए है।

मीरा फिलहाल अनिश्चितताओं में फंसी हुई हैं कि क्या एजेंसी के पास बिल्कुल भी फंडिंग होगी या नहीं। वह कहती हैं, “यह निराशाजनक होने से भी परे है। इसने मुझे ऐसा महसूस कराया है जैसे मैं अधर में लटकी हुई हूं।” कई ऐसे भी लोग रहे हैं, जिनका कहना है कि फंडिंग में कटौती की वजह से विदेशी छात्र अब अमेरिका नहीं आएंगे। ज्यादातर छात्र चीन जाएंगे और इससे उसे काफी ज्यादा फायदा मिलने वाला है।

Latest articles

अयोध्या बायपास पर “DA POLO” मेन्स अपैरल्स स्टोर का भव्य शुभारंभ 

भेल भोपाल।अयोध्या बायपास पर “DA POLO” मेन्स अपैरल्स स्टोर का भव्य शुभारंभ,राजधानी भोपाल में...

भोपाल को—ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड कमजोर आय वर्ग के श्रमिकों को देगी लोन — शक्ति नगर ब्रांच में ऋण मेला का आयोजन

भेल भोपाल।भोपाल को—ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक लिमिटेड कमजोर आय वर्ग के श्रमिकों को देगी लोन...

KCET और NEET UG 2025: राउंड-1 प्रोविजनल सीट अलॉटमेंट रिजल्ट जारी, ऐसे चेक करें

NEET UG 2025: कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (KEA) ने KCET और कर्नाटक NEET UG राउंड-1...

More like this

डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ युद्ध जारी मेक्सिको को 90 दिन की मोहलत जानें क्या है मामला

डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ युद्ध जारी मेक्सिको को 90 दिन की मोहलत जानें क्या...

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी जापान में 20 लाख लोग निकाले गए

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी!...