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Tuesday, July 15, 2025
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US में नहीं थम रहा H-1B वीजा विवाद, क्या भारतीय वर्कर्स के लिए खत्म हुआ ‘अमेरिकन ड्रीम’?

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अमेरिका में भारतीयों समेत दुनियाभर के लोग नौकरी करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, जिसके पीछे की मुख्य वजह ‘अमेरिकन ड्रीम’ है। अमेरिकन ड्रीम का मुख्य विचार ये है कि हर किसी को, फिर वो कहीं से भी आया हो, अवसरों तक समान पहुंच होनी चाहिए। ये विचार कहता है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता के बूते कोई भी व्यक्ति गरीबी से अमीरी तक का सफर कर सकता है। हालांकि, हालिया H-1B वीजा को लेकर छिड़े विवाद की वजह से अमेरिकन ड्रीम पर सवाल उठा है।

H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में काम करने आने वाले स्किल प्रोफेशनल्स के लिए आम रास्ता है, लेकिन इसे लेकर विवाद हो रहा है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, टेस्ला सीईओ एलन मस्क, दक्षिणपंथी लारा लूमर और एआई एक्सपर्ट श्रीराम कृष्णन जैसे बड़े नाम इस बहस में शामिल हैं। इससे भारतीयों सहित कई प्रवासियों के लिए अनिश्चितता बढ़ गई है। भारतीयों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है, क्योंकि उनके ऊपर आरोप लगाया गया है कि वे अमेरिकी टेक वर्कर्स की नौकरियां खा रहे हैं।

क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा के जरिए अमेरिकी कंपनियां टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर जैसे विशेष क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं। हाल के सालों में H-1B वीजा पाने वाले भारतीयों की संख्या 70 फीसदी से ज्यादा रही है। भारतीय टेक वर्कर्स के लिए ये वीजा परमानेंट रेजिडेंसी और ‘अमेरिकन ड्रीम’ की ओर जाने वाला रास्ता है। हालांकि, इस प्रोग्राम की आलोचना अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियां छीनने के लिए की जाती है, जबकि कुछ लोग इसे अमेरिका के इनोवेशन के लिए जरूरी मानते हैं।

क्या खत्म हो रहा अमेरिकन ड्रीम?
डोनाल्ड ट्रंप अगर समर्थकों के दबाव में आकर H-1B वीजा प्रोग्राम खत्म कर देते हैं, तो फिर भारतीयों के लिए अमेरिकन ड्रीम भी वहीं खत्म हो जाएगा। भारतीय स्किल वर्कर्स इस वीजा के जरिए आसानी से अमेरिका जा रहे थे, लेकिन प्रोग्राम की समाप्ति उनके रास्ते बंद कर देगी। एक मुख्य वजह ये है कि अगर H-1B वीजा को लेकर इसी तरह विवाद चलता रहा, तो भारतीयों को समझ आ जाएगा कि समानता और एक बराबर मौका देने की बात करने वाला अमेरिका उन्हें अपने यहां आने नहीं देना चाहता है।

ऐसी स्थिति में भारतीय टेक वर्कर्स यूरोप जैसे हिस्सों का रुख कर सकते हैं। भारतीय वर्कर्स कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे देशों का रुख कर सकते हैं, जहां ना सिर्फ बांह खोलकर स्किल वर्कर्स का स्वागत किया जा रहा है, बल्कि उनके लिए परमानेंट रेजिडेंसी से लेकर नागरिकता तक के प्रोसेस को आसान बनाया गया है। इन देशों में नौकरी की भी किसी तरह की कोई कमी है। यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भी भारतीयों को नौकरी देने के लिए तैयार बैठे हैं।

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