कोलन कैंसर को अब तक एक बुजुर्गों से जुड़ी बीमारी माना जाता था, लेकिन अब तस्वीर तेजी से बदल रही है। एक नई स्टडी के मुताबिक, अमेरिका में 50 साल से कम उम्र के युवाओं में कोलन और रेक्टल कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह चिंता का विषय बन चुका है क्योंकि कम उम्र में कैंसर के लक्षण पहचानना और इलाज करना दोनों ही काफी मुश्किल होता है।
रिपोर्ट्स (Ref) बताती हैं कि 1990 के आसपास जन्मे युवाओं में कोलन कैंसर का जोखिम 1950 के दशक में जन्मे लोगों के मुकाबले दोगुना हो चुका है। इतना ही नहीं, रेक्टल कैंसर का खतरा तो चार गुना तक बढ़ गया है। 2015 से 2019 के बीच हर साल 1-2% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो बेहद alarming है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बदलती जीवनशैली, डाइट पैटर्न, और पर्यावरणीय फैक्टर्स इसके मुख्य कारण हैं। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई युवा अपनी सेहत को लेकर जागरूक होने के बावजूद इन बीमारियों के निशाने पर आ रहे हैं। इसीलिए समय रहते सावधानी और सही जानकारी बेहद जरूरी है।
युवाओं में कोलन कैंसर का बढ़ता ट्रेंड
पिछले कुछ सालों में युवाओं में कोलन और रेक्टल कैंसर के केस तेजी से बढ़े हैं। जहां पहले यह बीमारी मुख्यतः 60 साल से ऊपर के लोगों को होती थी, वहीं अब 30 और 40 के दशक के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स (Ref) का कहना है कि इसकी वजह बदलती जीवनशैली, प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों में कमी हो सकती है।
कोलन कैंसर के बढ़ते खतरे के पीछे के कारण
बदलती डाइट हैबिट्स, जैसे फाइबर की कमी, रेड मीट का अधिक सेवन और प्रोसेस्ड फूड पर निर्भरता, कोलन कैंसर के खतरे को बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, मोटापा, शराब का सेवन, स्मोकिंग और लगातार बैठे रहने वाली जीवनशैली भी इस बीमारी के रिस्क फैक्टर्स माने जा रहे हैं।
युवाओं में कोलन कैंसर के लक्षण
युवाओं में कोलन कैंसर के लक्षण बुजुर्गों से अलग भी हो सकते हैं। लगातार पेट दर्द, ब्लड पास होना, वजन कम होना और अत्यधिक थकान इसके कुछ मुख्य संकेत हैं। लेकिन कई बार इन लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे बीमारी गंभीर स्टेज पर पहुंच जाती है। समय पर लक्षणों को पहचानना जरूरी है।