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Thursday, July 10, 2025
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चीनी J-10C लड़ाकू विमान से क्यों घबराए अमेरिका और ताइवान, क्या युद्ध में जीत जाएंगे कम्युनिस्ट शी जिनपिंग

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बीजिंग

भारत-पाकिस्तान के बीच हाल में हुई सैन्य झड़पों ने चीनी हथियारों को चर्चा में ला दिया है। इनमें से ही एक हथियार है J-10C लड़ाकू विमान। पाकिस्तान चीन के इस लड़ाकू विमान का इस्तेमाल करता है। पाकिस्तान का दावा है कि उसने ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय हवाई हमलों के जवाब में चीन के इस लड़ाकू विमान का इस्तेमाल किया था। इतना ही नहीं, उसने भारतीय वायुसेना के खिलाफ बिना सबूत दिए कई दावे किए थे। चीनी J-10C लड़ाकू विमान को अमेरिकी F-16 की कॉपी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चीन ने इस विमान की टेक्नोलॉजी अमेरिका से चुराई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन इस विमान का इस्तेमाल ताइवान पर हमले के लिए करेगा।

सैन्य आधुनिकीकरण कर रहा चीन
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के हथियार अमेरिका के हथियारों की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली नहीं हैं। चीनी J-10C लड़ाकू विमान अमेरिकी F-22 या F-35 की तरह पूरी तरह से स्टील्थ भी नहीं है, लेकिन इसमें कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो इसे रडार से कम दिखाई देती हैं। फिर भी, J-10C लड़ाकू विमान का हालिया प्रचार कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स में किए गए महत्वपूर्ण निवेश को उजागर करती है, और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 2027 तक पूर्ण सैन्य आधुनिकीकरण के लक्ष्य को दर्शाती है।

J-10C का खूब प्रचार कर रहा चीन
भारत-पाकिस्तान संघर्ष में J-10C का हालिया उपयोग यह संकेत देता है कि चीनी सशस्त्र बलों में चल रहे हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मुद्दों के बावजूद, यह लक्ष्य लगातार आगे बढ़ रहा है। भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोपों के कारण कई वरिष्ठ चीनी सैन्य अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है। शी जिनपिंग खुद भ्रष्टाचर के प्रति शून्य सहिष्णुता अपनाए हुए हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि भ्रष्टाचार विरोधी इस मुहिम से चीनी सेना की ताकत में कमी आ सकती है।

अमेरिका अब भी सबसे बड़ी ताकत
अमेरिका अभी भी दुनिया का नेता है, जिसके पास रूस, चीन, भारत, दक्षिण कोरिया और जापान के संयुक्त सैन्य विमानों से अधिक विमान हैं। विश्व वायु सेनाओं की तुलना करने वाले कई रिपोर्टों में कहा गया है कि अमेरिकी वायुसेना दुनिया में सबसे शक्तिशाली है। लेकिन अमेरिका के अधिकांश भंडार अपने चरम से परे हैं, जो दशकों पुराने लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और टैंकरों से भरे हुए हैं। इस बीच, PLA की वायु सेना तेजी से बढ़ रही है, हालांकि यह कुल आकार में अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करने से बहुत दूर है।

चीन तेजी से कर रहा अमेरिका की बराबरी
अमेरिका वर्तमान में F-22 और F-35 जैसे पांचवीं पीढ़ी के विमानों में बढ़त बनाए हुए है, हालांकि बीजिंग वहां भी अंतर को कम कर रहा है। सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के अनुसार, यह कथित तौर पर हर साल 100 से ज़्यादा पांचवीं पीढ़ी के J-20 लड़ाकू विमानों का निर्माण कर रहा है और J-10C और J-16 जैसे दूसरे विमानों के उत्पादन को लगभग तीन गुना बढ़ा रहा है। यह PLA के केंद्रीकृत, पूरी तरह से सरकारी दृष्टिकोण के कारण संभव हुआ है।

ताइवान-अमेरिका को कैसे खतरा
ऐसी आशंका है कि चीन कभी भी ताइवान पर कब्जे के लिए आक्रमण कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो चीनी हथियारों का मुकाबला सीधे अमेरिकी हथियारों से होगा। दूसरी ओर अगर ताइवान हारता है या चीनी सेना भारी पड़ती है तो अमेरिका को इस युद्ध में शामिल होना पड़ेगा। ऐसे में चीनी लड़ाकू विमान सीधे तौर पर अमेरिकी लड़ाकू विमानों से टकराएंगे। चीन इसमें J-10C लड़ाकू विमान का इस्तेमाल करेगा, जो उसके पास सबसे ज्यादा संख्या में हैं।

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