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Tuesday, September 16, 2025
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‘UPSC में फ्रॉड की हो जांच’, खेडकर केस के बाद बोले नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत

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नई दिल्ली,

ट्रेनी IAS पूजा खेडकर विवाद के बाद नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी और जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने यूपीएससी में फ्रॉड और प्रक्रिया में गड़बड़ी पर गंभीर चिंता जताई है. उनका यह बयान महाराष्ट्र कैडर की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ आरोपों के बाद आया है, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) चयन में गलत तरीके से फायदा उठाने के लिए कथित तौर पर फर्जी दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया, जिनके आधार पर उन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया.

फर्जी सर्टिफिकेट और गलत पहचान बताने के मामले में जांच के बाद यूपीएससी ने पूजा खेडकर के खिलाफ दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच में FIR दर्ज कराई है. इसके साथ ही एक नोटिस जारी कर पूछा है कि आपकी उम्मीदवारी क्यों न रद्द की जाए और यूपीएससी की आगामी परीक्षाओं में बैठने से क्यों न रोका जाए. पूजा खेडकर की नियुक्ति को लेकर यूपीएससी की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा जा रहे हैं.

नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी कांत ने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी मामले की जांच और सख्त कर्रवाई की मांग की है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, ‘यूपीएससी के माध्यम से टॉप सिविल सेवाओं में एंट्री के लिए धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे सभी मामलों की पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.’

रिजर्वेशन का गलत इस्तेमाल हो रहा है: जी20 के शेरपा अमिताभ कांत
जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने अपनी पोस्ट में उन्होंने जोर दिया कि चयन योग्यता और ईमानदारी के आधार पर होना चाहिए. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और ओबीसी आरक्षण के प्रति समर्थन दिखाते हुए, कांत ने शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांगों के लिए मौजूदा आरक्षण और सिविल सेवाओं में थर्ड जेंडर के लिए प्रस्तावित 1% आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही. उन्होंने कहा, “प्रतिष्ठित परीक्षाओं में गलत तरीके से फायदा उठाने के लिए इन आरक्षणों का दुरुपयोग किया जा रहा है. एससी/एसटी या ओबीसी आरक्षण जारी रहना चाहिए, साथ ही क्रीमी लेयर नियम लागू होने चाहिए.”

जा सकती है पूजा खेडकर की अफसरी
दरअसल, पूजा खेडकर एक प्रोबेशनरी आईएएस ऑफिसर हैं. पीटीआई की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूजा ने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा किया था. अप्रैल 2022 में, उन्हें अपने डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन AIIMS, दिल्ली में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने कोविड-19 संक्रमण का हवाला देते हुए इसका अनुपालन नहीं किया. बीते शुक्रवार यूपीएससी ने कहा कि आयोग ने डिटेल्ड जांच के बाद पूजा खेडकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है और उनकी नियुक्ति रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा है. यूपीएससी ने बताया कि जांच में पता चला है कि पूजा ने परीक्षा में बैठने के लिए अपना नाम, माता-पिता का नाम, फोटो और बाकी डिटेल्स में हेरफेर करके अपनी पहचान बदली थी.

IAS से एक्टर बने अभिषेक सिंह के डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट पर भी उठे सवाल
पूजा के अलावा आईएएस से एक्टर बने अभिषेक सिंह पर भी प्रतिष्ठित सेवा में चयन सुरक्षित करने के लिए फर्जी डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट इस्तेमाल करने के समान आरोप हैं. जिम में भारी एक्सरसाइज करते हुए सिंह के वीडियो ऑनलाइन सामने आए हैं, जिससे आरोप और भी पूख्ता होते नजर आ रहे हैं. 2011 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह, जिन्होंने पिछले साल एक्टर बनने के लिए इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपने एक्स अकाउंट के जरिये आरोपों को गलत बताया है. सिंह ने कहा कि जनरल कैटेगरी से होने के बावजूद उनके आरक्षण समर्थक रुख के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.

चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी पर पर UPSC ने क्या कहा?
यूपीएससी की प्रक्रिया में गड़बड़ी की संभावनाओं के आरोप को लेकर आयोग की ओर से एक बयान जारी किया गया है. यूपीएससी का ने कहा कि हम संवैधानिक संस्थान हैं और नियमों का पालन करना या कराना हमारी जिम्मेदारी है. हमने साफ किया है कि परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो और अगर कोई गड़बड़ी करे तो उस पर एक्शन लिया जाए. यूपीएससी ने कहा कि उम्मीदवारों को हम पर भरोसा होता है. हमने यह भरोसा अर्जित किया है. हम लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उससे किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा.

बता दें कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी यूपीएससी की चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर आयोग और सरकार से कई सवाल पूछे हैं. उन्होंने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर एक लंबी पोस्ट के जरिये पूछा कि क्या प्रक्रिया में गडबड़ी के पीछे यूपीएससी के ऊंचे ओहदे पर राजनीतिक नियुक्तियों से आए लोग जिम्मेदार हैं? क्या केवल सतही तौर पर जांच करने के पल्ला झाड़ना उचित है? क्या सर्टिफिकेट जांचने की कोई ठोस संस्थागत प्रणाली विकसित नहीं की जा सकती?

उन्होंने कहा, ‘UPSC देश की सबसे नामी परीक्षा है और उससे निकले लोग शासन व्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ होते हैं. देश के करोड़ों लोगों का भरोसा और हमारे रोजमर्रा के शासन-प्रशासन का कामकाज इस संस्था की पेशेवर प्रणाली से जुड़ा है. मैंने खुद देखा है कि इस परीक्षा के लिए युवा कितनी मेहनत, आंखों में ढेर सारे सपने लिए और दिल में लगन के साथ तैयारियां करते हैं.’

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