नई दिल्ली,
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या केस की जांच बेहद गंभीरता के साथ चल रही है. सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष एजेंसी की पांचवीं स्टेटस रिपोर्ट पेश की.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 15 अक्टूबर को सीबीआई द्वारा दाखिल 5वीं स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक की जांच के आधार पर आरोपी संजय रॉय के खिलाफ बीएनएस की धारा 64,66 के तहत अपराध के लिए 7 अक्टूबर को चार्ज शीट दायर किया गया है. एसीजीएम सियालदह ने मामले का संज्ञान लिया है. मामले में आरोप तय करने के लिए स्पेशल कोर्ट में सुनवाई 4 नवंबर को होगी. सीबीआई को कुछ पक्षों से इस मामले से जुड़े कुछ अहम जानकारी मिली है. उन पर भी सीबीआई द्वारा गौर किया जा रहा है. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि बलात्कार और हत्या में अन्य लोगों की भूमिका के संबंध में आगे की जांच अभी भी जारी है. उसने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दिया है.
कोर्ट ने सीबीआई से मामले में 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. साथ ही आदेश दिया कि CBI को इस केस में सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों की ओर से जांच को लेकर लीड मिली है. उनकी ओर से बताए पहलुओं के अलावा मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितता की भी जांच भी सीबीआई कर रही है. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई मृतक के माता-पिता के सीधे संपर्क में है और उन्हें अब तक उठाए गए कदमों से अवगत कराया गया है. MEITY ने मृतक के माता-पिता से संपर्क किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी प्लेटफार्म से मृतका से संबंधित कोई भी जानकारी हटा दी जाए.
नेशनल टास्क फोर्स के बारे मे सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि टास्क फोर्स के सामने करीब 7800 अस्पतालों ने जानकारी साझा की है. एसजी तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस को बताया कि डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय टास्क फोर्स की आखिरी बैठक एक महीने पहले 9 सितंबर को हुई थी. चीफ जस्टिस ने कहा कि एक महीने से अधिक समय से कोई बैठक क्यों नहीं हुई? टास्क फोर्स को अपने काम में तेजी लानी चाहिए.
CJI ने कहा कि कि 7880 अस्पतालों ने अपने जवाब टास्ट फोर्स को दिए हैं. वर्तमान में यह देखा गया है कि NTF ने कोई ठोस प्रगति नहीं की है. SG ने स्वीकार किया है कि 9 सितंबर के बाद से कोई बैठक नहीं हुई है. सीजेआई ने कहा कि हमारा विचार है कि केन्द्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए कि NTF अपना काम उचित समय के भीतर पूरा हो कर सके. इसके साथ साथ NTF की बैठकें समय-समय पर होनी चाहिए. सभी उप समितियों की भी नियमित बैठकें होनी चाहिए, यह काम 3 सप्ताह में पूरा कर लिया जाना चाहिए.
पश्चिम बंगाल सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट मे अपना हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि आरजी कार कॉलेज मे 31 अक्टूबर तक काम पूरा हो जाएगा. विभिन्न स्तरों पर समिति गठित की गई है, आपातकालीन अलार्म भी लगाए गए हैं. सीजेआई ने पूछा कि क्या बायोमेट्रिक सुविधाएं स्थापित की गई हैं? इस पर बंगाल सरकार की तरफ से कहा गया कि हम 31 अक्टूबर तक इसे पूरा कर लेंगे और शौचालय के काम भी पूरे हो जाएंगे.
सत्यापन का काम भी पूरा किया जाए: कोर्ट
CJI ने पश्चिम बंगाल सरकार के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि राज्य सरकार के हलफनामे के मुताबिक शौचालय, ड्यूटी रूम और सीसीटीवी के काम का ब्योरा दिया गया है, 90% काम हो चुका है, आरजी कर का काम अभी बाकी है. CJI ने कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हो रहे कार्य का स्टेटस रिपोर्ट में राज्य सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया है कि 28 मेडिकल कॉलेजों में चल रहे सभी अधूरे कार्य 21 अक्टूबर तक और आरजी कर में 31 अक्टूबर तक पूरे कर लिए जाएंगे. राज्य की समिति, शिकायत निवारण समिति, राज्य और जिला स्तर पर सुरक्षा ऑडिट और अस्पतालों में तैनात सुरक्षाकर्मियों का सत्यापन का काम भी पूरा किया जाए.
एक याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि कोलकाता के अस्पताल में एक और घटना घटी जहां स्टाफ द्वारा अस्पताल की लिफ्ट में एक लड़की के साथ छेड़छाड़ की गई इसलिए अस्पताल की लिफ्टों में सीसीटीवी लगाए जाएं. इस पर सीजेआई ने कहा कि राज्य सरकार ने एक इंटीग्रेटेड हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया है. यह सिस्टम ऑनलाइन डिस्चार्ज, ऑनलाइन दवा के पर्चे आदि की निगरानी करता है. इससे ऑनलाइन रियलटाइम बेड वेकेशन मॉनिटर भी होगा.
अगली सुनवाई में कोर्ट ने मांगी ये जानकारी
CJI ने पूछा कि आरोपी संजय रॉय सिविल वालेंटियर था, उसे कैसे भर्ती किया गया? याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि राज्य अधिसूचना के माध्यम से भर्ती किया गया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. CJI ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि अगली सुनवाई मे निम्नलिखित जानकारी चाहते हैं:
(1) सिविल वालेंटियरों को नियुक्त करने के लिए अथॉरिटी कौन है और कानूनी आधार क्या है.
(2) उनकी योग्यता क्या तय की जाती है.
(3) वे संस्थान जिनमें उन्हें काम सौंपा गया है.
(4) सिविल वॉलेंटियर की दैनिक और मासिक आधार पर किए जाने वाले भुगतान और बजट के बारे मे जानकारी दी जाए.
बंगाल सरकार ने क्या कदम उठाए: CJI
CJI ने बंगाल सरकार से कहा कि अगले हलफनामे में यह भी उल्लेख होना चाहिए कि यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं कि ऐसे सिविल वालेंटियर्स को अस्पतालों, पुलिस स्टेशनों मे तैनात नहीं किया जाएगा और अपराध की जांच में भी इन्हे तैनात नहीं किया जाए. हड़ताली डॉक्टरों की तरफ से वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि डॉक्टर काम पर वापस लौट गए हैं, केवल कुछ ही डॉक्टर भूख हड़ताल पर हैं केवल 8 डॉक्टर भूख हड़ताल पर हैं. 3 डॉक्टर अस्पताल में भर्ती हैं, बाकी भूख हड़ताल पर हैं. हम सभी चाहते हैं कि ऐसी हड़ताल बंद हो क्योंकि हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं.
वॉलेंटियर की भर्ती कौन करता है: कोर्ट
वहीं वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने रात्रि साथी कार्यक्रम का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे वॉलंटियर पुलिस स्टेशन तक में मौजूद है. जिनकी संख्या लगभग 1500 तक हो गई है. CJI ने कहा की उनकी भर्ती कौन करता है? हमें यह जानने की जरूरत है कि उनकी योग्यताएं क्या हैं? क्योंकि ऐसे वॉलिंटियर्स स्कूल और अस्पताल जैसे संवेदनशील प्रकृति वाली जगहो पर काम नहीं कर सकते. CJI ने कहा कि य़ह चयनित लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान करने का अच्छा तरीका है. पहले राज्य सरकार को हमें इससे जुड़ा डाटा देने दे. फिलहाल मामले पर तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी.