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Thursday, July 31, 2025
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जब तक मजबूत केस नहीं, अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं… वक्फ एक्ट पर CJI गवई की दो टूक

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नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने जब तक मजबूत केस नहीं बनता, तब तक अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह अधिनियम सरकार की ओर से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने का एक प्रयास है।

सीजेआई ने क्या कहा
इसी दौरान सीजेआई गवई ने कहा, यह मामला संवैधानिकता के बारे में है। अदालतें आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं करती हैं, इसलिए जब तक आप एक बहुत मजबूत मामला नहीं बनाते, कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करती है। सीजेआई ने आगे कहा कि औरंगाबाद में वक्फ संपत्तियों को लेकर बहुत सारे विवाद हैं।

तीन मुद्दों पर सर्वोच्च कोर्ट सुनेगी दलील
मंगलवार को सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह तीन मुद्दों पर अंतरिम निर्देश पारित करने के लिए दलीलें सुनेगी, जिसमें अदालतों द्वारा वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति शामिल है। पीठ ने स्पष्ट किया था कि वह 20 मई को पूर्ववर्ती 1995 के वक्फ कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने की किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी।

कपिल सिब्बल ने किया वक्फ एक्ट का विरोध
वक्फ मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अन्य ने वक्फ अधिनियम का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अलग-अलग हिस्सों में सुनवाई नहीं हो सकती। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से सुनवाई को अंतरिम आदेश पारित करने के लिए चिह्नित तीन मुद्दों पर सीमित रखने को कहा।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने क्या कहा
सिंघवी ने कहा कि कृपया जेपीसी रिपोर्ट देखें। 28 में से 5 राज्यों का सर्वेक्षण किया गया। 9.3 प्रतिशत क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया और फिर आप कहते हैं कि कोई पंजीकृत वक्फ नहीं था। सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह ने कहा कि पंजीकरण न होने के अलावा मुत्तवली के लिए कोई अन्य परिणाम नहीं है।

केंद्र ने SC से की ये अपील
केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित करने के लिए सुनवाई को तीन चिह्नित मुद्दों तक सीमित रखा जाए। इन मुद्दों में ‘अदालत द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड’ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार भी शामिल है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ से केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि वह पहले की पीठ द्वारा निर्धारित कार्यवाही तक ही सीमित रहें। विधि अधिकारी ने कहा कि कोर्ट ने तीन मुद्दे चिन्हित किए थे। हमने इन तीन मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल किया था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से रखी गई ये दलीलें
हालांकि, याचिकाकर्ताओं की लिखित दलीलें अब कई अन्य मुद्दों तक चली गई हैं। मैंने इन तीन मुद्दों के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल किया है। मेरा अनुरोध है कि इसे केवल तीन मुद्दों तक ही सीमित रखा जाए। वक्फ अधिनियम, 2025 के प्रावधानों को चुनौती देने वाले लोगों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने इन दलीलों का विरोध किया कि अलग-अलग हिस्सों में सुनवाई नहीं हो सकती। एक मुद्दा ‘अदालत द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड’ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार का है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाया गया दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है, जहां उनका तर्क है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही इसमें काम करना चाहिए। तीसरा मुद्दा एक प्रावधान से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।

बीते 17 अप्रैल को, केंद्र ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई तक न तो ‘वक्फ बाई यूजर’ समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करेगा, न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति करेगा। केंद्र ने केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगाने के अलावा ‘वक्फ बाई यूजर’ सहित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया था।

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