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Sunday, September 14, 2025
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‘स्टूडेंट्स कोटा में ही जान क्यों दे रहे हैं?’ IIT, NEET रिजल्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल

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आईआईटी एडमिशन के लिए जेईई एडवांस्ड रिजल्ट 2025 और MBBS एडमिशन के लिए नीट यूजी रिजल्ट 2025 की घोषणा आने वाले हफ्तों में होने वाली है। उससे पहले इस शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट में IIT खड़गपुर के एक मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी में जुटे स्टूडेंट्स से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा उठाया। कोटा में छात्रों की आत्महत्या का। इसपर शीर्ष अदालत ने जो बातें कहीं, वो बड़े सवाल खड़े करती हैं।

IIT, NEET और कोटा: सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कोटा शहर में स्टूडेंट्स की आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी पर राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लिया और स्थिति को गंभीर बताया। जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि इस साल अब तक कोटा से आत्महत्या के 14 मामले सामने आए हैं। स्टूडेंट्स कोटा में ही क्यों जान दे रहे हैं?

राजस्थान सरकार के वकील से जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, ‘आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और केवल कोटा में ही क्यों? क्या आपने एक राज्य के रूप में इस पर विचार नहीं किया?’ वकील ने कहा कि- आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए राज्य में एक SIT बनाई गई थी।

छात्रों की जान जा रही, ‘इन बातों को हल्के में ना लें’
सुप्रीम कोर्ट IIT खड़गपुर में पढ़ने वाले 22 साल के स्टूडेंट की मौत के मामले की सुनवाई कर रहा था। एक अन्य मामला NEET की कैंडिडेट छात्रा का है। कोर्ट ने इस पर सवाल किया कि IIT खड़गपुर वाले केस में FIR में चार दिन की देरी क्यों हुई? बेंच ने कहा, ‘इन बातों को हल्के में न लें। ये बहुत गंभीर बातें हैं।’ पुलिस अधिकारी से पूछा गया कि FIR दर्ज करने में चार दिन क्यों लगे? यह भी कहा कि हम पुलिस थाने के प्रभारी के खिलाफ अवमानना का मुकदमा भी चला सकते थे। कोर्ट ने कहा कि जांच सही दिशा में तेजी से की जानी चाहिए।

कोटा में अब तक कितने छात्रों की जान गई: सुप्रीम कोर्ट
कोटा आत्महत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने FIR दर्ज न करने को गलत ठहराया। राज्य के वकील ने कहा कि मामले की जांच जारी है और SIT को राज्य में आत्महत्या के मामलों की जानकारी है। इस पर कोर्ट ने पूछा, ‘कोटा में अब तक कितने छात्रों की मौत हुई है?’ वकील ने कहा- 14। इस पर कोर्ट ने कहा, ‘ये छात्र क्यों मर रहे हैं? क्या आप हमारे फैसले की अवमानना कर रहे हैं। आपने FIR क्यों दर्ज नहीं की?’

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