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Friday, November 7, 2025
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पहले पति से दो बच्चे तब भी महिला को मिलेगा मातृत्व अवकाश, SC का बड़ा फैसला

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नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर महिला के पति के दो बच्चे पहले की शादी के हैं तो भी उसे खुद के बॉयोलॉजिकल बच्चे पैदा करने के लिए मैटरनिटी लीव मिलेगा और उससे इनकार नहीं किया जा सकता है। रूल्स 43 के तहत प्रावधान है कि महिला कर्मी को दो बच्चों तक के लिए मैटरनिटी लीव मिल सकता है। महिला के पति के पहले की शादी के दो बच्चे थे। महिला ने उनके केयर के लिए चाइल्ड केयर लीव लिया था। बाद में जब महिला के खुद के बच्चे हुए तो अथॉरिटी ने रूल्स 43 बंदिश का हवाला दिया और छुट्टी देने से इनकार कर दिया।

महिला के हित की रक्षा जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैकि सेंट्रल सिविल सर्विसेज लीव रूल्स 1972 की व्याख्या मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट और संविधान के अनुच्छेद-15 के आलोक में व्याख्या करनी होगी जिससे कि महिलाओं के हित की रक्षा हो सके। अगर उक्त व्याख्या को स्वीकार कर लिया जाएगा तो फिर महिलाओं को दी जाने वाली बेनिफिट ही निरर्थक हो जाएगा।

महिला का अपने जीवन में बच्चा पैदा करना नेचरल प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि मैटरनिटी लीव देने के पीछे उद्देश्य यह है कि महिला बच्चा पैदा होने के कारण नौकरी से वंचित न हो और नौकरी न छोड़ना पड़े क्योंकि हर महिला की जिंदगी में उसे मां बनना और बच्चे पैदा करना एक नेचरल पहलू है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मैटरनिटी लीव दिया जाना महिला को नौकरी के लिए प्रेरित करने के लिए है। यह कटु सत्य है कि अगर यह प्रावधान न हो तो छुट्टी न मिलने की स्थिति में महिला नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य जो जाती थी। महिला की जिंदगी में बच्चे पैदा करना एक नेचरल प्रक्रिया है।

क्या था मामला
महिला पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंगीगढ में नर्सिंग ऑफिसर है और उसे मेटरनिटी लीव मना किया गया क्योंकि उसने चाइल्ड केयर लीव लिया था। महिला ने अपने पति की पहली शादी के बच्चों के लिए चाइल्ड केयर लीव लिया था। बाद में उसे खुद का बॉयोलॉजिकल बच्चा हुआ तो उसे मेटरटिनी लीव से मना किया गया। महिला ने कैट का दरवाजा खटखटाया वहां से राहत नहीं मिली तो पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट मामला गया। हाई कोर्ट से भी अर्जी खारिज हो गई। सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल्स 43 के तहत बेनिफिट से मना किया गया। सुप्रीम कोर्ट में जब मामला आया तो सुप्रीम कोर्ट ने कैट और हाई कोर्ट दोनों के फैसले को पलट दिया और कहा कि महिला मेटरनिटी लीव पाने की हकदार है और उन्हें छुट्टी देने से मना करना रूल्स 43 के खिलाफ है।

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