नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर शनिवार रात उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की। इसमें करावल नगर सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर कपिल मिश्रा पर भरोसा जताया। हालांकि, बीजेपी नेतृत्व के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया। करावल नगर सीट से मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने ये बड़ी गलती की है। इतना ही नहीं बीजेपी विधायक ने इसी सीट से दावेदारी का ऐलान भी किया है।
कपिल मिश्रा को टिकट पर भड़के करावल नगर MLA
करावल नगर से विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी को लगता है किसी को भी खड़ा कर दो, वो जीत जाएगा। यह बड़ी गलती है। बुराड़ी, करावल नगर, घोंडा, सीलमपुर, गोकलपुरी और नंद नगरी सीटों पर क्या होगा, समय बताएगा। उन्होंने आगे ये भी कहा कि मैं किसी और सीट से चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं 17 जनवरी से पहले करावल नगर से नामांकन दाखिल करूंगा।
मोहन सिंह बिष्ट ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान
2020 के चुनाव में मोहन सिंह बिष्ट ने आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट दुर्गेश पाठक को हराया था। 1998 से बिष्ट करावल नगर से लगभग हर चुनाव जीते हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि वो दूसरी सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे और करावल नगर से ही नामांकन दाखिल करेंगे। बीजेपी विधायक के इस दावे पर पार्टी की क्या रणनीति होगा देखना दिलचस्प होगा। दूसरी ओर, कपिल मिश्रा ने अपनी बड़ी जीत का दावा किया है।
कपिल मिश्रा ने भी किया जीत का दावा
कपिल मिश्रा ने कहा कि करावल नगर के लोग उत्साहित हैं और हम यहां बड़ी जीत दर्ज करेंगे। दिल्ली में बदलाव की लहर है। बीजेपी यहां सरकार बनाने जा रही है। 2015 के विधानसभा चुनावों में, कपिल मिश्रा ने AAP के टिकट पर करावल नगर सीट से बिष्ट को हराया था। वह AAP सरकार में मंत्री भी बने थे, लेकिन उनका कार्यकाल छोटा रहा। 2017 में AAP के वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था और पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
मोहन सिंह बिष्ट ने बीजेपी नेतृत्व के फैसले पर जताई नाराजगी
मोहन सिंह बिष्ट करावल नगर के पुराने और अनुभवी नेता हैं। वे 1998 से इस सीट से कई बार विधायक रह चुके हैं। सिर्फ एक बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी ने इस बार उन्हें टिकट न देकर कपिल मिश्रा पर दांव खेला तो उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पार्टी ने जनता की भावनाओं को नहीं समझा है। बिष्ट का मानना है कि जनता उन्हें ही अपना नेता मानती है और किसी और को स्वीकार नहीं करेगी। इसलिए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।