नई दिल्ली,
सीजफायर का कुछ लोगों ने जोरदार स्वागत भी किया. सोशल मीडिया पर भी ये देखने को मिला है. और, ऐसे लोगों में कांग्रेस नेता शशि थरूर भी शामिल हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग सीजफायर को हजम नहीं कर पा रहे थे. ऐसे लोगों के मन में एक ही सवाल था, जब सब ठीक ही चल रहा था तो किसी नतीजे तक पहुंचने से पहले सीजफायर की जरूरत क्या थी?
सबसे ज्यादा ताज्जुब लोगों को इस बात से हुआ कि सीजफायर की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की, और पूरा क्रेडिट भी ले लिया. अगर ये घोषणा भारत या पाकिस्तान की तरफ से हुई होती, तब भी सवाल उठते, लेकिन जिस तरीके से अभी उठ रहे हैं, वैसे तो बिल्कुल नहीं. जब लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश का इंतजार कर रहे थे, तभी ऐन पहले डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बम फोड़ दिया. सीजफायर नहीं तो बिजनेस नहीं.
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, इशारों में ही सही, डोनाल्ड ट्रंप के नये शिगूफे का जवाब भी दे दिया है, लेकिन ऐसे बोल देने भर से वो सवाल तो खत्म नहीं हो जाता कि क्या सीजफायर अमेरिकी दबाव में हुआ है? ये सवाल इसलिए भी गहराने लगा है, क्योंकि भारत की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप के दावे को खारिज भी नहीं किया गया है.
पाकिस्तान ने ट्रंप के सीजफायर की घोषणा का स्वागत करके मामला और भी उलझा दिया है. एक तरीके से पाकिस्तान ने ट्रंप के दावे को सही बता दिया है, लेकिन भारत में पाकिस्तान की बात महत्वपूर्ण नहीं मानी जाएगी, क्योंकि वो तो वैसी बातें बोलेगा ही जो उसके लिए फायदेमंद हो – और, भारत ने रिएक्ट ही नहीं किया है.
सरकार और प्रधानमंत्री से कांग्रेस के सवाल
सीजफायर की खबर आते ही सोशल मीडिया पर एक कॉमन सवाल उठा था, जब हमारी पोजीशन अच्छी थी, तो हम सीजफायर के लिए तैयार क्यों हुए?कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीजफायर के लिए तैयार होने पर नाराजगी भी जताई. नाराजगी जताने वालों में बीजेपी समर्थक भी शुमार थे. ऐसा एक सवाल था, ‘हम आपसे ये उम्मीद नहीं कर रहे थे कि आप अमेरिका के प्रेशर की वजह से झुक जाएंगे… हम चाहते थे कि पाकिस्तान पर कब्जा किया जाये और उसे अच्छा सबक सिखाया जाये’.
बीजेपी के एक समर्थक की नाराजगी तो ऐसे भी सामने आई, ‘मोदी जी ने भारतीय लोगों का विश्वास खो दिया है… हम योगी जी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं… आगे से मैं योगी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट करूंगा… माफ करिये मोदी जी आपने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती की है’.कुछ लोग तो इसे आडवाणी-मोमेंट के रूप में भी देख रहे थे. जब बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मोहम्मद अली जिन्ना को सेक्युलर बताते हुए तारीफ करने लगे थे. बाद में आडवाणी का क्या हाल हुआ, सबको मालूम ही है.
कांग्रेस की तरफ से भी ऐसे ही सवाल पूछे जा रहे हैं, बस थोड़े मॉडिफाई कर दिये गये हैं. मसलन, एक सवाल है – हमारी सेना ने पाकिस्तान में स्थित आतंकीं कैम्प जरूर तबाह किए, लेकिन वो दहशतगर्द कहां हैं, जिन्होंने पहलगाम में निर्मम हत्या की? एक और सवाल है, जब सारा देश और विपक्ष आपके साथ था तब आपने PoK से पाकिस्तान को क्यों नहीं खदेड़ा?और सबसे बड़ा सवाल तो इस पूरे में मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका और उनके बयानों को लेकर है.
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम ऐसे कुछ सवालों का जवाब देने की कोशिश जरूर की है, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं कही है, जिससे सवाल पूरी तरह खत्म हो जायें. और यही वजह है कि कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है – विपक्षी दल कांग्रेस को भला और क्या चाहिये.
मोदी के संदेश में सवालों के जवाब हैं क्या?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में सोशल मीडिया वाली जनता और विपक्ष के सवालों का भी जवाब देने की कोशिश की है – और पाकिस्तान के साथ साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी मैसेज दे दिया है.
मोदी का कहना है, …बुरी तरह पिटने के बाद, 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे डीजीएमएओ से संपर्क किया… तब तक हम आतंकवाद ठिकानों को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे… आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था… पाकिस्तान के सीने में बसाये गये आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था.
‘जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, मोदी ने कहा, जब ये कहा गया कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि, और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा, तो भारत ने भी उस पर विचार किया… और मैं, फिर दोहरा रहा हूं… हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है… आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे कि वो क्या रवैया अपनाता है?’
प्रधानमंत्री मोदी ने कई और भी बातें बताई हैं.
- ‘भारत की तीनों सेनाएं, हमारी वायुसेना, हमारी सेना, और हमारी नौसेना, हमारे सीमा सुरक्षा बल, भारत के अर्धसैनिक बल लगातार अलर्ट पर हैं.’
- ‘ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है.’
- ‘भारत किसी भी परमाणु धमकी को नहीं सहेगा. न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा.’
लेकिन, कांग्रेस के सवाल खत्म नहीं हुए हैं. सोशल साइट X पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत लिखती हैं, अपने 22 मिनट के राष्ट्र के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन चीजों की चर्चा नहीं की वो ये हैं… और फिर अपनी तरफ से कांग्रेस नेता ने 8 सवाल फिर से पूछे हैं.
- ट्रंप बार बार क्यों कह रहे हैं कि अमेरिका ने सीजफायर करवाया, आज तो उन्होंने यहा तक कहा कि उन्होंने आपको व्यापार का हवाला देकर धमकाया?
- आपने ट्रंप की कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश पर कुछ नहीं कहा. क्या आपको अमेरिका की दखलंदाजी मंजूर है?
देखा जाये तो, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी तरफ से तस्वीर कुछ हद तक साफ करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन पूरी नहीं हो पाई है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा है, ‘मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है… अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो आतंकवाद पर ही होगी… अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर ही होगी.
बाकी सब तो ठीक है, ये भी बता दिया गया है कि पहलगाम के हमलावरों के ठिकाने तबाह कर दिये गये हैं, और उनके आकाओं, जिनमें पाकिस्तानी फौज भी शामिल है, हद से ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया है – लेकिन, अब तक ये नहीं मालूम कि जिन आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर हत्या की थी, वे कहां गये?
बीती कुछ घटनाओं के बाद, ये अक्सर सुनने को मिलता रहा है कि हत्यारे आतंकियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया – लेकिन, ऐसी बात पहलगाम के हत्यारों के लिए सुनने को क्यों नहीं मिली है?और, जब तक हत्यारों को सजा नहीं मिलती, सिंदूर का बदला कैसे पूरा माना जाएगा – सोशल मीडिया पर भी यही सवाल है, और कांग्रेस भी यही पूछ रही है.