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कांग्रेस से कभी नाता, राजस्थान से वाया बंगाल अब एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार

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नई दिल्ली

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को एनडीए ने अपना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है। धनखड़ किसान परिवार से आते हैं। उनके नाम की घोषणा करते हुए शनिवार बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किसान पुत्र कहकर संबोधित किया। साल 2019 जुलाई के महीने में जगदीप धनखड़ को बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। जगदीप धनखड़ का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी की ओर से चर्चा में नहीं था। उनके नाम के ऐलान के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक बार फिर चौंकाने वाला फैसला हुआ है। जगदीप धनखड़ ने पहले वकालत में नाम कमाया फिर राजस्थान की राजनीति में और जबसे वो बंगाल के गवर्नर हैं उनकी चर्चा खूब रही।

राजस्थान के जाट परिवार से आते हैं जगदीप धनखड़
राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव के किसान परिवार में जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को हुआ था। जाट परिवार में पैदा जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील और राजनेता रहे हैं। उन्होंने सैनिक स्कूल चित्तौड़गड़ से अपनी पढ़ाई की। राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी। जानकारी के अनुसार जब धनखड़ छठी कक्षा में थे, तब वह 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर एक सरकारी स्कूल जाते थे। क्रिकेट प्रेमी होने के साथ-साथ उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर भी रहा है।

लोकसभा का चुनाव जीतकर केंद्र में बने मंत्री
वकालत करने के साथ ही वे सामाजिक गतिविधियों के साथ राजनीति से जुड़ गए। साल 1989 में वे भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत कर पहली बार संसद पहुंचे। अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे। तब युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की। वे केंद्र में मंत्री भी रहे। जनता दल के विभाजन के बाद वो पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के खेमे में चले गए थे।

कांग्रेस से भी रहा है जगदीप धनखड़ का नाता
धनखड़ 1990 में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पी.वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। वह अजमेर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। वो राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे हैं। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए और कहा जाता है कि वह जल्द वसुंधरा राजे के करीबी बन गए। उन्होंने जाट बिरादरी को ओबीसी का दर्जा दिलाने के लिए जाट आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

बतौर राज्यपाल काफी चर्चा में रहा कार्यकाल
पश्चिम बंगाल में जब से वो राज्यपाल बने हैं उनके कार्यकाल की काफी चर्चा रही है। पिछले काफी समय से बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उनके संबंध ठीक नहीं रहे। सरकार और राज्यपाल के बीच कई मौकों पर टकराव भी देखने को मिला। उनके नाम की घोषणा जब की गई उसी दिन वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी दिल्ली आकर मिले।

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