नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर पश्चिम बंगाल से नागेंद्र राय उर्फ अनंत महाराज ने 13 जुलाई को नामांकन दाखिल कर दिया। राजवंशी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राय को टिकट देने के बीजेपी के फैसले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कथित तौर पर नाराज बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि बीजेपी की स्टेट यूनिट और संघ की तरफ से जो लिस्ट भेजी गई थी, उसमें अनंत महाराज का नाम था ही नहीं। इसके बावजूद उन्हें उम्मीदवार बना दिया गया।
कुछ RSS नेताओं का कहना है कि उन्होंने अनंत महाराज को लेकर अपनी असहमति के बारे में बीजेपी आलाकमान को बता दिया है। दक्षिण बंगाल में संगठन का काम देखने वाले आरएसएस के एक नेता के हवाले से ‘द टेलीग्राफ’ अखबार ने लिखा है कि कि एक स्वघोषित राजा, किसी लोकतंत्र में कानून निर्माता कैसे बन सकता है?
लिस्ट में नहीं था नाम, लेकिन बन गए कैंडिडेट
The Telegraph के मुताबिक आरएसएस ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपनी पसंद के कुछ नेताओं का नाम सुझाया था। इसमें पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा और बंगाल इकाई के प्रवक्ता सामिक भट्टाचार्य का नाम शामिल था। बाद में पार्टी की राज्य इकाई ने भी कुछ नाम जोड़े, जिसमें अभिनेता से नेता बने मिथुन चक्रवर्ती का नाम भी शामिल था। आलाकमान को जो लिस्ट भेजी गई थी, उसमें अनंत महाराज का नाम नहीं था।
आरएसएस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ना तो पार्टी की स्टेट यूनिट और न तो संघ ने सोचा था कि एक स्वघोषित राजा को बीजेपी राज्यसभा उम्मीदवार बनाएगी। आरएसएस का मानना है कि कम से कम पार्टी का राज्यसभा उम्मीदवार एक राजनीतिक व्यक्ति होना चाहिए था।
तो कौन हैं नागेंद्र राय उर्फ अनंत महाराज?
नागेंद्र राय उर्फ अनंत महाराज राजबंशी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उत्तर बंगाल और असम के कुछ जिलों में इस समुदाय का दबदबा है। अनंत महाराज की पहचान एक ऐसे नेता की रही है जो लंबे वक्त से दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी जैसे उत्तर बंगाल के जिलों को काटकर अलग कूच-बिहार राज्य बनाने की मांग करता रहा है। अनंत महाराज ग्रेटर कूच बिहार पीपुल्स एसोसिएशन के एक धड़े की अगुवाई भी करते हैं। कुछ वक्त पहले ही गृह मंत्री अमित शाह की अनंत महाराज से मुलाकात हुई थी।
खुद नाम के साथ जोड़ लिया ‘महाराज’
करीब दो दशक पहले अपने नाम के साथ ‘महाराज’ जोड़ने वाले नागेंद्र राय उर्फ एससी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उत्तर बंगाल के करीब 8 जिलों में 30 फीसदी मतदाता इसी समुदाय से आते हैं और 54 विधानसभा सीटों पर उनका दबदबा है। इसी वजह से बीजेपी की निगाह तो उन पर थी ही। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अनंत को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही थीं। पिछले साल दोनों की मुलाकात भी हुई थी।
अमित शाह के निर्देश पर मिले थे प्रमाणिक
अनंत महाराज के नॉमिनेशन से ठीक पहले 11 जुलाई को अमित शाह के निर्देश पर खुद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक उनसे मिलने उनके घर गए थे। मुलाकात के बाद जब प्रमाणिक बाहर आए तो कहा था कि हमें अनंत महाराज जैसे लोगों की जरूरत है, जो बंगाल के हित में काम करते रहे हैं। लोग भी उन्हें चाहते हैं। बाद में मीडिया से बातचीत में खुद अनंत ने भी कहा कि जिस दिन निसिथ प्रमाणिक उनसे मिले थे, उसी दिन गृह मंत्री अमित शाह से उनकी फोन पर बात भी हुई थी।आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की 7 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए 6 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी किया गया था, 13 जुलाई को नॉमिनेशन का आखिरी दिन था। राज्यसभा चुनाव 24 जुलाई को होने हैं।