20.9 C
London
Tuesday, July 8, 2025
Homeराजनीतिमोदी सरकार 3.0 में प्रदर्शनकारी किसानों से क्यों है दूरी, जान लीजिए...

मोदी सरकार 3.0 में प्रदर्शनकारी किसानों से क्यों है दूरी, जान लीजिए पूरा मामला

Published on

नई दिल्ली

नरेंद्र मोदी सरकार किसान आंदोलन पर इस बार नए तरीके से काम कर रही है। उसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। पिछले साल फरवरी से पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू और खनौरी में किसान धरना दे रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में किसानों से बातचीत के लिए केंद्रीय मंत्री आगे बढ़कर आते थे। हालांकि, अब मोदी 3.0 सरकार में रणनीति बदल गई है। यही वजह है कि सरकार किसानों से दूरी बनाए हुए हैं।

किसान आंदोलन पर क्या बोले कृषि मंत्री
किसान आंदोलन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्देश देगा, उसका पालन किया जाएगा। 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली के बॉर्डर पर एक साल तक धरना दिया था। उस समय तीन केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने किसान यूनियन के साथ वार्ता में अहम भूमिका निभाई थी। 14 अक्टूबर 2020 से 22 जनवरी 2021 तक 11 दौर की बातचीत की थी।

सरकार ने क्यों बदली रणनीति?
8 दिसंबर 2020 को गृह मंत्री अमित शाह ने भी किसान नेताओं के साथ दिल्ली के पूसा कॉम्प्लेक्स में देर रात बैठक की थी। पिछले साल फरवरी में, जब किसानों ने फिर से दिल्ली कूच का ऐलान किया तो तीन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय चंडीगढ़ गए। उन्होंने किसान यूनियनों के साथ दो दौर की बातचीत की, लेकिन कोई हल नहीं निकला।

MSP समेत इन मांगों पर धरना दे रहे किसान
अब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने और कृषि लोन माफी की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार अब किसानों से बातचीत करने से बच रही है। शिवराज सिंह चौहान ने हर मंगलवार को किसानों से मिलने का न्योता दिया है और कुछ किसान समूहों से मुलाकात भी की है। उन्होंने पंजाब के मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां समेत सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ भी बैठक की है। लेकिन आंदोलनकारी किसानों से उनकी कोई मुलाकात नहीं हुई है।

पहले किसान आंदोलन में क्या हुआ था
सरकार का मानना है कि 14 अक्टूबर, 2020 में तत्कालीन कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 29 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों को दिल्ली के कृषि भवन में बैठक के लिए बुलाया था। इस पहले दौर की वार्ता से विवाद सुलझने के बजाय और बढ़ गया। किसान नेता कृषि मंत्री तोमर की मौजूदगी की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने कृषि भवन के बाहर तीनों बिल की प्रतियां फाड़ दीं और नारेबाजी की। 26 नवंबर 2020 को किसानों ने दिल्ली कूच शुरू किया। सरकार और किसान यूनियनों के बीच 22 जनवरी 2021 तक 10 और दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी रहा।

जब बैकफुट पर आई केंद्र सरकार
12 जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर रोक लगा दी और तीन कृषि कानूनों पर विचार करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया। बाकी तीन सदस्यों प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल घनवट ने तीन कृषि कानूनों पर विचार-विमर्श किया और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। 19 नवंबर 2021 को गुरु नानक देव जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया।

मौजूदा किसान आंदोलन से दूरी की ये है वजह
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) 13 फरवरी 2024 से शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। हरियाणा पुलिस ने उनके ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोक दिया था। केंद्र सरकार के बदले हुए रुख के कई कारण हो सकते हैं। पहला, यह आंदोलन अभी पंजाब-हरियाणा सीमा तक ही सीमित है।

दूसरा, पंजाब और दूसरे राज्यों के कई किसान यूनियनों के संगठन SKM समेत कई प्रमुख किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल नहीं हुए हैं। हालांकि वे इसकी मांगों का समर्थन करते हैं। तीसरा, 2020-21 का आंदोलन केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ था, जबकि मौजूदा विरोध में कई मांगें हैं, जिनमें से कुछ पहले भी उठाई गई थीं।

अपनी मांग पर अड़े किसान
किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उन्होंने 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री की ओर से घोषित समिति में अपने सदस्यों को नामित नहीं किया था। इसके बाद 18 जुलाई 2022 को केंद्र ने संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिसे MSP को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने जैसे कई मुद्दों की जांच करनी थी।

40 दिन से दल्लेवाल का अनशन जारी
जुलाई 2022 में, BKU सिधूपुर के अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल SKM से अलग हो गए और SKM (गैर-राजनीतिक) का गठन किया। दल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी में आमरण अनशन पर हैं। वे मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार किसानों की मांगें माने। सुप्रीम कोर्ट ने दल्लेवाल की हालत पर चिंता जताई है, जिनका अनशन शनिवार को 40वें दिन में पहुंच गया।

Latest articles

बाबूलाल गौर दशहरा एवं खेल मैदान का अधिग्रहण रोकने किया विरोध प्रदर्शन, मंत्री को दिया ज्ञापन

भेल भोपाल।बाबूलाल गौर दशहरा एवं खेल मैदान का अधिग्रहण रोकने किया विरोध प्रदर्शन, मंत्री...

Grah Pravesh Niyam Sawan: सावन में नए घर में जाना शुभ या अशुभ जानें ज्योतिषीय नियम और मुहूर्त!

Grah Pravesh Niyam Sawan: चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ...

More like this

तेलंगाना BJP को बड़ा झटका विधायक टी राजा सिंह ने पार्टी से दिया इस्तीफ़ा, नेतृत्व विवाद की अटकलें तेज़

BJP : तेलंगाना में बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे...

MP BJP अध्यक्ष पद पर सस्पेंस ख़त्म होने वाला है 2 जुलाई को होगा बड़ा ऐलान

MP BJP: मध्य प्रदेश बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए पिछले 6 महीने...

Jitu Patwari FIR: जीतू पटवारी के ख़िलाफ़ FIR: अशोकनगर मामले में नया मोड़ युवक ने वीडियो वायरल करने का लगाया आरोप

Jitu Patwari FIR: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के ख़िलाफ़ अशोकनगर के मुंगावली...