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मुंबई में प्रॉपर्टी लीगल करने के लिए 102 मैप से हेरफेर, बॉम्बे हाई कोर्ट की SIT जांच में खुलासा

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मुंबई

बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर एक एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया था। एसआईटी ने जांच में खुलासा किया है कि उसने मुंबई तटरेखा के किनारे तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) और नो डेवलपमेंट जोन (एनडीजेड) भूमि पर बड़े स्तर पर कंस्ट्रक्शन पाया। इतना ही नहीं जमीन में निर्माण के लिए संपत्ति रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की गई। जांच के बाद बड़े स्तर पर भूमि घोटाले का पर्दाफाश हुआ है।

तट के किनारे कम से कम 102 संपत्ति मानचित्रों से जुड़े घोटाले के लिए पिछले सप्ताह दो पूर्व सरकारी कर्मचारियों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कुल मिलाकर, बीएमसी और भूमि रिकॉर्ड अनुभाग के 18 सरकारी कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

इन इलाकों की जमीन में हुई हेरफेर
इस घोटाले में कथित तौर पर एस्टेट एजेंट, सरकारी कर्मचारी और ठेकेदार शामिल हैं, जिन्होंने मार्वे, मड आइलैंड, वर्सोवा और अन्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील स्थानों में भूमि रिकॉर्ड में बदलाव किया। इस हेरफेर का मामला सबसे पहले मलाड के एरंगल के एक किसान वैभव ठाकुर सामने लाए थे। वैभव एक पैतृक कृषि भूमि के मालिक हैं।

गोरेगांव में हुई थी एफआईआर
वैभव ठाकुर ने 2021 में अपने प्लॉट और आस-पास की जमीनों पर अवैध निर्माण के खिलाफ गोरेगांव पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। ठाकुर ने पाया कि CRZ और NDZ भूखंडों को बनाने के लिए क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत करने के लिए सरकारी रिकॉर्ड में जालसाजी की गई थी। हालांकि, BMC और गोरेगांव पुलिस सहित अन्य अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।

2021 में उछला फिर मामला
कुछ समय के बाद भूमि अभिलेख उपाधीक्षक नितिन सालुंखे ने 2021 में एक और प्राथमिकी दर्ज की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए 2012 और 2020 के बीच नक्शे और दस्तावेजों में जालसाजी की गई। यह मामला 2022 में विधानसभा में गूंजा और सरकार को एक जांच समिति गठित की।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बनाई थी कमिटी
समिति के निष्कर्ष बॉम्बे हाई कोर्ट में तब प्रस्तुत किए गए जब मूल शिकायतकर्ता वैभव ठाकुर ने सरकार के निष्कर्षों के बावजूद निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की। अक्टूबर 2024 में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर गठित SIT को कुल चार FIR की जांच करने का काम सौंपा गया था। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) लखमी गौतम के नेतृत्व में चार गिरफ्तारियां की हैं।

सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत
एसआईटी के अनुसार, चारों आरोपियों ने सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर पिछले कुछ वर्षों में 102 संपत्ति मानचित्रों और अभिलेखों में हेराफेरी की। इसमें फर्जी सिटी सर्वे नंबर, गैर-मौजूद निर्माण और बदली हुई सीमाएं जैसे गलत विवरण शामिल थे। आरटीआई अनुरोध दाखिल करने की आड़ में जाली मानचित्र वितरित किए गए। बीएमसी अधिकारियों ने कथित तौर पर इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निर्माण और बिक्री को मंजूरी दी, जिससे सरकार को काफी पारिस्थितिकी क्षति और राजस्व का नुकसान हुआ।

1955 से 1984 के दस्तावेजों में हेरफेर
जांच में पाया गया कि उप अधीक्षक के कार्यालय में रखे गए 1955-1984 के 884 स्थायी गणना मानचित्रों में से 102 फर्जी थे। इन मानचित्रों के आधार पर निर्माण किया गया, जो 1964 से पहले अस्तित्व में नहीं थे। महाराष्ट्र सरकार ने एसआईटी के निष्कर्षों के बाद, शहरी विकास के प्रमुख सचिव और पुणे में भूमि अभिलेखों के निदेशक को सार्वजनिक अभिलेखों में हेराफेरी करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

नागपुर में मूल मानचित्र जब्त
एसआईटी ने नागपुर में महाराष्ट्र रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर से सभी 884 मूल मानचित्र और उनकी डिजिटल प्रतियां जब्त कर ली हैं। आगे की जांच में अतिरिक्त संदिग्धों की पहचान करने और सभी दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पिछले गुरुवार को, एसआईटी ने ठेकेदार नरशिम पुट्टावल्लू (50) को गिरफ्तार किया, जो सभी चार एफआईआर में आरोपी है, साथ ही सिटी सर्वे ऑफिस के दो सेवानिवृत्त अधिकारियों देवदास जाधव और मरडे और रियल एस्टेट एजेंट इमाम शेख को भी गिरफ्तार किया। उन पर बीएमसी और भूमि अभिलेख विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से रिकॉर्ड में जालसाजी करने का मामला दर्ज किया गया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘सीआरजेड और एनडीजेड भूमि पर अवैध निर्माण ने पारिस्थितिकी संतुलन को बुरी तरह प्रभावित किया है। राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। बीएमसी और भूमि अभिलेख विभाग के कुल 18 अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया के कारण जांच में देरी हुई।’

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