पटना
हरियाणा विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व के मुद्दे पर मिली सफलता के बाद ये तो तय माना जा रहा था कि बीजेपी अपने इस हिंदुत्व के मुद्दे को झारखंड और बिहार में भी आजमाएगी। इसकी पहल बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने हिन्दू स्वाभिमान यात्रा निकाल कर बीजेपी की रणनीति का न केवल खुलासा किया बल्कि इस बात का संकेत भी दे दिया कि ये भाजपा के लिए करो और मरो वाले संघर्ष के समान है।
हिंदुत्व का आग्रह
सीमांचल के कुछ जिलों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश की मांग कर बिहार की राजनीतिक सूरत बदलने का यह मुहिम यूं ही नहीं छेड़ दिया गया है। इसके पीछे बीजेपी के रणनीतिकारों ने बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर जाकर हिंदुत्व की लहर को जगाने की कोशिश की है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का लगातार उत्तर बिहार का दौरा एक मजबूत संकेत की तरह था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जनसभा और विभागीय समीक्षात्मक बैठक इस मुहिम का एक तरह से ग्राउंड वर्क तैयार करना ही था।
हरियाणा का फॉर्मूला बिहार में
बीजेपी के लिए हरियाणा विधानसभा का चुनाव एक माइल स्टोन के रूप में काम कर रहा है। जिस तरह से हरियाणा में आरएसएस ने लगभग 1600 सभाएं कर कांग्रेस की जीती हुई बाजी पलटकर रख दी। इसके इसके पीछे कांग्रेस की मुस्लिम परस्त नीतियां थी जिसे बहुत ही ग्राउंड लेवल पर समझने की कोशिश की। इस कोशिश से हरियाणा के विधानसभा चुनाव में किसान, जवान और पहलवान का मुद्दा हो या एंटी इनकंबेंसी का उसका बहुत लाभ कांग्रेस को नहीं मिल सका। परिणाम ये हुआ कि जाट लैंड में भी कांग्रेस को अच्छा खासा नुकसान हुआ।
बीजेपी का ग्राउंड वर्क
स्लोली स्लोली विन द रेस की तर्ज पर काम कर रही है। और लगभग चुनाव के एक साल पहले बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री और बीजेपी गिरिराज सिंह को हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालने की स्वीकृति दी। वह भी ‘संगठित हिन्दू – सुरक्षित हिन्दू’, के स्लोगन के साथ तो है और वह भी उस सीमांचल से जहां मुस्लिमों की संख्या सबसे ज्यादा है। 18 अक्टूबर को भागलपुर से शुरू होकर 22 अक्टूबर को किशनगंज में समाप्त हो जायेगी।
बीजेपी का फैसला
यही वजह भी है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस आग्रह से दूरी बनाए रखा। जिसमें बार-बार केंद्र सरकार पर चुनाव समय पूर्व कराने का दबाव बनाया जा रहा था। बीजेपी की अपनी प्लानिंग तय है। अक्टूबर- नवंबर के पूर्व अभी बीजेपी कई अभियान को अंजाम देने की तैयारी कर रही है। वैसे भी बीजेपी इस बात को ले कर लगातार परेशान रहती थी। कब नीतीश कुमार पलटी मार देंगे। बीजेपी के अंदरखाने की मानें तो वर्ष, 2025 बीजेपी की नीतियों का चुनाव होगा जहां जेडीयू या अन्य पार्टियां सहयोगी की भूमिका में होंगी।