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Wednesday, July 16, 2025
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अमित शाह के मिशन को झटका है IED ब्लास्ट… नक्सलियों के किले अबूझमाड़ में कैसे फेल हुआ इंटेलिजेंस?

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रायपुर

‘मार्च 2026 को देश नक्सलवाद से मुक्त होगा’ 24 अगस्त, 2024 केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ की राजधानी में यह घोषणा की। इस टारगेट के बाद सुरक्षाबल के जवान लगातार नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं। बड़े पैमाने में नक्सलियों का एनकाउंटर हो रहा है, गिरफ्तार हो रहे हैं और सरेंडर हो रहा है। 6 जनवरी 2025 को नक्सलियों ने सुरक्षाबल के जवानों को बड़ा झटका दिया है। बीजापुर में नक्सलियों ने आईईडी ब्लॉस्ट किया है। नक्सलियों के इस हमले में डीआरजी के 8 जवान शहीद हो गए हैं। हादसे में वाहन चालक की भी मौत हो गई है।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सोमवार दोपहर नक्सलियों ने एक बड़ा हमला किया। बीजापुर जिले के कुटरू इलाके में हुए ब्लास्ट में 8 जवान शहीद हुए। हमला उस समय हुआ जब सुरक्षाबल के जवान सर्चिंग अभियान के बाद वापस लौट रहे थे। सुरक्षाबलों की अलग-अलग टीमें शनिवार को जगदलपुर, कोंड़ागांव, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले के लिए रवाना की गई थी। बीजापुर की टीम जब ऑपरेशन करके लौट रही थी तभी नक्सलियों ने हमला कर दिया।

हमले पर क्या बोले अमित शाह
बीजापुर नक्सली हमले को लेकर अमित शाह ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- ‘बीजापुर (छत्तीसगढ़) में IED ब्लास्ट में DRG के जवानों को खोने की सूचना से अत्यंत दुखी हूं। वीर जवानों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। इस दुख को शब्दों में व्यक्त कर पाना असंभव है, लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। हम मार्च 2026 तक भारत की भूमि से नक्सलवाद को समाप्त करके ही रहेंगे।’

क्या इंटेलिजेंस फेल हुआ?
नए साल में नक्सलियों के इस हमले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या इंटलिजेंस फेल हुआ है। इस सवाल के जवाब में राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि यह जांच का विषय है। हादसे की पूरी जांच की जाएगी। वहीं, बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि जवान ऑपरेशन की सफलता के बाद लौट रहे थे। जिस जगह पर धमाका हुआ वहां से पहले जवानों का काफिला निकला था।

बस्तर में कहां बारूद है किसी को नहीं पता
बस्तर में नक्सलवाद पर कई किताबें लिख चुके राजीव रंजन ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम से बात बताया- “नक्सलियों का गढ़ है अबूझमाड़। इस इलाके में नक्सलियों ने कहां-कहां आईईडी लगाकर रखा है इसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है। सुरक्षाबल के जवान अगर 100 बार कार्रवाई करते हैं तो वह 1 बार मौके की तलाश में रहते हैं। इस इलाके में नक्सलियों के द्वारा लगाए गए 15 साल पुराने आईईडी बरामद किए जाते हैं।”

उन्होंने कहा कि नक्सलियों का खुफिया तंत्र बहुत मजबूत है। नक्सली केवल एक सटीक जानकारी के मौके पर रहते हैं, कई बार उन्हें यह जानकारी सड़क किनारे खेलते हुए बच्चों के जरिए भी मिल जाती है कि किस इलाके में सुरक्षाबल के जवानों का मूवमेंट हो रहा है। जिसके बाद नक्सली इस तरह के अभियान को अंजाम देते हैं।

दो तरह के होते हैं सेना के खुफिया तंत्र
राजीव रंजन ने बताया कि बस्तर इलाके में सेना ने दो तरह से खुफिया तंत्र स्थापित किए हैं। सेना के जवान आत्म समर्पित नक्सलियों से आईडी के बारे में जानकारी लेते हैं। इसके साथ ही जो आत्म समर्पित नक्सली डीआरजी के जवान बन जाते हैं उनके लगाए गए आईईडी को निकाल लेती है। वहीं, दूसरी तरफ सेना ने अपना खुद का मुखबिर तंत्र स्थापित कर रखा है। जिसके ग्रामीण भी शामिल होते हैं जो सुरक्षाबलों को नक्सलियों के मूवमेंट की जानकारी देते हैं। यहीं कारण है कि नक्सली मुखबिर के शक में ग्रामीणों की हत्या करते हैं।

एक साल से बहुत कमजोर थे नक्सली
राजीव रंजन ने कहा- बीते एक साल से सुरक्षाबल के जवान जिस तरह से नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं उससे नक्सलियों का मनोबल टूटा हुआ है। इस हमले के जरिए वह खुद का हौसला बढ़ाना चाहते हैं। बीते एक साल में बस्तर में नक्सलवाद का दायरा सिमट गया है। जब सुरक्षाबलों के जवानों ने नक्सलियों के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले अबूझमाड़ पर टारगेट किया इसके बाद से नक्सलियों में बौखलाहट है।

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